दीपक चौरसिया ने दी राणा यशवंत को जन्मदिन की दावत, इंडिया न्यूज़ की कामयाबी का जश्न

इंडिया न्यूज़ ने कामयाबी का स्वाद चखा है. चैनल चौथे नंबर पर आ गया है. दीपक चौरसिया इस टीम के लीडर हैं और राणा यशवंत उनके सेनापति. हाल ही में राणा यशवंत का जन्मदिन था तो दीपक चौरसिया ने उन्हें दावत दी और उनका जन्मदिन मनाया. दरअसल यह एक तरह से इंडिया न्यूज़ की कामयाबी का जश्न भी था. राणा यशवंत अपने फेसबुक वॉल पर कुछ यूँ लिखते हैं :

अर्से बाद फुर्सत और तसल्ली का ऐसा दिन गुजरा । और पहली बार किसी दोस्त ने मेरे जन्मदिन को यूं यादगार बनाया कि उम्र भर पीछे मुड़ मुड़कर याद करना अच्छा लगेगा। दीपक औऱ उनकी पत्नी अनूसुईया ने मेरे जन्मदिन की दावत रखी और दोस्ती की ऐसी तस्वीर रखी जिसको जब भी याद करो नाज सा होगा। मेरे और दीपक के बीच एक अजीब सी डोर है जो ना कभी ज्यादा तनती है और ना कभी ढीली पड़ती है । गहरी दोस्ती के बावजूद हम दोनों जरुरत भर की बात ही कर पाते हैं लेकिन कभी ऐसा नहीं हुआ कि किसी मसले पर दोनों की राय अलग रही हो। अनूसुईया का जुड़ाव यूं भी दिखता है। कुछ ऐसा अधिकार उनके पास जो शायद उनके पास होना भी चाहिए।

मेरे जन्मदिन के केक के साथ इंडिया न्यूज की शानदार कामयाबी का केक भी कटा। बहुत कम अर्से में इस बुलंदी पर आने का सारा श्रेय उस टीम को है जिसने जंगजू की तरह खुद को साबित करने और किसी भी चुनौती को मात देने के लिये दिन रात एक कर दिया । मैं औऱ दीपक जब इंडिया न्यूज आए तो 80 फीसदी वैसे साथी जुड़े जो हमारे लिये बिल्कुल नए थे । बीते सात महीनों में तीन दिन ऐसे रहे कि मैं दफ्तर नहीं गया और अपनी टीम के साथ मोर्चे पर खड़ा नहीं रहा। जैसे ढाला ,जैसे तराशा वैसे निकले-वैसे निखरे हमारे ये दोस्त । दफ्तर में कई बार उनकी ये जिद भी अच्छी लगी कि अब आप घर जाइए- आपका ठीक रहना हमारे लिये जरुरी है। हमारी इस टीम के कई साथी बीती रात की पार्टी में थे लेकिन जो नहीं थे उनका रोल भी उतना ही बड़ा रहा है। जब मैं और दीपक इंडिया न्यूज आए तो हम दोनों को एक बात का यकीन था औऱ वो ये कि बहुत जल्द हम न्यूज इंडस्ट्री की तस्वीर बदल देंगे। आज हम उस मकाम पर आ गये हैं- सिर्फ सात महीनों में । आनेवाला वक्त हमेशा खाली और खुला होता है – चुनौती की तरह । वो है।

खैर, बात अमूमन कम करता हूं – आज शायद ज्यादा हो गई। दिन में मुद्दतों बाद बारिश ठीक से देखी। तेज हवा पर बूंदों की लहरों का दूर तक दौड़ना देखना अच्छा लगा। पेड़ों के पत्तों से गर्द का गिरना और उनके बदन का चमकना अच्छा लगा। अच्छा लगा घर के सामने के पार्क के ऊपर से भींगते भागते परिंदों को देर तक देखना । अच्छा लगा आज घर पर तसल्ली से रहना। अच्छा लगा तमाम दोस्तों का शुभकामना संदेश । आप सबों का दिल से शुक्रिया। आज सबकुछ अच्छा लगा।

(राणा यसवंत के एफबी वॉल से साभार)

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