ABP News पर अभी Dr. Kumar Vishwas हिंदी कवियों पर आधारित शो ‘महाकवि’ का पहला एपिसोड प्रस्तुत कर रहे थे. पता नहीं स्क्रिप्ट किसने लिखी थी. कई समस्याएं थीं. राज्यसभा का कार्यकाल खत्म होना और ‘इस्तीफा’ देने में अंतर है. रामधारी सिंह दिनकर राज्यसभा में भी संभवत: दो ही बार रहे, जबकि तीन बार दिखाया गया. ‘राष्ट्रकवि’ और ‘जनकवि’ कहे जाने में भी अंतर है. पता नहीं रामेश्वरम् में भी कोई तिरुपति मंदिर है या नहीं-जैसा कि इस एपिसोड में दावा किया गया.
दिनकर की कई अच्छी रचनाओं मसलन ‘उर्वशी’ या ‘संस्कृति के चार अध्याय’ का जिक्र ही नहीं किया गया. कई कविताओं के कालखंड में भी उलट-पुलट था.
जैसे कि एक कहाबत है-Boys will be boys…टीवी, टीवी ही रहेगा. कमजोर शोध और कमजोर भाषा से यही होता है. लेकिन कुमार विश्वास को भी प्रस्तुत करते हुए सोचना था. इस पर एक मित्र ने खट से कहा कि कुमार की क्या गलती है? जितना आता है, उतना पढ़ गए.
अपनी भी कोई साहित्य या कविता में गति नहीं है, कभी-कभार पढ़-देख लेता हूं. इतिहास-राजनीति से थोड़ा प्रेम जरूर है.
हां, इस तरह के कार्यक्रम हिंदी खबरिया चैनलों के लिए जरूर अच्छी बात है. विषय का फैलाव हो रहा है. बगदादी-पुराण और नेताओं का एक ही बाइट दिन भर से बेहतर है कि कुछ साहित्य, नदी, जानवरों और विज्ञान की बात हो.
(लेखक पत्रकार हैं और उनकी ये टिप्पणी उनके फेसबुक वॉल से ली गयी है)
सुशांत झा-