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दैनिक जागरण-मुजफ्फरपुर में छंटनी, मास्क पहनकर धरने पर बैठे कर्मचारी

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दैनिक जागरण-मुजफ्फरपुर में प्र. मोदी की बातों की अवहेलना, लॉकडाउन में कर्मचारियों को निकाला गया

मुजफ्फरपुर (बिहार) – कोरोना वायरस के वैश्विक महामारी के कारण विश्व के कई देशों में लॉक डाउन की स्थिति बनी हुई है, भारत में भी कई दिनों से लॉक डाउन चल रहा है जिसके कारण गरीब और जरूरतमंद तबके के लोग काफी परेशान है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन्हीं बातों को ध्यान में रखकर सभी सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं को यह निर्देश दिया है कि इस परिस्थिति में आप अपने किसी भी कर्मचारी को संस्था से नहीं हटाए लेकिन प्रधानमंत्री मोदी के निर्देशों की धज्जियां मीडिया हाउसेस में भी उड़ाई जा रही हैं.

ताजा मामला बिहार के मुजफ्फरपुर का है जहां के जाने-माने अखबार दैनिक जागरण ने अपने कई चतुर्थवर्गीय कर्मचारियों को लॉक डाउन में घर बैठने का आदेश दे दिया. और उन्हें कंपनी से हटा दिया. इन सभी कर्मचारियों में उन तबके के लोग हैं जो पारिवारिक रूप से कमजोर है. इनमें सफाई कर्मी, ट्रक ड्राइवर और प्यून आदि शामिल है.

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कर्मचारियों का कहना है कि 17 अप्रैल को संस्थान ने उन्हें घर बैठने के लिए कह दिया और कहा कि लॉक डाउन के बाद अगर जरूरत पड़ेगी तो उन्हें बुला लिया जाएगा.

समाज को लंबा चौडा़ निर्देश देने का काम करने वाली संस्थाएं ही जब ऐसा करेंगी तो आम संस्थाओं की बात हीं छोड़ दीजिए.

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मुंबई के दो दर्जन से अधिक पत्रकार कोरोना पॉजिटिव

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मुंबई के कई पत्रकार कोरोना पॉजिटिव

कोरोनावायरस की रिपोर्टिंग करने वाले पत्रकारों के लिए खतरे की घंटी है। उन्हें और सावधान होकर तमाम एहतियात के साथ रिपोर्टिंग करनी होगी। मुंबई से खबर आ रही है कि यहाँ के 30 मीडियाकर्मियों को कोरोना पॉजिटिव पाया गया है, जिनमें से अधिकतर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से जुड़े हुए हैं।

पत्रकारों की एक एसोसिएशन के पदाधिकारी ने सोमवार को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि पिछले सप्ताह यहां आयोजित एक विशेष शिविर में मीडियाकर्मियों का परीक्षण किया गया, जिसमें कम से कम 30 पत्रकार कोरोना संक्रमित पाए गए।

टीवी जर्नलिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष विनोद जगदाले ने आईएएनएस से इसकी पुष्टि की। उन्होंने कहा कि अभी तक प्राप्त परीक्षण रिपोर्ट की संख्या उपलब्ध नहीं है, मगर कम से कम 30 पत्रकार कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। विनोद ने कहा कि इस आंकड़े के और भी ऊपर जाने की आशंका है।

बृहन्मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) के एक अधिकारी ने कहा कि अधिकांश मामलों में कोई लक्षण देखने को नहीं मिले हैं और अब इन सभी को घरों में ही एकांतवास में भेजा गया है। उन्होंने बताया कि अन्य लोगों की टेस्ट रिपोर्ट आनी अभी बाकी है।

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टीवी पत्रकारों के एसोसिएशन, मंत्रालय और अन्य रिपोर्टर्स एसोसिएशन के अनुरोध के बाद मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने बीएमसी को मीडियाकर्मियों के लिए विशेष स्क्रीनिंग शिविर आयोजित करने का निर्देश दिया था।

शिवसेना सांसद प्रियंका चतुवेर्दी द्वारा समन्वित यह शिविर मुंबई प्रेस क्लब के पास 16 व 17 अप्रैल को लगाया गया था, जिसमें पत्रकारों और छायाकारों (फोटो जर्नलिस्ट) सहित 171 मीडियाकर्मियों की स्क्रीनिंग की गई थी। अब इनकी रिपोर्ट आनी शुरू हो गई हैं।

