सतीश के सिंह ने ज़ी न्यूज़ के साथ काम किया और चैनल के साथ – साथ अपने लिए भी प्रतिष्ठा अर्जित की. उनके छोड़ते ही ज़ी न्यूज़ – नवीन जिंदल ब्लैकमेलिंग प्रकरण हुआ और ज़ी समूह की प्रतिष्ठा धूल – धूसरित हो गयी. ज़ी न्यूज़ छोड़ने के बाद सतीश के सिंह लाइव इंडिया चैनल से जुडे. तक़रीबन महीने भर पहले उन्होंने वहां से इस्तीफा देकर पॉजिटिव मीडिया ग्रुप ज्वाइन कर लिया जिसे कुछ दिन पहले ही उद्योगपति नवीन जिंदल ने खरीद लिया था. दरअसल ज़ी न्यूज़ के साथ विरोध की वजह से जिंदल अब उसके टक्कर का चैनल लाना चाहते हैं और इसलिए सतीश के सिंह को लाया गया. लेकिन कुछ ऐसा हुआ कि सतीश के सिंह ने महीने भर के अंदर ही इस्तीफा देकर अपने आप को इस प्रोजेक्ट से अलग कर लिया. आखिर क्या वजह रही?
पाज़िटिव मीडिया के सतीश के सिंह..,डिप्टी एडीटर इन्द्रजीत राय..और आमोद के इस्तीफे का असल सच।
बाजार से तमाम खबरें आ रही हैं….,कोई कुछ कह रहा है ..तो कोई कुछ…,लेकिन असल खबर की शुरुआत उस वक्त हुई जब नवीन ज़िंदल पाज़िटिव मीडिया के दफ्तर में पांच दिन पहले 12.30 बजे आए…मैनेजमेंट के टाप अधिकारियों की मीटिंग बुलाई गई…,इस मीटिंग में रीजनल चैनल के एडीटर,सीईओ,न्यूज़ डायरेक्टर सतीश के सिंह..डिप्टीएडीटर और एसआईटी और स्पेशल ब्यूरो हेड का काम देख रहे इन्द्रजीत भी शामिल हुए…,सभी चैनल को आगे बढ़ाने का ब्लूप्रिंट अपने दिमाग और डायरी में नोट कर के मीटिंग आए थे..क्योंकि पहली बार मालिक जिंदल साहब पाजिटिव मीडिया के दफ्तर पधारे थे…।
मीटिंग शुरु हुई..मौजूद लोगों नें दर्शकों को जोड़ने वाले कार्यक्रम…., और न्यूज़ को धार से दिखाने के आईडिया देना शुरु कर दिया…,10 मिनट चुप रहने के बाद जिंदल साहब नें कहा एसआईटी क्या कर रही है..,मुझे ज़ी न्यूज़ के खिलाफ स्टोरीज़ चाहिए..स्टिंग आपरेशन चाहिए..,मीटिंग में मौज़ूद सभी के चेहरे उतर गए…,जिंदल साहब नें कहा सीबीआई मुझसे पूछताछ कर रही है..जी न्यूज़ पर खबर चल रही है..,हमें उनके खिलाफ बड़ा आपरेशन लांच करना पड़ेगा…,इस आपरेशन के लिए एसआईटी और स्पेशल ब्यूरो के हेड इन्द्रजीत राय पर दबाव डाला जाने लगा…।ये बात पूरा पाजिटिव मीडिया जानता है…।
इस मीटिंग के बाद जब चार-पांच दिन बाद तक सतीश के सिंह की टीम नें ज़ी के खिलाफ कुछ भी नहीं किया तो जिंदल साहब नें फिर मीटिंग बुलाई..,दबाव और बढ़ाया…,ज़ी के खिलाफ गलत तरीके से स्टोरीज़ बनाने और चलाने के लिए कहा…। मामला यहीं बिगड़ गया..,सतीश के सिंह की टीम के लोगों को ये कहते सुना गया कि अगर इस चैनल को पेशेवर तरीके से नहीं चलाना था तो मैनेजमेंट को पहले ही बता देना चाहिए था..हमारे 26 दिन क्यों खराब करवाए…,पहले बता देते तो हम सब एक अच्छी नौकरी छोड़ कर यहां नहीं आते…। उसी वक्त लग गया था कि सतीश के सिंह का कार्यकाल यहां एक महीने से भी कम का रहेगा…।
एसआईटी और स्पेशल ब्यूरो हेड इन्द्रजीत राय नें पिछले तीन चार दिन से अपनी टीम के लोगों को ज़ी के खिलाफ कुछ करने या ना करने निर्देश देना बन्द कर दिया था…,वो अलग बैठने भी लगे थे…ये बात चैनल के लोगों को समझ में नहीं आ रही थी.स तीश के सिंह भी जिस उर्जा के साथ चैनल को पहले चला रहे थे ये तीन-चार दिन उससे बिल्कुल अलग थे.आमोद जो हमार के इनपुट हेड थे उनके चेहरे पर भी तनाव साफ दिख रहा था. चर्चाएं ये भी थी कि इस्तीफा पहले ही हो गया था. मैनेजमेंट के आग्रह पर इन लोगों को तब तक रुकने के लिए कहा गया था जब तक नए लोगों की न्युक्ति नहीं हो जाती.लेकिन इन लोगों नें तीन-चार दिन से ज्यादा का वक्त नहीं देने की बात मैनेजमेंट से कह दी थी. बात – बात में इन तीनों लोगों को ये कहते भी सुना गया कि नौकरी तो आज नहीं कल मिल जाएगी,अगर इज्जत चली गई तो कैसे मिलेगी.
पाजिटिव मीडिया के मैनेजमेंट में इस वक्त खलबली मची हुई है.अरबपति नवीन जिंदल नें करोड़ों रुपए तो लगा दिए लेकिन उनके तीन सबसे महत्वपूर्ण पद इस वक्त खाली हैं और आगे भी कुछ दिन खाली रहेंगें. पैसे की ताकत बड़ी होती है ये भी तय है कि कोई ना कोई ज़रुर इन पदों को भरेगा. लेकिन सवाल वही है कि यहां ज़ी न्यूज़ से दुश्मनी निकालने के लिए पत्रकार खरीदे जाएंगें या फिर पत्रकारिता करने का मौका भी ये चैनल पत्रकारों को देगा?
इस खबर से जितना दुख हो रहा है उतनी हंसी भी आ रही है – कोई बिल्डर तो कोई दूधिया, कोई ठेकेदार तो कोई विधयक तो कोई कारोबारी मंत्री सब के सब न्यूज बेचने उतर पड़े हैं….ये जितना खतरनाक है उतना ही खतरनाक ये भी है कि नोटों के लालच में पत्रकारों का इनके चरणों पर लोट जाना, हमारे जो बड़े बड़े मासूम भाई इस चैनल में गए थे उन्हें भले पता ना हो लेकिन न्यूज इंडस्ट्री में सब लोगों को पता था कि जिंदल ने चैनल क्यों खरीदा है और इसके जरिए वो क्या करेंगे ।