सहारा समय के पत्रकार को विधायक ने दी धमकी

पत्रकार तिलक जाटव को विधायक दिनेश राय ने धमकी दी,घटना की वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन ने निंदा की

भोपाल, (कल्पना शर्मा)। पत्रकार जगत में काम करने वालों को सावधान हो जाना चाहिये नहीं तो आपको भी विधायक, मंत्री, अफसर, नेताओं से धमकी मिलनी शुरू हो जायेगी। यदि आपने किसी राजनेता के खिलाफ कोई समाचार दिखाया या लिखा तो आपको धमकी के साथ चेतावनी दी जायेगी जिससे आप भविष्य में उनके खिलाफ खबर दिखा सके और न ही लिख सके।

मामला सिवनी जिले का है। सहारा समय म.प्र. छत्तीसगढ़ के सिवनी के संवाददाता तिलक जाटव को विधायक दिनेश राय ने सार्वजनिक रूप से अपमानित करते हुए धमकी देने जैसा कृत्य किया। तिलक जाटव भीड़ के आगे बेवस था, अपमान सहते हुए जैसा विधायक ने चाहा वैसा किया। तिलक जाटव के साथ जो हुआ उसे वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन के सदस्य किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेंगे। वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष राधावल्लभ शारदा ने पत्रकार साथियों को आगाह करते हुए कहा कि अभी तो घटना तिलक जाटव के साथ घटी, कल आप और हम किसी के साथ भी हो सकती है। पूरे मध्यप्रदेश में लगभग साढ़े 500 से अधिक पत्रकारों पर विभिन्न धाराओं में या तो थाने में मामले है या फिर कोर्ट में चल रहे हैं। राज्य सरकार के गृह विभाग (पुलिस) के आदेश 6 जनवरी 2010 के जो हैं उसे पुलिस महकमा मानने को तैयार नहीं है। कई पुलिस अफसर तो ऐसे भी हैं जो कहते है इन आदेशों को रद्दी की टोकरी में डाल दो, हमें जो करना है वह हम करेंगे।
दिनेश राय द्वारा सार्वजनिक तौर पर पत्रकार तिलक जाटव को बुलवाकर जिस तरह से गवाही दिलवाई गई उसे उचित करार नहीं दिया जा सकता है। पत्रकार को बुलाकर गवाही दिलवाने का क्या औचित्य? यह बात हमारी नजरों में आपत्तिजनक है। पत्रकार तिलक जाटव को भी चाहिए था कि अगर उन्हें बुलाया गया था तो उन्हें वहीं, इसका प्रतिकार करना चाहिए था कि वे पत्रकार हैं और मौके पर किसी खबर के कव्हरेज के लिए तैनात हैं, न कि गवाही देने के लिए। गवाही देने के लिए इस तरह बुलाने से संपूर्ण मीडिया जगत को कहीं न कहीं ठेस अवश्य ही लगी होगी।

यह गलत परंपरा का आगाज़ है। कल को प्रशासन या नेता किसी भी पत्रकार की गर्दन पकडक़र उसे गवाही देने को कह सकता है। मीडिया को प्रजातंत्र का अघोषित तौर पर चौथा स्तंभ माना गया है। पत्रकारिता का काम उत्तरदायित्व से भरा होता है। पत्रकारिता की एक गरिमा होती है। अगर दिनेश राय को किसी बात में पुष्टि ही करवानी थी तो उनके द्वारा वीडियो, ऑडियो फुटेज या क्लिपिंग्स जिनमें श्रीमति नीता पटेरिया द्वारा दिनेश राय को बरी किया गया है,उन्हें जनता के सामने पेश किया जाता।

वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष ने घटना की निंदा करते हुए कहा है कि जरूरत पडऩे पर हम विधायक पर कार्यवाही को लेकर सख्त कदम भी उठा सकते हैं। उन्होंने कहा कि पत्रकार जगत इस बात को भला कैसे बर्दाश्त कर सकता है कि उसके किसी साथी को इस तरह बुलवाकर जनता के सामने गवाही दिलवाई जाए, यह घोर आपत्तिजनक है। यह पत्रकारिता के प्रतिमानों के खिलाफ है। एक पत्रकार जो इस घटना को कव्हर करने के लिए गया हो उसके साथ इस तरह की हरकत को किसी भी दृष्टिकोण से उचित नहीं ठहराया जा सकता है।

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