हिंदी की सारी वेबसाइटें कंदहार को कंधार लिख रही हैं जबकि अंग्रेज़ी में इसकी स्पेलिंग है – Kandahar जो इसके नाम को बिल्कुल स्पष्ट कर देता है।
कंदहार को कंधार लिखने के पीछे दो कारण हो सकते हैं। 1. पत्रकार भाई d के बाद के a को मिस कर रहे हैं और dh को एकसाथ समझकर ध लिख रहे हैं। 2. कुछ लोगों की यह मान्यता है कि यह वही जगह है जो पहले गंधार या गांधार के नाम से जानी जाती थी। वैसे इस बात का कोई प्रमाण नहीं है कि कंदहार उसी इलाक़े में पड़ता है जिस इलाक़े में कभी गंधार या गांधार था। लेकिन अगर ऐसा है भी तो कंधार भी क्यों लिखें? गंधार या गांधार ही लिखो। मेरी समझ से नाम वही होना चाहिए या उसके बिल्कुल क़रीब होना चाहिए जो स्थानीय लोग बोलते हों।
अंग्रेज़ी को छोड़िए, फ़ारसी, पश्तो या दारी – किसी भी भाषा में कंधार नहीं बोला जाता। सबमें कंदहार है या क़ंदहार। लेकिन सोचने या पता लगाने की फ़ुरसत किसे है?
विकिपीडिया के इस पेज के अनुसार यह शहर सिकंदर ने बसाया था और इस्कंदर से कंदर होकर ही कंदहार बना है।
पेज का लिंक अगर और जानना या पुष्टि करना चाहते हों – https://en.wikipedia.org/wiki/Kandahar
(वरिष्ठ पत्रकार नीरेंद्र नागर के सोशल मीडिया प्रोफ़ाइल से साभार)
Atul Dayal appointed as Creative Director of News India TV
आध्यात्मिक चैनल के सर्वेसवा होंगे अतुल दयाल
फ़िल्म सिटी से जल्द लॉन्च होने वाले हिंदी नेशनल न्यूज़ चैनल न्यूज़ इंडिया की टीम में एक और बड़ा नाम जुड़ गया है। करीब 25 साल से मीडिया इंडस्ट्री में सक्रिय अतुल दयाल ने न्यूज़ इंडिया के क्रिएटिव डायरेक्टर के पद पर ज्वाइन कर लिया है। नेटवर्क के अगले बड़े प्रोजेक्ट आध्यात्मिक चैनल के सर्वेसवा अतुल दयाल ही होंगे। वो नए चैनल के स्टूडियो, न्यूज़ रूम की डिजाइनिंग से लेकर चैनल के लुक-फील पर काम कर रहे हैं। अतुल रामेश्वर दयाल ने संस्कार टीवी से इस्तीफा देकर नई चुनौती स्वाकार की है। संस्कार टीवी के 5 चैनलों के कंटेंट और प्रोग्रामिंग का पूरा जिम्मा अतुल दयाल ही संभाल रहे थे।
न्यूज इंडिया की नई टीम को अतुल दयाल के तजुर्बे का पूरा फायदा मिल रहा है। मीडिया से अतुल दयाल का नाता 1992 से जुड़ा और वो तब से लगातार अलग-अलग चैनलों और मीडिया हाउस के साथ जुड़ कर कुछ नया करते रहे हैं। आपको जैन टीवी, दूरदर्शन, ईटीवी, बीएजी फिल्म्स, सी वोटर ब्रॉडकास्ट, एसवन न्यूज चैनल, इंडिया न्यूज, हिंदुस्तान न्यूज नेटवर्क और संस्कार टीवी सहित नामी गिरामी मीडिया संस्थाओं के साथ काम करने का अनुभव है।