इस दौरान उन मीडियाकर्मी को विशेष टिप्स भी दी गईं, जो रिपोर्टिंग के लिए विभिन्न क्षेत्रों का दौरा करते हैं। कोरोना महामारी के मद्देनजर उन्हें सार्वजनिक स्थानों पर अपनी व्यक्तिगत सुरक्षा सुनिश्चित करने, मास्क पहनने, सैनिटाइजर का उपयोग करने आदि के बारे में टिप्स दिए गए। (एजेंसी)

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कोरोना से युद्ध में दूरदर्शन को रामायण का सहारा

दूरदर्शन पर पुराने लोकप्रिय धारावाहिक

लॉकडाउन के दौरान डीडी नेशनल और डीडी भारती पर अपने पुराने प्रतिष्ठित धारावाहिकों के फिर से प्रसारण के साथ, दूरदर्शन ने फिर से भारतीयों के दिल में राष्ट्रीय प्रसारक के रूप में अपनी स्थिति मजबूत कर ली है।ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल इंडिया (बार्क) की हालिया रिपोर्ट के अनुसार दूरदर्शन ने पुराने क्लासिक कार्यक्रमों को प्रसारित करके लोगों को घर पर खुद को रखने में मदद करने का अपना उद्देश्य हासिल किया है। बार्क के मुताबिक रामायण के पुन: प्रसारण ने 2015 के बाद से एक हिंदी जीईसी शो के लिए उच्चतम रेटिंग हासिल की है।

कोविड-19 के प्रकोप से निपटने के लिए 21 दिनों के लिए देशव्यापी लॉकडाउन के मद्देनजर, लोक सेवा प्रसारक ने 80 के दशक के पौराणिक धारावाहिकों- ‘रामायण’ और ‘महाभारत’ को फिर से प्रसारित करने का फैसला किया है। इन पौराणिक धारावाहिकों के पुन: प्रसारण के लिए सार्वजनिक रूप से मांग की गई थी। यह निर्णय दर्शकों को घर पर आकर्षक मनोरंजन मुहैया कराने के लिए लिया गया था। इसी तरह, सार्वजनिक मांग के आधार पर, लोक प्रसारक ने महाभारत के साथ अपने कुछ अन्य प्रसिद्ध धारावाहिकों मसलन शक्तिमान, श्रीमन श्रीमती, चाणक्य, देख भाई देख, बुनियाद, सर्कस और ब्योमकेश बख्शी को डीडी नेशनल पर भी पेश किया है। साथ ही डीडी भारती पर अलिफ लैला और उपनिषद गंगा का भी प्रसारण किया जा रहा है।

डीडी नेशनल पर 28 मार्च 2020 से दोनों पौराणिक धारावाहिकों- ‘रामायण’ और ‘महाभारत’ का प्रसारण किया गया था। दोनों पौराणिक धारावाहिकों के दो एपिसोड रोज प्रसारित किए जा रहे हैं। इनके प्रसारण के शुरू होते ही सोशल मीडिया पर बड़े बड़े हस्तियों ने इस फैसले की तारीफ की। प्रसारण के बाद इन प्रतिष्ठित धारावाहिकों के सभी स्टार कलाकारों ने दूरदर्शन के प्रयासों की प्रशंसा करते हुए अपने स्वयं के वीडियो और टिप्पणियां पोस्ट करना शुरू कर दिया है और लोगों से उन्हें फिर से टेलीविजन पर देखने की अपील की है। डीडी नेशनल पर रोजाना सुबह 9 बजे और रात में 9 बजे ‘रामायण’ का बिना दोहराव के प्रसारण होता है। इसी तरह दूरदर्शन पर ‘महाभारत’ रोजाना दिन में 12 बजे और शाम 7 बजे प्रसारित होता है। डीडी नेशनल पर दोपहर में मनोरंजक धारावाहिकों का दौर शुरू होता है। दोपहर बाद 3 बजे सर्कस, 4 बजे श्रीमान श्रीमती, 5 बजे बुनियाद का प्रसारण होता है। इसी तरह शाम में 6 बजे देख भाई देख, 8 बजे शक्तिमान, 9 बजे रामायण और रात में 10 बजे चाणक्य प्रसारित होता है। डीडी भारती पर सुबह 10.30 बजे आलिफ लैला और शाम 6 बजे उपनिषद गंगा का प्रसारण किया जाता है।

