-संजय तिवारी-
गार्नियर हैरिस न्यूयार्क टाइम्स के साउथ एशिया रिपोर्टर हैं। एनडीटीवी के एक प्रोग्राम में जब राहुल गांधी के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा “राहुल गांधी राजनीतिज्ञ नहीं हैं। सबको यह बात स्वीकार करनी होगी। दस बारह सालों से उन्हें कोंच कोंच कर नेता बनाया जा रहा है लेकिन वे बन नहीं पा रहे हैं। हैरिस ने यहां तक कहा कि “ये कांग्रेस की हत्या करने के लिए जिन्दा है।”
ये होती है पत्रकार की राजनीतिक ईमानदारी। राहुल गांधी डब्बा हैं और डब्बा ही रहेंगे। कांग्रेस की तरफ से किया जानेवाला उन पर दस साल का प्रयोग पूरी तरह से असफल रहा है। दस बारह साल की दौड़ के बाद भी वे रेस के घोड़े नहीं बन पाये हैं। कांग्रेस का विनाश मोदी नहीं कर रहे। कांग्रेस का सत्यानाश राहुल गांधी का नेतृत्व कर रहा है। वे भले आदमी हो सकते हैं लेकिन राजनीतिक नेतृत्व देने की क्षमता उनके अंदर नहीं है। देश का सामान्य आदमी उनके अंदर कोई करिश्मा नहीं देखता तो क्योंकर उनकी जयकार करेगा?
लेकिन कौन बोलेगा ये बात? भारत में कोई पत्रकार कहे तो बीजेपी का एजंट घोषित हो जाएगा। बीते बीस तीस सालों में जानबूझकर कुछ पोलिटिकल पैरामीटर सेट कर दिये गये हैं। इस पैरामीटर में बीजेपी सांप्रदायिक पार्टी है। लालू और मुलायम सेकुलर नेता हैं। कांग्रेस करप्ट पार्टी है। नेता देश को लूट रहे हैं। नौकरशाह देश को चला रहे हैं। कम्युनिस्ट सेकुलर होते हैं। संघी कम्युनल होते हैं। बाकी इन दोनों के अलावा कोई होते ही नहीं है।
ये सब सोचने के पैरामीटर सेट कर दिये गये हैं। हम इसी दायरे में सिमटकर रह गये हैं। इस दायरे के बाहर देखने की जरूरत है। याद रखिए सूचना क्रांति के इस दौर में पत्रकारिता भी बहुत बदलेगी। आपके सेट किये पैरामीटर अब काम नहीं आयेगें। यह वास्तविक जनवाद का जमाना है जहां हर आदमी सूचना लेता ही नहीं सूचना देता भी है। इसे न तो डराया जा सकता है और न ही बहकाया जा सकता है।
(लेखक पत्रकार हैं)