मामला नालंदा मेडिकल कालेज एंड हॉस्पिटल (NMCH), पटना का है. यहाँ रोगियों की जांच हेतु 2007 में ही 1.5 करोड़ रूपए की लागत से Multislice Spiral CT Scan Machine का इंस्टालेशन हुआ था. पुराने और बेकार मशीन लग जाने के कारण इसका आज तक कोई उपयोग नहीं किया जा सका है. तत्कालीन उपाधीक्षक डॉ. संतोष कुमार जो अधीक्षक की चार्ज में थे के द्वारा सीमेंस कंपनी से इस मशीन की खरीदारी की गयी थी. रेडियोलौजी डिपार्टमेंट के तत्कालीन हेड डॉ. ललित कुमार ने लिखित रूप से डॉ. संतोष कुमार को घटिया और पुराने मशीन के इंस्टालेशन के बारे में बिन्दुवार विस्तृत जानकारी दी थी तथा कंपनी से पैसे वापस लेने की सलाह भी दी थी, पर डॉ. संतोष ने उनके पत्र का कोई संज्ञान नहीं लिया. डॉ. ललित कुमार ने स्पष्ट रूप से लिखा था कि-
1. सीटी कमरा को सही तरीके से और शर्तों के अनुसार तैयार नहीं किया गया,
2. Agfa/ Fuji के जगह पुराने Kodak कैमरे की आपूर्ति की गयी,
3. पुराने वोल्टेज स्टेब्लाइजर की आपूर्ति की गयी जिसे स्टार्ट करने पर आग की लपटें बाहर आने लगी,
4. Server of CT Computer was not functioning properly since the first day of installation,
5. Main CT Machine भी पुराने का ही रंग-रोगन (Refurbished) किया हुआ था, डॉ. ललित ने इसके इम्पोर्ट और कस्टम से संबंधित कागजातों के जांच की भी सिफारिश की थी,
(नोट- मामला ऐसा है कि बिल्ली को ही दूध खरीदने की जिम्मेवारी मिल गयी थी, सो उसने खरीद कर लाने के बदले पी ली. आगे चलकर प्रधान महालेखाकार ने भी इस पर आपत्ति उठाई. त्रिसदस्यीय विशेषज्ञ चिकित्सकों (HOD Radiology IGIMS Patna, HOD Radiology NMCH Patna, HOD Radiology PMCH Patna) की जांच टीम ने भी यह पाया कि मशीन का इंस्टालेशन के समय से ही उपयोग नहीं किया जा सका है. पर इस वित्तीय अनियमितता में शामिल डॉ. संतोष कुमार और चीटिंग करनेवाली कंपनी सीमेंस पर आज तक कोई कार्रवाई न होना न्यायसंगत नहीं है. आप प्रमाण के लिए संलग्न कागजात का अवलोकन कर सकते हैं.)
(शिव प्रकाश राय अध्यक्ष (नागरिक अधिकार मंच, बिहार), मोबाईल नंबर- 9931290702)