अतुल दयाल हिंदी और अंग्रेजी दोनों ही भाषाओं पर जबरदस्त पकड़ रखते हैं। कलम के महारथी अतुल दयाल मीडिया के हरफनमौला माने जाते हैं। अतुल दयाल ने अब तक बतौर चीफ रिपोर्टर, स्क्रिप्ट राइटर, प्रोड्यूसर, एडिटर, एंकर, डायरेक्टर हर भूमिका निभाई है। आपने डॉक्यूमेंट्री, सीरियल, फिल्म मेकिंग में भी अपना हुनर बखूबी आजमाया है। कई चैनलों की लॉन्चिंग में अतुल दयाल ने अहम भूमिका निभाई है।
अतुल दयाल की खूबी ये है कि वो बातें कम और काम ज्यादा वाले फलसफे में यकीन करते हैं। लेखनी में दक्ष, काम के प्रति समर्पण, जुनून और विश्वास ही अतुल दयाल की पूंजी है और सफलता की कुंजी है। अतुल दयाल टीम के साथ मिलकर रात दिन चैनल के लुक फील पर काम कर रहे हैं। उनके साथ बड़ी प्रोफेशनल टीम है। इंडस्ट्री के कुछ बड़े चेहरे भी न्यूज इंडिया की स्क्रीन पर नजर आएंगे।
12 अगस्त की रात 9 बजे ज़ी हिन्दुस्तान के सुपर प्राइम टाइम शो राष्ट्रवाद की स्क्रीन पर सरफराज सैफी नज़र नहीं आये। राष्ट्रवाद शो को पसंद करने वालों को ‘मैं सरफराज सैफ़ी…’ वाला अंदाज नहीं दिखा वो तेवर नही दिखे । 7 दिसंबर 2020 को ज़ी हिन्दुस्तान री लॉन्च हुआ था उसी दिन ज़ी हिंदुस्तान का सुपर प्राइम टाइम शो सरफराज सैफी के साथ राष्ट्रवाद शो लॉन्च हुआ, तब से एक दिन भी ऐसा नहीं रहा… जब रात 9 बजे सरफराज सैफी ज़ी हिन्दुस्तान की स्क्रीन पर मौजूद न रहे हों।
तो क्या ज़ी हिन्दुस्तान से सरफराज सैफी ने नाता तोड़ लिया है..?… तो क्या जी हिन्दुस्तान के शो राष्ट्रवाद से सरफराज सैफी ने नाता तोड़ लिया है… तो क्या सरफराज सैफी ने ज़ी हिन्दुस्तान से इस्तीफा दे दिया है… आखिर अचानक क्यों सरफराज सैफी और राष्ट्रवाद की ये जुगलबंदी टूट गई है… मीडिया के दिग्गजों से लेकर नोएडा फिल्म सिटी में बस इसी बात की चर्चा है कि आखिर ये क्या हुआ… हमारी टीम ने भी इन सभी सवालों का जवाब तलाशने के लिए सरफराज सैफी से संपर्क करने की कोशिश की… लेकिन अभी तक बात नहीं हो पाई है…
आपको बता दें सरफराज सैफी ज़ी हिन्दुस्तान के री लॉन्चिंग पर पहले दिन रात 9 बजे राष्ट्रवाद शो कर रहे थे… बुलंद आवाज़ के मालिक सरफराज़ अपने अंदाज अल्फाज और तेवरों से सरफराज सैफी ने इस शो को नई धार दी…चैनल को नई पहचान दी प्राइम टाइम के कड़े मुकाबले में बड़े बड़े दिग्गज चेहरों के बीच सरफराज सैफी ने न केवल अपनी जगह बनाई बल्कि आम जनता की जुबान पर भी चढ़ गए… लोगों के जेहन में बस गए… ‘मैं सरफराज सैफी… ‘ फिलहाल खामोश हैं पर उनकी चर्चा हर तरफ हो रही है… हर कोई जानना चाहता है… सरफराज के राष्ट्रवादी तेवर अब कब… कहां… ?