दूरदर्शन के पुराने कार्यक्रमों में दिलचस्पी और संभावित दर्शकों की महत्वपूर्ण वृद्धि ने भारत के सार्वजनिक ब्रॉडकास्टर को देशव्यापी लॉकडाउन को सफल बनाने के लिए अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करने में सक्षम बनाया है।

टीवी पर कोरोना प्रभाव, रिपोर्टरों को रहता है स्वास्थ्य मंत्रालय की प्रेस वार्ता का इंतजार

लव अग्रवाल, स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव

टीवी चैनलों पर स्वास्थ्य की खबरे लम्बे समय से लापता थी. कोरोनावायरस के संक्रमण ने हेल्थ रिपोर्टिंग को एक नया आयाम दे दिया.अब हरेक रिपोर्टर को स्वास्थ्य मंत्रालय प्रेस वार्ता का इन्तजार होता है.

देश में कोरोना वायरस के गहराते संकट के बीच आजकल मोदी सरकार के एक आईएएस अफसर की प्रेस कान्फ्रेंस का हर रोज सबको इंतजार रहता है। ये आईएएस अफसर कोई और नहीं, स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल हैं। इन दिनों अक्सर वह शाम चार बजे नेशनल मीडिया सेंटर पर प्रेस कान्फ्रेंस कर देश को कोरोना का ताजा हाल सुनाते हैं। मसलन, देश में अब तक कितने लोग कोरोना संक्रमण का शिकार हुए, कितनी मौतें हुईं और सरकार क्या कर रही है, जनता को क्या करना चाहिए।

आंध्र प्रदेश में शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में काम करने के बाद स्वास्थ्य मंत्रालय में अहम भूमिका निभा रहे लव अग्रवाल की पहचान इनोवेटिव आईएएस अफसर की रही है। उनके साथ काम कर चुके लोग बताते हैं कि टेक्नोलॉजी की मदद से स्वास्थ्य सिस्टम को सुधारने में लव अग्रवाल रुचि लेते हैं। वह ऐसे अफसर हैं, जो स्वास्थ्य क्षेत्र में जागरूकता को बहुत जरूरी मानते हैं।

मूलत: उत्तर प्रदेश के सहारनपुर के रहने वाले लव अग्रवाल आंध्र प्रदेश काडर के आईएएस अफसर हैं। वह आईआइटियन भी हैं। आईआईटी-दिल्ली से 1993 में मैकेनिकल इंजीनियरिंग करने के बाद लव ने बाद में सिविल सर्विसेज परीक्षा पास की। 1996 में उन्हें आंध्र प्रदेश काडर मिला। आंध्र प्रदेश में माध्यमिक शिक्षा विभाग के वह निदेशक रहे। उन्होंने वहां शिक्षा के साथ स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी काम किया। वह आंध्र प्रदेश में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के आयुक्त भी रहे।

शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में लीक से हटकर चलाई गई कई योजनाओं से कारण लव अग्रवाल सुर्खियों में रहे। वर्ष 2016 के बाद लव अग्रवाल को लगा कि केंद्र सरकार में काम करना चाहिए। उन्होंने प्रतिनियुक्ति मांग ली। अच्छा ट्रैक रिकॉर्ड रहा है, इसलिए प्रतिनियुक्ति का रास्ता साफ हुआ और मोदी सरकार ने उन्हें 28 अगस्त, 2016 को स्वास्थ्य मंत्रालय में संयुक्त सचिव (जेएस) बनाया। इस पद पर उनकी नियुक्ति पांच साल के लिए हुई है। यानी वह 2021 तक इस पद की जिम्मेदारी निभा सकते हैं।

46 वर्षीय लव अग्रवाल के जिम्मे स्वास्थ्य मंत्रालय में ग्लोबल हेल्थ, मेंटल हेल्थ, टेक्नोलॉजी, पब्लिक पॉलिसी की जिम्मेदारी है। लव लीक से हटकर काम करने और योजनाओं को सही तरीके से जनता के बीच ले जाने में रुचि लेते हैं। मोदी सरकार उन्हें कई अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भारत का पक्ष रखने का मौका दे चुकी है। वह विश्व स्वास्थ्य की दिशा में अंतर्राष्ट्रीय स्तर के कई मंचों पर भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।

लव अग्रवाल ने इस साल जनवरी में जी20 देशों के हेल्थ वर्किं ग ग्रुप के सम्मेलन में मोदी सरकार की आयुष्मान भारत योजना का प्रजेंटेशन दिया था। लव जी20 देशों के लिए डिजिटल हेल्थ टास्क फोर्स बनाने की भी वकालत कर चुके हैं।

मंत्रालय सूत्रों का कहना है कि स्वास्थ्य क्षेत्र में कई देशों के साथ सहयोग और करार करने में भी लव अग्रवाल अहम भूमिका निभा चुके हैं। पिछले साल उन्होंने स्वास्थ्य सचिव डॉ. प्रीति सूदन के साथ ‘यूएस इंडिया हेल्थ डॉयलाग’ में भी शामिल रहे। (एजेंसी)

मोदी ने लॉकडाउन करके क्या गलत किया?

