-चंदन-
पत्रकारिता में प्रयोगधर्मिता खासकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में, कम पत्रकार ही ये साहस करते हैं…वो भी तब जबकि प्रयोग की सफलता का पैमाना इमपैक्ट की बजाय केवल टीआरपी हो। लेकिन समाचार प्लस के एक्जीक्यूटिव एडिटर प्रवीण साहनी नए एवं साहसिक प्रयोगों से नहीं घबराते। ऐसा पहला उदाहरण उन्होंने कुख्यात फरार अपराधियों को सलाखों के पीछे पहुंचाने की मुहिम के रूप में ‘वांटेड’ शो शुरू करके दिया। ‘वांटेड’ शो ने सफलता के ऐसे कीर्तिमान बना दिए, जहां तक पहुंचना फिलहाल मुमकिन नहीं दिखता। इस शो में जिन कुख्यात फरार इनामी अपराधियों की प्रवीण ने कुंडली दिखाई, उनमें से आधा दर्जन से ज्यादा पुलिस एनकाउंटर में मारे गए और डेढ़ दर्जन से ज्यादा सलाखों के पीछे हैं।प्रवीण के इस शो की तारीफ सरकार से लेकर पुलिस के आलाधिकारियों तक ने की और ‘वांटेड’ शो के सफर को देश की प्रतिष्ठित पत्रिकाओं ने भी प्रकाशित किया।
क्राइम से जुड़े इस साहसिक और सफल प्रयोग के बाद प्रवीण ने सीधे राजनीतिक पत्रकारिता में एक बड़ा प्रयोग किया और ‘राजनीति’ नाम से एक शो शुरू किया। इस शो में खबरों का चयन व प्रस्तुतिकरण बिल्कुल नया था। जिन राजनीतिक खबरों की चर्चा ज्यादा लेकिन तवज्जो कम होती है, उन खबरों पर संवाददाताओं से काम करवाना शुरू किया और फिर गांव, कस्बे, तहसील और जिले की आम राजनीति को खास बनाकर टीवी स्क्रीन पर लेकर आए। ये साहसिक प्रयोग एक बार फिर सुपरहिट साबित हुआ, इमपैक्ट में भी और टीआरपी में भी।
कोई संपादक खुद अपना शो प्राइम टाइम के बाहर रात 10 बजे लेकर आए, इसी साहस को दर्शकों ने भी सलाम किया और पहले की हफ्ते ‘राजनीति’ शो टीआरपी की टॉप-10 वाली लिस्ट में दर्ज हुआ। सबसे बढ़कर शो की सफलता ये कि शहरों से लेकर कस्बों तक सियासी तबकों से लेकर आमजन तक इस शो में दिखाई गई खबरों की चर्चा कर रहे हैं। यहां तक कि सैकड़ों दर्शक रोजाना अपने इलाकों की राजनीतिक खबरों को बताने के लिए ट्विटर हैंडल @PraveenKSahni पर ट्वीट कर रहे हैं। यही भरोसा ‘समाचार प्लस’ चैनल की यूपी/उत्तराखंड में इकलौती धाक की वजह भी दिखाई देती है और पत्रकारिता पर लोगों का भरोसा कायम रखने की वजह भी।