न्यूज़ चैनलों के संपादकों के लिए आज अमावस की रात !

न्यूज़ चैनलों के संपादक आज करेंगे रतजगा !

टीआरपी की रेस में पिछड़ गया आजतक

न्यूज़ चैनलों के संपादकों के लिए आज काली रात है. एक ऐसी काली अँधेरी रात जिसकी कोई सुबह नहीं होती. न्यूज़ चैनलों का शायद ही कोई संपादक आज सो पायेगा. आजतक से लेकर इंडिया टीवी तक में कुहराम मचा हुआ है.

अरे …रे – रे . आप जैसा सोंच रहे हैं, वैसा कुछ नहीं है. न न्यूज़ चैनलों के सामने कोई आपातकाल की स्थिति उत्पन्न हुई है और न कोई संपादक तिहाड़ जाने वाला है और न कोई फर्जी स्टिंग हुआ है. सब कुशल मंगल है.

आप सोंच रहे होंगे कि जब सब कुशल मंगल ही है तो फिर बात क्या है जो मीडिया खबर वाले ऐसी गोल – मोल बातें कर रहस्य बढ़ा रहे हैं.

अरे भाई , आप लोग भी बड़े भूलक्कर हैं. चलिए आपको हिंट्स देते हैं. याद कीजिये आईबीएन-7 के आशुतोष ने डंके की चोट पर क्या कहा था? ये भी भूल गए ! ओफ ओह. उन्होंने कहा था कि बाबूजी टेलीविजन से डर नहीं लगता, बुधवार से लगता है.

अब तो आप समझ ही गए होंगे, जो न समझे वो अनाड़ी. अरे जनाब कल बुधवार है. संपादकों की सांस अटकने का दिन. टीआरपी आने का दिन. खुशी और मातम का दिन.

वैसे तो हरेक सप्ताह बुधवार भी आता है और टीआरपी भी आती है. लेकिन कल का बुधवार कुछ खास होगा. खास इसलिए होगा क्योंकि अरसे बाद कल से टीआरपी की जंग शुरू होने वाली है और कल उसका प्रीलिम्स है और आप जानते ही हैं कि कई बार मेंस से ज्यादा प्रीलिम्स में डर लगता है.

सो न्यूज़ चैनलों के संपादक भी डरे हुए हैं. कल से फिर से एक – दूसरे के खिलाफ तलवार खींच कर मैदान में उतरना पड़ेगा , नहीं जीते तो मालिकों की घुड़की सुननी पड़ेगी. सो सारा का सारा भाईचारा कल से काफूर हो जाएगा.

दरअसल देश के चार प्रमुख महानगरों में केबल सेवाओं के डिजिटलीकरण के सरकार के अभियान के बीच रेटिंग एजेंसी टीएएम ने अपनी ऑडिएंस मेजरमेंट रिपोर्ट निलंबित कर दी थी. क्योंकि उसे अंदेशा है कि डिजिटल प्रणाली में परिवर्तन के कारण उसके आंकड़ों में गलतियाँ हो सकती है.

टेलीविजन ऑडिएंस मेजरमेंट’ (टीएएम), इंडियन ब्रॉडकास्टिंग फाउंडेशन (आईबीएफ), एडवरटाइजिंग एजेंसीज ऐसोसिएशन ऑफ इंडिया (एएएआई) और इंडियन सोसाइटी ऑफ एडवरटाइजर्स (आईएसए) की ओर से जारी संयुक्त बयान में कहा गया था कि देश में सभी प्रकार के टीआरपी आंकड़े कुछ वक्त के लिए रोक दिया गया है.

लेकिन कल से फिर से टीआरपी के आंकड़े आने लगेंगे. यानी सुख भरे दिन बीते रे भइय्या …अब टीआरपी दुख आयो रे…..

 

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