कल के NDTV के चर्चित प्राइम टाइम में अपरिचित नाट्य मंच कलाकारों की बजाय देश परिचित चेहरों रवीश कुमार,ओम थानवी,अभय दुबे को बतौर कलाकार और बरखा दत्त को एंकर बनाते तो कार्यक्रम में चार चाँद लग जाता और पूरी दुनिया का सबसे चर्चित प्राइम टाइम बन जाता। तीनों चर्चित कलाकार गांधी के तीन बन्दरों का सजीव चित्रण करके विश्व समुदाय को बड़ा सन्देश भी दे सकते थे। हो सकता है आगे के प्राइम टाइम में मेरी बात सुन ली जाय।
जिस देश में अभिव्यक्ति की आज़ादी के नाम पर खुले मंच से प्रधानमंत्री मोदी को गाली दी जाती है ,सेना के पराक्रम के सबूत मांगे जाते है,सर्जिकल स्ट्राइक को फर्जी बताया जाता है ,एक न्यूज़ चैनल द्वारा लगातार देशविरोधी गतिविधियों को अंजाम दिया जाता है।क्या ऐसी आज़ादी की जरुरत है देश को?
आलोचना होने पर अक्सर ट्विटर,फेसबुक छोड़कर भागने वाले रवीश कुमार खुद से ये क्यों नहीं पूछते की देश उनको गालियां क्यों दे रहा है।
अपने ब्लॉग या किसी विरोधी के नाम लिखे ख़तो में मीडिया,पत्रकारों को भांड कहने वाले रवीश खुद क्या हैं ये देश की जनता अच्छी तरह से जानती है।
पत्रकारिता की आड़ में बड़ी मासूमियत से देशविरोधी ताकतों का मोहरा बने रवीश कुमार और उनके आकाओं को और कितनी आज़ादी चाहिए ?क्या भारत की बर्बादी तक NDTV की देश से जंग जारी रहेगी या इसका अंत भी होगा।
एनडीटीवी को एबीपी न्यूज़ से जरूर सीखने की जरूरत है जहॉ पत्रकारिता में संतुलित दृष्टिकोण को अपनाया जाता है ।
अभय सिंह
राजनैतिक विश्लेषक