पत्रकारिता के नायक दिल्ली में गढ़े जाते हैं, उनकी आवाज और चुप्पी दोनों पूरे देश में गूंजती है

रवीश कुमार,न्यूज़ एंकर,एनडीटीवी
रवीश कुमार, न्यूज़ एंकर, एनडीटीवी

-पुष्य मित्र-

पुष्य मित्र, पत्रकार
पुष्य मित्र, पत्रकार

पिछले दिनों बिहार के वैशाली जिले के एक छोटे से कस्बे में एक खबर के सिलसिले में एक पत्रकार को स्थानीय विधायक के गुर्गों ने दौड़ा कर पीटा। उसकी खबर उसके ही डेटलाइन के साथ उसके अपने अख़बार के 9 नंबर पन्ने पर सिंगल कॉलम छपी।

उसके पास अपनी बात रखने के लिये अपने ही अख़बार में 5 बाय 10 सेमी की जगह भी नहीं थी। वह अगर अपने विधायक के गुर्गो को बागों में बहार कहने की जुर्रत कर दे तो उसे वहीं पहुंचा दिया जायेगा जहां राजदेव रंजन को पहुंचा दिया गया है।

मगर इनके मामले में न अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को कोई नुकसान पहुंचा है, न इमरजेंसी लगी। वह पत्रकारिता का नायक नहीं एक चिरकुट है। जिसे खबर भी लिखना है और अपने अख़बार के लिये विज्ञापन भी जुटाना है।

पत्रकारिता के नायक दिल्ली में गढ़े जाते हैं, उनकी आवाज और चुप्पी दोनों पूरे देश में गूंजती है। और वे कहते हैं कि खबरों की दुनिया में सिर्फ दस साहसी पत्रकार ही बच गये हैं। बांकी सत्ता की दलाली करते हैं।

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