महाराष्ट्र से दिल्ली के मीडिया को जाता है बड़ा रेवेन्यू किन्तु कवरेज के नाम दिखाते है ठेंगा

सुजीत ठमके

maharashtra media coverageमै अन्य जरुरी प्रोफेशनल असाइनमेंट में काफी व्यस्त हु। २-३ माह कुछ लिखना मेरे लिए असंभव है। लेकिन महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव और दिल्ली के नेशनल मीडिया के कवरेज को लेकर मेरे मन में कुछ संदेह है। एक मीडिया कर्मी होने के नाते मेरी नजर में यह बहुत चिंता का विषय है। इसीलिए यह पोस्ट लिखी है।

महाराष्ट्र विधानसभा चुनावो के कवरेज को लेकर दिल्ली का नेशनल मीडिया सौतेला बर्ताव कर रहा। जी हां सौतेला बर्ताव। नेशनल कवरेज देखकर ऐसे ही प्रतीत हो रहा। नेशनल मीडिया की पारदर्शकता पर भी सवालिया निशान लगते है। यह सभी को पता है दिल्ली के नेशनल मीडिया में हिंदी भाषी राज्यों को छोड़कर बाकी राज्यों के मीडिया कर्मियों की सहभागिता ना के बराबर है। यह ओपिनियन केवल मेरा निजी ओपिनयन नहीं है। महाराष्ट्र के किसी भी हिस्से में चले जाइये या किसी मीडिया कर्मियों को पूछिये तो कमोबेश यही राय सबको सुनने को मिलेगी। इस मुद्दे को मराठी और गैरमराठी से मत जोड़िये। एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते नेशनल इंट्रीग्रिटी को लेकर मै काफी सचेत हु। वसुंध्वै कुटुम्बक यही मेरी सोच है।

दरअसल अगर किसी स्टेट का दिल्ली के नेशनल मीडिया जगत में प्रतिनिधित्व ना के बराबर है तो उस स्टेट के लोकल इशू, ग्रांउण्ड पॉलिक्स, परदे के पीछे की राजनीति, भौगोलिक रचना, बेसिक मुद्दे, जनता का मूड आदि आदि टीवी के दर्शको को नेशनल कैनवास में समझाना केवल मूर्खता है। दिल्ली के नेशनल मीडिया में चॅनेल के एडिटर – इन- चीफ से लेकर टेक्नीकल, नॉन- टेक्नीकल, एडिटोरियल टीम, रिपोर्टिंग, डेस्क आदि आदि में हिंदी भाषी लोगो की तूती बोलती है। महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव् है। महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव का प्री- इलेक्शन कवरेज को जिस तरह से नेशनल मीडिया कवर कर रहा उससे एक युवा मीडिया विश्लेषक के नाते मेरा कुछ ऑब्जर्वेशन है। बेशक क्षेत्रीय चैनल इसमें बेहतर रोल अदा कर रहे है । नेशनल मीडिया केवल राजनेताओ के इंटरव्यू , मीडिया ट्रायल, जनसभाओं के लाइव भाषणो के इर्दगिर्द ही घूम रहा है। कोई करेंट अफेयर्स प्रोग्राम नहीं, प्राइम टाइम स्लॉट में डिबेट नहीं, किसान ख़ुदकुशी को लेकर नए प्रोग्राम नहीं, ७० हजार करोड़ का सिचाई घोटाले को लेकर कोई बात नहीं, बिजली, सड़क, पानी, स्वस्थ सेवा, शिक्षा, इंफ्रास्ट्रक्चर, बेरोजगारी को लेकर चैनेलो ने चुप्पी साधी है।

एसईजेड के बड़े प्रोजेक्ट कई सालो से अधर में लटके है। बेरोजगारी लगातार बढ़ रही इसपर नेशनल चैनल कोई बात नहीं कर रहा । कांग्रेस- एनसीपी की पिछले १५ वर्षो से स्टेट में हुकूमत है कोई बड़ा इन्वेस्टमेंट नहीं हुआ। बड़े प्रोजेक्ट नहीं आये। बिल्डर, रियल इस्टेट वालो ने डेवलपमेंट के नाम पर हजारो किसानो की जमींन छीनी है इसपर कोई नेशनल मीडिया में डिबेट नहीं। लॉ एंड आर्डर को लेकर बात नहीं।

महाराष्ट्र एक बड़ा स्टेट है। ४८ लोकसभा और २८८ विधानसभा की सीटें है। देश के बड़े संस्थानों के मुख्यालय मुंबई में है। बीएसई, बॉलीवुड, रिज़र्व बैंक, कॉर्पोरट हाउसेस मुंबई में है। देश के जीडीपी में बड़ा हिस्सा महाराष्ट्रा का है। दिल्ली के नेशनल मीडिया में २०-२३ फीसदी रेवेन्यू महाराष्ट्रा से जाता है। जिसमे बड़े बड़े कॉर्पोरेट विज्ञापन शामिल है। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में जो कंपनी लिस्टेड है वो भी शामिल है। एक स्टेट के २०-२३ फीसदी रेवेन्यू अगर नेशनल चैनेलो को जाता है तो नेशनल कवरेज भी उतना ही मिलना चाहिए। किन्तु यह दिखाई नहीं दे रहा। अगर यह विधानसभा चुनाव उत्तरप्रदेश, राजस्थान,बिहार, मध्यप्रदेश में होते है तो दिल्ली का नेशनल मीडिया पूरी ताकत झोक देता है। इतना ही ही नहीं गुजरात, पंजाब में भी चुनाव होते है तो दिल्ली का मीडिया दिन रात एक कर देता है। चैनेलो के एडिटर से लेकर समूचा लाव-लश्कर कई मुद्दो की एक महीना पहले से ही तैयारी कर देता था। महाराष्ट्र में कार्यान्वित नेशनल चैनेलो के रिपोर्टर और ब्यूरो को वही करना पड़ता है जो चैनेलो के एडिटर, प्रबंधन, असाइनमेंट, इनपुट के लोगो आदेश दे। ऐसे में गंभीर सवाल उठते है। महाराष्ट्र से दिल्ली के नेशनल मीडिया को जब बड़ा रेवेन्यू जाता है तो कवरेज के नाम पर यह ठेंगा क्यों दिखाते है।

सुजीत ठमके
पुणे- 411002

( लेखक भारत सरकार के नामचीन संस्थान में मीडिया एंड पीआर है। युवा मीडिया विश्लेक्षक है। राजनीति, करेंट अफेयर्स, विदेशनीति, ग्लोबल इकोनॉमी, एंट्रोप्रेनरशिप जैसे विषयो में बेहतर पकड़ रखते है )

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.