प्रेस विज्ञप्ति
भोपाल, 26 मई । सिंगापुर की कुल आबादी में लगभग 10 प्रतिशत भारतीय मूल के लोग हैं। आज सिंगापुर के उप प्रधानमंत्री, विधि मंत्री, रिजर्व बैंक के गवर्नर और चीफ आफ आर्मी भारतीय मूल के हैं। विभिन्न देशों में 6 एम्बेसडर भी भारतीय हैं। भारतीयों ने सिंगापुर में व्यापार एवं वाणिज्यिक क्षेत्र में बड़ा विस्तार किया है। आज टेलीकाम, बैंकिंग एवं पर्यटन के क्षेत्र में भारतीयों ने विशेष स्थान हासिल किया है। यह विचार आज माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में सिंगापुर के कौंसिल जनरल श्री अजीत सिंह ने व्यक्त किये।
श्री अजीत सिंह अपने भोपाल प्रवास के दौरान आज पत्रकारिता विश्वविद्यालय के शिक्षकों, अधिकारियों एवं तकनीकी स्टाफ को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आज प्रोफेशनल्स विशेषकर दक्षिण भारतीय लोगों की नौकरी एवं व्यावसाय के क्षेत्र में पहली इच्छा सिंगापुर में जाकर काम करने की होती है। बैंकिंग एवं आई.टी. के क्षेत्र में भारतीय सिंगापुर में अपना विशेष स्थान बना रहे हैं। सिंगापुर के शिक्षा के क्षेत्र में कार्य कर रही संस्थाएँ भारतीय शिक्षा संस्थाओं एवं विश्वविद्यालयों के साथ मिलकर संयुक्त अकादमिक पाठ्यक्रम संचालित करना चाहती हैं परन्तु इसमें सबसे बड़ी समस्या पूँजी, पाठ्यक्रमों की गुणवत्ता एवं भारतीय शिक्षा संस्थाओं की रैंकिंग को लेकर आती है। इसे दूर कर उच्च शिक्षा विशेषकर तकनीकी शिक्षा की दिशा में अच्छा कार्य किया जा सकता है। मीडिया के क्षेत्र में भी सिंगापुर में अच्छा कार्य हो रहा है। नानयांग्य टेक्नालाजिकल युनिवर्सिटी सिंगापुर का मीडिया अध्ययन विभाग पूरी दुनिया में प्रतिष्ठित है। श्री अजीत सिंह ने पत्रकारिता विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रमों की तारीफ करते हुये कहा कि यहाँ सिर्फ पत्रकारिता के पाठ्यक्रम न चलाकर समग्र मीडिया अध्ययन, संचार, मीडिया प्रबंधन, ग्राफिक्स एवं ऐनीमेशन जैसे पाठ्यक्रम भी चलाये जा रहे हैं साथ ही इस क्षेत्र में शोध भी हो रहा है, यह बड़े गौरव की बात है।
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बृज किशोर कुठियाला ने कहा कि सिंगापुर छोटा-सा देश है परंतु उसका लोकतंत्र, अनुशासन, व्यापार-वाणिज्य एवं इस क्षेत्र में लगा मानव संसाधन, बैंकिंग, पर्यटन पूरी दुनिया के लिये प्रेरणा का स्रोत रहा है। सिंगापुर दुनिया में सबसे ज्यादा इंटरनेट का उपयोग करने वाला देश है। हमारे देश के युवाओं को इन क्षेत्रों में कार्य कर रहे सिंगापुरवासियों से प्रेरणा लेना चाहिए। हमारा विश्वविद्यालय यह प्रयास करेगा कि हम गेमिंग, ऐनीमेशन, मल्टीमीडिया, प्रिंटिंग एवं आई.टी. क्षेत्रों में सिंगापुर शिक्षण संस्थाओं के साथ मिलकर संयुक्त अकादमिक पाठ्यक्रम, कॉन्फ्रेंस, सेमिनार आयोजित कर सके।
(डा. पवित्र श्रीवास्तव)