माननीय प्रधानमंत्री ने संपूर्ण लॉकडाउन से पहले देश के शीर्ष डॉक्टर्स, आईसीएमआर के अधिकारियों, मंत्रियों, मीडिया मुगलों से चर्चा कर ली थी, लेकिन काश लाखों मजदूरों के भविष्य के बारे में वह विचार कर लेते तो आज ये स्थिति नहीं बनती। लाखों की संख्या में नौकर-मजदूर वर्ग अपने गांवों की ओर पलायन कर रहा है। बिना किसी सुरक्षा, सुविधा और सावधानी के कस्बों-गांवों में पहुंचते इन लाखों लोगों में अगर किसी को भी वायरस हुआ, तो कल्पना करना मुश्किल होगा कि सुदूर गांवों में क्या हालत बनेगी। हम और आप अपने-अपने घर में आने वाले छह महीनों का राशन भरे बैठे हैं, लेकिन जिसके पास अगले तीन दिन खाने का इंतजाम नहीं उसकी भी प्रधानमंत्री सोच लेते तो बड़ी मेहरबानी होती। ईश्वर न करे कि महामारी गांव-कस्बों में दस्तक दे, लेकिन अगर ऐसा हो गया तो इसके जिम्मेदार देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी होंगे।

1. लॉकडाउन ही उपाय था। मोदी ने लॉकडाउन करके क्या गलत किया?
– बिल्कुल सही और जरूरी कदम है लॉकडाउन। पर क्या प्रधानमंत्री जी को नहीं मालूम था कि वह लॉकडाउन करने वाले हैं। क्या उन्हें नहीं मालूम था कि लॉकडाउन के बाद क्या स्थिति बन सकती है?

2. देश को बचाने के लिए ठोस निर्णय लेने होते हैं, और इंतजार करते तो स्थिति बद से बदतर हो जाती।
– सही बात है, लेकिन जनवरी के आखिर में केरल में केस मिला, मार्च के पहले सप्ताह में देश में और भी मामले सामने आना शुरू हुए तब ठोस उपायों पर सोचना चाहिए था। तैयारी जैसी भी कोई चीज होती है, काश मोदी जी की टीम ने तैयारी की होती।

3. बीमारी की गंभीरता पहले समझ नहीं आती। ऐसे में क्या उपाय था?
– कोरोना टेस्ट किट बनाने वाली निजी एजेंसियों ने दो महीने पहले से किट पर काम शुरू कर दिया था। उन्हें मालूम था कि देश में गंभीर परिस्थितियां बनने वाली हैं। फिर क्या सरकार को इसकी जरा भी भनक नहीं थी?

4. मोदी जी ने ट्वीट करके लोगों से मार्मिक अपील की कि यात्रा न करें, गांवों की ओर न लौटें। भारत के लोग ही समझदार नहीं है, तो इसमें मोदी की क्या गलती है?
– मोदी जी देश के ही प्रधानमंत्री हैं, देश की नब्ज़ समझते हैं। उन्हें मालूम होना चाहिए था कि जब काम बंद हो जाएगा तो मजदूर कहां जाएगा, खाने के लिए नहीं होगा तो क्या करेगा। जाने का साधन नहीं होगा, तो पैदल जाएगा।

5. तो अब क्या उपाय है?
– उपाय है, अगर सरकार वाकई चाहे तो! जो जहां है..उसे नज़दीकी जिला मुख्यालय, हॉस्टल, रैन बसेरों, धर्मशालाओं….जहां जैसी सुविधा हो रोककर, क्वारेंटीन करके खाने-पीने की व्यवस्था की जाए। सुरक्षा-सावधानी से अपने-अपने घरों की ओर ले जाने की व्यवस्था की जाए। (रोमेश साहू के एफबी वॉल से साभार)

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