राष्ट्रवाद की सफलता का जश्न हुआ और फिर सरफराज शो से गायब!
sarfaraz saifi anchor with shamsher singh editor zee hindustan
जी हिंदुस्तान के बहुचर्चित कार्यक्रम ‘राष्ट्रवाद’ के सफलतापूर्वक 200 दिन पूरे होने पर जी हिंदुस्तान में हाल ही में जश्न भी हुआ था। केक काटकर सेलिब्रेट किया गया था। फिर अचानक सरफराज स्क्रीन से गायब कैसे हो गए। सरफराज के करीबी बताते हैं कि सात महीनों के दौरान उसने राष्ट्रवाद को दिन-रात जीया है, वो सुबह से शाम तक इसी शो की फिक्र में जुटे रहते कैसे हिट हो अलग अलग तरिके निकाल कर शो हिट करते थे। वो आउटडोर होते तो भी अपना शो वहीं से करते। कभी बीमार भी पड़ जाते तो अपने एंकर लिंक करने की जिद ठान बैठते ये सरफ़राज़ का जूनून है काम को लेकर ना कभी वीकली ऑफ, ना कभी छुट्टी… ये लगन और मेहनत ही थी कि राष्ट्रवाद ने कुछ महीने में देश मे एक नई पहचान बनाई जिसका फायदा जी हिंदुस्तान को हुआ घर घर चैनेल देखा जाने लगा।
खबरों के मुताबिक ज़ी हिन्दुस्तान में रात 9 बजे के शो के लिए बेस्ट और बड़ी टीम बनाई गई, ग्राफिक्स से लेकर प्रमोशन तक हर बात का खयाल रखा गया। डेली प्रोमो के साथ सरफराज के स्पेशल प्रोमो बने। हाल के दिनों में बज टाइम्स नाउ नवभारत ने राष्ट्रवाद के नाम से शो लॉन्च किया तो काफी विवाद भी हुआ। ज़ी हिन्दुस्तान के मैनेजिंग एडिटर शमशेर सिंह और उनकी टीम ने राष्ट्रवाद का नाम चोरी हो जाने को लेकर तल्ख टिप्पणियां की। टाइमस ग्रुप जाने से लेकर अलग अलग चर्चा जोर शोर से चल रही है कोई कह रहा है वो वापस अपनी पुरानी दुनिया कॉरपोरेट में चले गए है। अब स्कीन पर नही दिखाई देंगे कोई ये कह रहा है वो किसी नए बेंचर के साथ आ रहे है अब सवाल ये उठ रहा है कि आखिर राष्ट्रवाद का मेन एंकर सरफराज सैफी कहां है..?
आपको बता दे सरफ़राज़ सैफ़ी लगभग 19 साल से मीडिया में काम कर रहे है और टीवी इंडस्ट्री इंटर्न के तौर पर कैरियर शुरू किया कई मीडिया हाउस में बड़े बड़े ओहदों पर काम है टेलीविजन में एक तेज़तर्रार एंकर और स्मार्ट वर्क के लिए मशहूर सरफ़राज़ ने एक अलग पहचान बनाई है उनकी राजनीतिक गलियारो से लेकर ब्यूरोक्रेसी पर शानदार पकड़ मानी जाती है क्योंकि लंबे समय तक क्राइम कवर करते रहे, कई मीडिया हाउस में वाईस प्रेसीडेंट कॉरपोरेट की ज़िम्मेदारी निभा चुके है देश विदेश के दर्जनों अवार्ड उनको मिल चुके है।
न्यूज इंडिया के साथ एंकर करुण कुमार की नयी पारी – Anchor Karun Kumar with News India in Hindi
