अज्ञात कुमार
उदय होने से पहले ही हिंदी समाचार चैनल भास्कर न्यूज़ अस्त हो चुका है. भास्कर नाम के ब्रांड का इस्तेमाल भी चैनल को बचा न सका. और बचे भी कैसे जब चलाने वाले ही बंटाधार करने पर तुले हो.
चैनल की मालकिन हेमलता अग्रवाल और एमडी राहुल मित्तल की आपसी खींचतान के बीच कुछ लोगों ने हेमलता दीदी को ‘निवेशकों’ का ऐसा सब्जबाग दिखाया कि वे लेबरकोर्ट से फटकार के बावजूद अबतक उससे निकल नहीं पायी हैं और सोंच रही है कि चैनल को फिर से चलाने के लिए कोई न कोई मुर्गा मतलब निवेशक मिल ही जाएगा. और कोई ठिकाना नहीं मिल भी सकता है, दुनिया में बेवकूफों की कमी है क्या? चलते हुए चैनल को बंद कर दिया और अब बंद चैनल को चलाने की कवायद!
हेमलता अग्रवाल एक तरफ नया निवेशक ढूँढ रही हैं तो दूसरी तरफ एमडी राहुल मित्तल नया क्राइम चैनल ‘इंडिया क्राइम’ लाने की तैयारी में लगे हैं और इन सबके बीच में पिस रहे हैं वहां के पत्रकार, जिन्हें बकाया सैलरी और कम्पनसेशन के लिए लेबर कोर्ट के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं.
बहरहाल अपडेट ये है कि भास्कर न्यूज़ के रूख से असंतुष्ट लेबर कोर्ट ने हेमलता अग्रवाल को कड़ी फटकार लगाते हुए आगामी सोमवार तक शपथ पत्र दाखिल करने के लिए कहा है जिसमें ये लिखा हुआ हो कि वे दिसंबर तक की सैलरी देने के लिए प्रतिबद्ध हैं. सैलरी का भुगतान करने के लिए 31 जनवरी डेडलाइन रखी गयी है. नहीं तो फिर लेबर कोर्ट एक्शन में आ जाएगा.
वैसे सूत्रों की माने तो लेबर कोर्ट के सामने भास्कर के एचआर ने भी कच्चा चिठ्ठा खोल दिया है जिससे भी भास्कर न्यूज़ की स्थिति कमजोर हुई है और हर हालत में पत्रकारों को पैसा देना ही पड़ेगा. वैसी यही ठीक भी है. चैनल बंद कीजिये और खोलिए मगर पत्रकारों की बकाया राशि जरूर दे दिया कीजिये. इसी में समझदारी है मैडम.