संजीव की रचनाओं में है आम आदमी की पीड़ा : विभूति नारायण राय
वर्धा. 13 मार्च, 2013 को महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के फैकल्टी एण्ड ऑफीसर्स क्लब में आयोजित एक भव्य समारोह में कुलपति विभूति नारायण राय ने ‘राइटर-इन-रेजीडेंस’ संजीव को चरखा, प्रतीक चिन्ह आदि प्रदान कर विदाई दी। विदाई समारोह में विवि के प्रतिकुलपति प्रो.ए.अरविंदाक्षन, ‘राइटर-इन-रेजीडेंस’ विजय मोहन सिंह मंचस्थ थे।
अध्यक्षीय वक्तव्य में कुलपति विभूति नारायण राय ने संजीव के स्वस्थ व दीर्घायु होने की कामना करते हुए कहा कि वह एक ऐसे रचनाकार हैं, जो अनुसंधानात्मक प्रवृति से एक ठोस कार्य करते हैं। उनकी कथनी और करनी में कहीं भी कोई फांक नहीं दिखता है। उनकी रचनाओं में आम आदमी की पीड़ा और दुख-दर्द परिलक्षित होता है। वे निरन्तर समय और समाज के यथार्थ को सामने लाते हैं। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के अध्यापक और विद्यार्थी इनसे लगातार संवाद कर लाभान्वित होते रहे हैं।
विश्वविद्यालय में एक वर्ष बिताए पलों को साझा करते हुए संजीव ने कहा कि यहां के वातावरण को देखकर मैं अभिभूत हूँ। यहां निरंतर विद्वानों से संवाद करने और किसानों की आत्महत्या के कारणों को देख सका। उन्होंने कहा कि अनुसंधान की प्रवृति ने ही मुझे रचनाकार बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है। उन्होंने बताया कि मैं सुबह के उजालों को देखने के लिए रात की गहरे अंधकार में उतरता हूँ और सोचता रहता हूँ कि कैसे यह अंधेरा हमारी जिंदगी से भी छंटता है और उस अंधेरे में अपने पात्रों से रू-ब-रू होता हूँ।
साहित्य विद्यापीठ के विभागाध्यक्ष प्रो.के.के.सिंह ने स्वागत वक्तव्य में संजीव की रचनाधर्मिता को रेखांकित करते हुए कहा कि वे एक ऐसे कहानीकार हैं, जिन्हें भारतीय लोकजीवन से सच्ची मोहब्बत है। लेखक का सम्मान पुरस्कार नहीं अपितु उनको पढ़ा जाना है। उन्होंने कहा कि ‘अपराध’ ‘सर्कस’, ‘सावधान नीचे आग है’, ‘सूत्रधार’, ‘जंगल जहॉं शुरू होता है’, ‘प्रेरणास्त्रोत’, ‘रह गईं दिशाऍं इसी पार’ जैसी रचनाएं हिंदी जगत में पढ़ी जाती हैं। उनकी ‘पॉंव तले की दूब’ उपन्यास को पढ़कर ऐसा महसूस होता है कि इनकी रचनात्मकता जमीन से जुड़ी दूब जैसी है।
क्लब के सचिव अमरेन्द्र कुमार शर्मा ने कार्यक्रम का संचालन किया। इस मौके पर राजकिशोर, प्रो.आर.पी.सक्सेना, प्रो.हनुमान प्रसाद शुक्ल, जय प्रकाश ‘धूमकेतु’, अशोक मिश्र, अनिर्बाण घोष, डॉ. हरीश हुनगुन्द, अमित विश्वास सहित बड़ी संख्या में क्लब के सदस्य उपस्थित थे।
फोटो कैप्शन- वक्तव्य देते हुए कुलपति विभूति नारायण राय बाएं कथाकार संजीव व दाएं प्रो.ए.अरविंदाक्षन।
(अमित विश्वास)