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एंकर महोदय गृहमंत्री पर रहम खाएं !

anhcor-terror

जब भी न्यूज़ चैनल देखती हूं तो एक बात मुझे बहुत परेशान करती है। हमारे देश में ग्रहमंत्री का नया पद कब और कैसे पैदा हो गया? ग्रह मंत्रालय, ग्रहमंत्री सुन-सुन कर हैरानी होती है। ‘प्लैनेट मिनिस्ट्री’ नाम का कोई मंत्रालय तो हमारे देश में बना नहीं है, फिर यह ग्रहमंत्री कहां से आए?

अब इन ग्रहमंत्री का नाम भी सुन लीजिए… वर्तमान ग्रहमंत्री हैं सुशील कुमार शिंदे जी।

अब आप सोचेंगे यह तो ‘होम मिनिस्टर’ हैं, लेकिन बड़े से बड़े जानकार ऐंकर के मुंह से अंग्रेजी के होम मिनिस्टर के लिए हिंदी में ग्रहमंत्री का उच्चारण सुनने को मिलता है।

हिंदी का अक्षर ‘ऋ’ तो गायब ही हो गया है। ग में ऋ के जुड़ने से बनता है ‘गृ’, लेकिन बहुत से लोग इसका उच्चारण ‘ग्र’ करते हैं। भई ‘ऋ’ से ऐसा भी क्या बैर! पहले ऋतु लिखते थे, अब ‘र’ में ‘इ’ की मात्रा लगा कर रितु लिख लेते हैं। ऐसे बहुत से शब्द हैं, जहां से ‘ऋ’ गायब होता जा रहा है।

चमेली देवी जैन अवार्ड के लिए आवेदन आमंत्रित

2012-13 के लिए चमेली देवी जैन अवार्ड के लिए मीडिया फाउन्डेशन ने आवेदन आमंत्रित किया है. चमेली देवी जैन अवार्ड महिला पत्रकारों को दिया जाता है जिन्होंने अपने – अपने क्षेत्र में बेहतरीन काम किया हो. 18 फरवरी आवेदन करने के लिए अंतिम तिथि है. पूरी जानकारी इस तरह से है :

Nominations for Chameli Devi Jain Award 2012-13

The Media Foundation is pleased to invite nominations for its annual Chameli Devi Jain Awards for an Outstanding Woman Mediaperson for 2012-13.

Journalists in the print, broadcast and current affairs documentary film media are eligible, including photographers, cartoonists and newspaper designers. Names and addresses of sponsors or references should be clearly mentioned with email and phone numbers.

रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स की ताजा सूची में भारतीय मीडिया की भद पिटी

सोशल मीडिया पर रोक और वेबसाइटों पर पाबंदी लगाने की भारत की धमकी के बाद अंतरराष्ट्रीय मीडिया रैंकिंग में यह 140वें नंबर पर गिर गया है. रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स की ताजा सूची में पाकिस्तान 159वें नंबर पर है.

भारत में आम तौर पर मीडिया को आजाद कहा जाता है लेकिन अंतरराष्ट्रीय संस्था का मानना है कि यह आजादी सिर्फ कहने के लिए है. उसने भारत को अफ्रीकी और अरब के देशों से भी नीचे रखा है. यहां तक कि अफगानिस्तान का नंबर भी भारत से ऊपर है.

सूची जारी करते हुए रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स के महासचिव क्रिस्टॉफ डेलोयर ने कहा, “प्रेस फ्रीडम इंडेक्स जारी करते हुए राजनीतिक व्यवस्था को ध्यान में नहीं रखा जाता है, लेकिन यह साफ है कि लोकतंत्र में प्रेस की आजादी की ज्यादा सुरक्षा होती है. वे ज्यादा सटीक खबरें दे पाते हैं और उन मुद्दों को भी उठा पाते हैं, जहां मानवाधिकार का उल्लंघन हो रहा हो.”

Listen Mr HT Editor. Your lens man abuses common men

It seems the photo journalist of HT Patna Edition has no manner and he understands himself above the law and order of the country. That uncivilized photo journalist does not know the ethical boundary that how a person particularly a journalist should behave restraining himself.

I identified him at first sight but do not know his exact name because he soon after abusing me and three other persons including an auto rickshaw driver fled from the crowd and was trying to park his motorcycle in the stand of HT campus. As the incident goes it was almost 3:25 afternoon today.

I and three more persons were in an auto rickshaw which got stuck in a traffic snarl up just beside the precinct of HT building in the way to going Patna Junction. Suddenly a motorcycle borne person carrying camera bag on his shoulder came from behind auto and showered filthy language like mother fucker and sister fucker.

अरुण कुमार अग्रवाल : खबरनवीसों की खबर लेने वाले संपादक नहीं रहे

इलाहाबाद में कुंभ मेले की खबरों के बीच एक दुखद खबर आयी है…श्री अरूण कुमार अग्रवाल का निधन हो गया है…वे अंतर्राष्ट्रीय श्रोता समाचार नामक पाक्षिक अखबार के संपादक थे और पत्रकारिता और पत्रकारों की खबर लेते रहते थे..खिंचाई करने से भी नहीं चूकता था उनका अखबार…

दो दशक तक यही अखबार मीडिया की भीतरी हलचलों का केंद्र रहा…हालांकि इलाहाबाद में उनको बड़े पत्रकार पत्रकार नहीं मानते थे…कहते थे कि कपड़े की थान नापने वाला बनिया है…अरूणजी खुद भी अपने को पत्रकार होने का दावा नहीं करते थे…लेकिन मैने उनको करीब से देखा है…वे खांटी पत्रकार थे..ईमानदारी से आजीविका के लिए और काम करते हुए पत्रकारिता के मूल्यों की रक्षा की…

आज की मुख्यधारा की पत्रकारिता में भले ही उनको हाशिए पर रखने की कोशिश हुई हो लेकिन उनके जैसे प्रतिबद्ध इंसान के कामों को कभी भुलाया नहीं जा सकता है…आज के दौर के कई भारी पत्रकार श्रोता समाचार के संवाददाता रहे थे…वे खुद में एक बड़ी किताब थे…

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