अररिया के मिल्की डुमरिया गाँव में पत्रकारों के लिए कार्यशाला

journalist workshop

ग्रामीण क्षेत्रों में पत्रकारिता से संबंधित कार्य्रक्रम या किसी कार्यशाला का आयोजन यदा-कदा ही होता है। बिहार के अररिया जिला के मिल्की डुमरिया में इसी मिथक को तोड़ते हुए पत्रकारों के लिए एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें दर्जनों पत्रकारों ने शिरकत की. इसी कार्यक्रम की जानकारी देते हुए पत्रकार पुष्य मित्र लिखते हैं –

अररिया जिला का छोटा सा गाँव मिल्की डुमरिया। जहां कोई भी अनजान व्यक्ति बिना पांच दफा लोकेशन पूछे नहीं पहुँच सकता है। वहां 27 दिसंबर को अररिया, किशनगंज और सुपौल जिले के 20 पत्रकार पहुँचे थे। इनमें प्रिंट और वेब दोनों मीडियम के पत्रकार साथी थे।

इन साथियों के बीच 4 घंटे कैसे गुजर गये यह पता नहीं चला। इन्हें पटना से हमारे साथ गईं बीबीसी की पत्रकार साथी सीटू तिवारी और फुलपरास से पहुँचे रेडियो मधुबनी के संस्थापक राज झा सर का मार्गदर्शन मिला। मैने, मेरे मित्र अखिलेश ने, खबर सीमान्चल के हसन जावेद और प्रभात खबर के अररिया के प्रभारी मृणाल जी ने इन साथियों के साथ कोसी और सीमान्चल के जमीनी मुद्दों पर लम्बी चर्चा की।

सबकी सहमति थी कि लगभग हर मानक पर देश के सबसे पिछड़े इस इलाके के विकास के लिए मीडिया को लगातार मेहनत करनी पड़ेगी। स्थानीय मुद्दों को तथ्यपरक तरीके से उठाने की जरूरत है। और विकास की परिभाषा को सड़क, बिजली और पुल पुलियों से आगे ले जाकर शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और पोषण के सवाल तक ले जाने की जरूरत है। बाढ़ और पलायन के सवाल पर लगातार बात करना होगा।

हालांकि रजिस्ट्रेशन 50 से अधिक पत्रकारों ने कराया था, मगर इनमें दस से अधिक इसलिये नहीं आ पाये कि उसी रोज उनकी बीपीएससी पीटी की परीक्षा थी। बाकी बचे लोग मौसम की वजह से नहीं निकल पाये। हमारे दो प्रशिक्षक मणिकांत ठाकुर सर और राजेंद्र तिवारी सर भी कुछ जरूरी कारणों से नहीं आ पाये। मगर यह हमारा सौभाग्य रहा कि मणिकांत ठाकुर सर ने फोन पर ही हमसे सम्वाद किया और कार्यशाला को सम्बोधित किया।

यह कार्यशाला मेरे मित्र अखिलेश के विचार की वजह से मुमकिन हुआ। जिन्होने अपने गाँव में ऐसे प्रयोग की कल्पना की थी। पूरे आयोजन में अखिलेश, सोमू आनन्द, प्रमोद, मुखिया जी, संजीत भारती, प्रशांत, अखिलेश के पूरे परिवार और नवोदय विद्यालय के साथियों ने भरपूर सहयोग किया। सबसे रोचक बात यह रही कि मिल्की डुमारिया गाँव के स्थानीय लोगों ने भी भरपूर रुचि लेकर इस कार्यशाला में दर्शक के रूप में भागीदारी की। इन सबसे हमारी संस्था सीआरडी का उत्साह बढ़ा और आगे भी ऐसे आयोजन करने की राय बनी है।

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