ज़ी न्यूज़, आजतक, एनडीटीवी, इंडिया टीवी और न्यूज़ नेशन की शानदार 8 साल की पारी के बाद जल्द ही वरिष्ठ पत्रकार और जाने-माने न्यूज़ एंकर करूण कुमार की नई इनिंग न्यूज़ इंडिया के साथ शुरू हो रही है। ख़बर है करूण कुमार को न्यूज़ इंडिया में डिप्टी एक्सक्यूटिव प्रोड्यूसर की जिम्मेदारी सौंपी गई और मैनेजिंग एडिटर पशुपति शर्मा की ज्वाइनिंग के बाद करूण कुमार का टीम में आना न्यूज़ इंडिया के लिए एक बड़ी कामयाबी है।
एंकर करुण कुमार का परिचय – Anchor Karun Kumar Introduction in Hindi
बिहार की राजधानी पटना के रहने वाले करूण कुमार ने 1997 में आकाशवाणी पटना से बतौर अनाउंसर- न्यूज़ रीडर अपने करियर की शुरुआत की थी। 1998 में जब दिल्ली में उस वक्त के इकलौते 24 घंटे के न्यूज चैनल टीवीआई की शुरुआत हुई तो करूण कुमार उस टीम का हिस्सा भी रहे। करूण कुमार ने बतौर न्यूज़ एंकर अपनी स्टाइल बनाई, अपनी पहचान बनाई। चीख-चिल्लाहट से दूर वो संजीदा तरीके से न्यूज दर्शकों तक पहुंचाते हैं और दर्शकों के साथ एक सीधा कनेक्ट बनाते हैं।
करुण कुमार 2000 में जैन न्यूज़ गए और वहां भी बेहतर पारी खेली। स्पोर्ट्स में गहरी रूचि रखने वाले करुण कुमार ने ज़ी न्यूज़, आजतक में बेहतरीन पारियां खेली हैं। वो स्टूडियो तक खुद को कैद नहीं रखते बल्कि जब भी मौका मिलता है कैमरा और ट्राईपोड उठाकर टीम के साथ फील्ड रिपोर्टिंग के लिए निकल पड़ते हैं।
करूण कुमार ने 2006 में एनडीटीवी इंडिया ज्वाइन किया। यहां उन्होंने न्यूज़ इंडस्ट्री की कई बारीकियां सीखीं। यहां का सबसे यादगार लम्हा 2008 में अंडर 19 वर्ल्ड कप कवर करना रहा जिसमें विराट कोहली की अगुआई में भारत ने क्वालालंपुर में ट्रॉफी जीती। करूण कुमार टीम इंडिया के साथ ही घर लौटे। इस फ्लाइट में सिर्फ दो ही पत्रकार थे, करूण कुमार और उनके वीडियो जर्नलिस्ट साथी।
करूण कुमार इंडिया टीवी, न्यूज एक्सप्रेस में छोटी पारियों के बाद 2012 में न्यूज नेशन चैनल आए तो यहां डट गए। आप न्यूज नेशन की लॉन्चिंग टीम का हिस्सा रहे। स्पोर्ट्स हेड के तौर पर आपने कई सारे प्रयोग किए और न्यूज नेशन के अलहदा दिखने में अपनी अहम भूमिका निभाई। न्यूज नेशन में करीब 8 साल की लंबी पारी के दौरान आपने ऑस्ट्रेलिया में 2015 में आयोजित क्रिकेट वर्ल्ड कप कवरेज की, सचिन तेंदुलकर का फेयरवेल मैच और उनके इंटरव्यू की यादें आपको आज भी रोमांचित कर जाती हैं।
अब एक बार फिर करुण कुमार एक नए चैनल न्यूज़ इंडिया की लॉन्चिंग टीम के साथ जुड़ गए हैं। उनका एक ही संकल्प है… कामयाबी की नई इबारत लिखेंगे, मीडिया इंडस्ट्री का एक मजबूत स्तंभ बनेंगे।
न्यूज इंडिया (News India) के लॉन्च (Launch) होने की खबर से परेशान इंडिया न्यूज (India News) !
