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जालौन मे दलाल पत्रकारों का सम्मान, जागरण और स्वतंत्र भारत ने किया बहिष्कार

जालौन। जालौन मे बसपा के राष्ट्रीय महासचिव व राज्यसभा सांसद बृजलाल खाबरी अभी से लोकसभा की तैयारी मे जुट गये जिससे वह 2014 मे होने बाले आम चुनाव मे जीत हासिल कर सके और इसी को ध्यान मे रखते हुये उन्होने पत्रकारो को अपने पक्ष मे करने की कोशिश मे अपने उरई स्थित आवास नैना पैलेस मे पत्रकारों के लिये एक सम्मान समारोह रखा और जनपद के सभी पत्रकारो को आमांत्रित किया जिसमे दलाली करने बाले पत्रकार भी सम्मान लेने पहुँच गये। जिसके बारे मे जब दैनिक जागरण कानपुर और स्वतत्र भारत के ब्यूरो चीफ और उनके स्टाफ के लोगो को खबर मिली तो उन्होने इस सम्मान समारोह क बहिष्कार कर दिया।

जालौन मे इस समय बसपा पूरी तरह पत्रकारो को अपनी ओर खीचने मे लगी है जिससे वह विधानसभा मे हुयी गलती को लोकसभा मे न दोहरा सके और इसी को ध्यान मे रखते हुये जालौन-गरौठा-भोगनीपुर से बसपा के प्रत्याशी राष्ट्रीय महासचिव व राज्यसभा सांसद ब्रजलाल खाबरी ने जालौन जनपद के उरई मुख्यालय स्थित अपने आवास नैना पैलेस मे पत्रकारो के लिये एक सम्मान समारोह का आयोजन किया जिसमे उरई मुख्यालय के प्रिंट और इलैक्ट्रोनिक के सभी पत्रकारो को आमंत्रित किया गया।

लेकिन इस सम्मान समारोह मे दलालो का बोलबाला देखा गया जिसको देखते हुये दैनिक जागरण और स्वतंत्र भारत के व्यूरो चीफ और स्टाफ रिपोर्टरो ने इसका बहिष्कार कर दिया क्योकि बडे समाचार पत्रों के रिपोर्टरो का सम्मान करने से पहले दलालों का सम्मान किया गया। इसे देखते हुये दोनो समाचार पत्रों के रिपोर्टर उठकर चले गये। इसके बाबजूद बसपा राज्यसभा सांसद बृजलाल खाबरी ने उन्हे दोबारा बुलाना उचित नही समझा। इस सम्मान समारोह ने यह साबित कर दिया कि सभी राजनैतिक पार्टियाँ दलालो के भरोसे ही अपना काम करवाना चाहती है।

हिंदी अखबार हमारा महानगर और नवभारत में क्यों नही छपती रेलवे के खिलाफ खबरे ?

मुंबई : देश की आर्थिक राजधानी मुंबई से प्रकाशित होने वाले हमारा महानगर , नवभारत और नवभारत टाइम्स को मुंबई की टॉप हिंदी अखबारों में गिनती किया जाता है । मुंबई में हिंदी भाषियों की आबादी अधिक है यही हिंदी भाषी इन अखबारों के वाचक है इसके बावजूद इन हिंदी भाषियों के साथ रेलवे में होने वाले अन्याय की खबर या किसी भी तरह की विरोधी की ख़बरें हमारा महानगर और नवभारत में अधिकतर नही छापी जाती है ।

सूत्रों की माने तो हमारा महानगर और नवभारत को प्रति महीना रेलवे से लगभग 7 से 8 लाख रुपये विज्ञापन के माध्यम से मिलता है। इसके साथ ही नवभारत टाइम्स को भी 8 से 10 लाख रुपये की विज्ञापन मिलते है । इस आमदनी को चालू रखने के लिए इन अखबारो में रिपोर्टरों द्वारा रेलवे के खिलाफ भेजी जाने वाली खबरों को हमारा महानगर और नवभारत में अधिकतर प्रकाशित नही किया जाता । जबकी दूसरी तरफ नवभारत टाइम्स आये दिन रेलवे टिकट बुकिंग या रेलवे स्टेशनों पर किये जा रहे धांधली की खबरे प्रकाशित कर रहा है ।

