चुपके – चुपके बड़े – बड़े काम हो जाते हैं और किसी को पता भी नहीं चलता. आजतक में ऐसा ही हुआ. कुछ लोगों की विदाई हुई तो एक बड़ी नियुक्ति भी. सबकुछ बड़ी शांति से. किसी को कुछ पता ही नहीं चला.
कॉरपोरेट वर्ल्ड में इसे मैनेजमेंट की कार्यकुशलता ही माना जाएगा और आजतक के चैनल हेड (मैनेजिंग एडिटर) सुप्रिय प्रसाद इसके माहिर खिलाड़ी हैं.
पहले अभिसार शर्मा और फिर आजतक के प्रमुख एंकर अजय कुमार के जाने के बाद जब रिप्लेसमेंट की जरूरत महसूस हुई तो उन्होंने बड़ी समझदारी से सीधे पुण्य प्रसून बाजपेयी को ही आजतक के न्यूज़रूम में उतारकर विरोधी चैनलों को सकते में डाल दिया.
पुण्य प्रसून का अपना फैन क्लब है जो उनकी एंकरिंग का दीवाना है. वे जिस भी चैनल में चले जाए , यह दर्शक वर्ग उसी चैनल में स्विच हो जाता है.
जैसे जब पुण्य ज़ी न्यूज़ में थे तब दर्शक उन्हें देखने के लिए बड़ी खबर देखते थे और अब आजतक में आने के बाद वही दर्शक आजतक का रूख करेंगे और जब पुण्य प्रसून एंकरिंग करेंगे, उस टाइम स्लॉट में उनका आजतक देखना फिक्स हो जाएगा.
इस तरह से देखा जाए तो आजतक के चैनल हेड ने एक तीर से कई शिकार करके अपने आप को सबसे बड़ा खिलाड़ी साबित किया है. ये साबित किया है कि कंटेंट के मामले में ही नहीं, बल्कि मैनजमेंट के खेल में भी वे उस्तादों के उस्ताद हैं.
लोकसभा चुनाव अब ज्यादा दूर नहीं. राजनीतिक ख़बरों को लेकर गतिविधियां तेज होने वाली है. ऐसे में पुण्य प्रसून का आजतक से जुडना आजतक के राजनीतिक ख़बरों को और पुख्ता करेगा. वहीं अभिसार शर्मा और अजय कुमार कमी की भरपाई भी आसानी से हो गयी. तो हुए न सुप्रिय सबसे बड़े खिलाड़ी.