हिन्दी का एक नया चैनल न्यूज इंडिया पूरे जोर-शोर के साथ लॉन्च होने वाला है। फिल्मसिटी (Filmcity) में दफ्तर बन गया है। मैनेजिंग एडिटर के पद पर जी हिंदुस्तान से आए वरिष्ठ पत्रकार पशुपति शर्मा (Pashupati Sharma) ज्वाइन कर चुके हैं। उसके अलावा भी कई धाकड़ लोग चैनल के साथ जुड़े हैं और यह सिलसिला जारी है। चैनल के कंटेन्ट की योजना भी चरम पर है। सूत्रों की माने तो चैनल ने समाचार चैनलों की दुनिया में अपनी जगह बनाने के लिए कई नए कान्सेप्ट (concept) पर आधारित कार्यक्रमों की रूपरेखा भी तैयार कर ली है और चैनल लॉन्च होते ही इनका प्रसारण शुरू हो जाएगा। न्यूज इंडिया की इन तैयारियों को देखते हुए टेलीविजन न्यूज की दुनिया में हलचल तेज है। चर्चा-परिचर्चा और गॉसिप का दौर तेज है।
न्यूज इंडिया और इंडिया न्यूज में नाम का टकराव
न्यूज इंडिया और इंडिया न्यूज एक से ही नाम प्रतीत होते हैं। अंतर के नाम पर सिर्फ इतना है कि एक का इंडिया आगे है और न्यूज पीछे तो दूसरे का न्यूज आगे और इंडिया पीछे है। बहरहाल इतना तो तय है कि नाम को लेकर दर्शकों को असमंजस जरूर होगा। ऐसे में न्यूज इंडिया को तो इसका फायदा मिलेगा, लेकिन इंडिया न्यूज को घाटा होगा। वैसे भी नाम के लिए संघर्षरत इस चैनल की हालत पहले से ही दयनीय है।
न्यूज इंडिया के आने से इंडिया न्यूज की पहचान का संकट गहराएगा
इंडिया न्यूज अपने लांचिंग के समय से ही पहचान के संकट से गुजर रहा है। लेकिन उसका यह संकट घटने की बजाए बढ़ता ही रहा। दीपक चौरसिया (Deepak Chaurasia) जैसे दिग्गजों को भी चैनल ने आजमाया, लेकिन बात फिर भी नहीं बनी। दीपक चौरसिया के फेस वैल्यू (Face Value) से जो दर्शक इंडिया न्यूज के स्क्रीन पर खींचे थे वो दीपक के जाते ही उनके साथ दूसरे चैनल के स्क्रीन पर शिफ्ट हो गए। ऐसे में पहचान का संकट जस-का-तस यूँ ही बना रहा। ऐसे में मिलते-जुलते नाम वाले चैनल न्यूज इंडिया के आने से इंडिया न्यूज के पहचान का संकट और अधिक गहरा जाएगा। यदि न्यूज इंडिया ने सालभर में दर्शकों के बीच अपनी थोड़ी सी भी पैठ बना ली तो फिर इंडिया न्यूज के सामने अस्तित्व का संकट खड़ा होना तय है। इंडिया न्यूज की दिक्कत है कि उसके काफी बाद आए समाचार चैनलों (रिपब्लिक भारत, टीवी9, न्यूज नेशन) ने न केवल अपनी पहचान बनाई , बल्कि टीआरपी (TRP) चार्ट में भी उनका प्रदर्शन इंडिया न्यूज से कहीं बेहतर रहा।
इंडिया टीवी (India TV) और इंडिया न्यूज (India News) में नाम के टकराव का इतिहास
इंडिया टीवी और इंडिया न्यूज दो अलग – अलग नाम है। लेकिन उसके बावजूद दर्शक कन्फ्यूज हुए। इसका फायदा उस व्यक्त इंडिया न्यूज ने उठाया था। अब इतिहास फिर से एक बार अपने आप को दुहरा रहा है। लेकिन इस बार संकट इंडिया न्यूज के लिए न्यूज इंडिया लेकर आ रहा है। देखते हैं कि इस चुनौती का सामना इंडिया न्यूज कैसे करता है?