नालंदा मेडिकल कॉलेज में सीटी स्कैन मशीन खरीद घोटाला

मामला नालंदा मेडिकल कालेज एंड हॉस्पिटल (NMCH), पटना का है. यहाँ रोगियों की जांच हेतु 2007 में ही 1.5 करोड़ रूपए की लागत से Multislice Spiral CT Scan Machine का इंस्टालेशन हुआ था. पुराने और बेकार मशीन लग जाने के कारण इसका आज तक कोई उपयोग नहीं किया जा सका है. तत्कालीन उपाधीक्षक डॉ. संतोष कुमार जो अधीक्षक की चार्ज में थे के द्वारा सीमेंस कंपनी से इस मशीन की खरीदारी की गयी थी. रेडियोलौजी डिपार्टमेंट के तत्कालीन हेड डॉ. ललित कुमार ने लिखित रूप से डॉ. संतोष कुमार को घटिया और पुराने मशीन के इंस्टालेशन के बारे में बिन्दुवार विस्तृत जानकारी दी थी तथा कंपनी से पैसे वापस लेने की सलाह भी दी थी, पर डॉ. संतोष ने उनके पत्र का कोई संज्ञान नहीं लिया. डॉ. ललित कुमार ने स्पष्ट रूप से लिखा था कि-

दल्लों की जमात बनी मोतिहारी नेशनल जर्नलिस्ट यूनियन ऑफ़ इंडिया

• संगठन के कार्यकारी सदस्यों के मनोनयन पर सवालिया निशान
• जिला अध्यक्ष किसी मीडिया बैनर से नहीं जुड़े
• खास खबरची ही मनोनयन प्रक्रिया में शामिल
• सीनियर व योग्य पत्रकारों में नाराजगी

मोतिहारी. पत्रकारों के हित में, पत्रकारों द्वारा, पत्रकारों में से चयनित योग्य व्यक्तियों को मिलाकर बनाया गया संगठन है नेशनल जर्नलिस्ट यूनियन ऑफ़ इंडिया. इसका मुख्य काम है पत्रकारों के हक़-हुकूक को लेकर आवाज उठाना. लेकिन एक ज़माने में प्रतिष्ठित रहे एनजेयूआई की जिला शाखा पर भी अब माफिया तंत्र हावी हो चले हैं. उतर भारत की किसी भी जिला शाखा की स्थिति अब किसी से भी छुपी नहीं है. खासकर, एनजेयूआई की मोतिहारी शाखा तो अपनी कारगुजारियों से दलालों व फ्रॉडो की जमात के तौर पर चर्चित हो गई है. सबका कहना आम है कि संगठन में ऐसे लोगों की पैठ हो गई है. जिनका लिखने-पढ़ने से नाता तो दूर की बात है, वे किसी स्तरीय मीडिया बैनर से भी नहीं जुड़े हैं. पत्रकारों के कल्याण की बात कह संगठन का महत्वपूर्ण पद हथियाने वाले ये दल्ले, पीत पत्रकारिता का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण बन अपना धंधा चमकाने में लगे हैं. बीते दिनों संगठन के जिला अध्यक्ष के चुनाव में हुई धांधली को लेकर योग्य पत्रकार कानाफूसी कर थूक-थूकियाते हुए छिः छिः कर रहे है.

अब आत्मग्लानी महसूस हो रही है

किसी ने सच ही कहा है कि कोई उपर न होता-कोई नीचे न होता, अगर कोई मजबूर न होता तो कोई खुदा न होता। कल जनवरी माह का अंतिम दिन मेरे लिये आत्मग्लानि का दिन रहा। हालांकि मेरा हरसंभव प्रयास होता है हरेक चीजों से प्रेरणा लेने की। कल भले ही मेरी आत्मा पर चोट लगी हो, विश्वास चूर-चूर हुआ हो..एक नई दिशा अवश्य दे गई है।

वेशक अब लोग प्रोफेशनल हो गये हैं। इस प्रोफेशनल युग में आपको विश्वास ढूंढना बहुत मुश्किल है। आंखों के सामने साथ खड़ा या खड़ा होने के दावा करने वाला व्यक्ति कब फरेब कर जाता है, पता नहीं चलता है। जब पता चलता है ,तब समय आगे सरक जाता है और मुझ जैसा निरा मूर्ख काठ के उल्लू बने रहने के अलावे कुछ नहीं कर सकता।

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