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नौकरी डॉट कॉम के अनुसार सितंबर में भारत में नियुक्तियों की दर 24 फीसदी बढ़ी

job appointments in india

फार्मा, उपभोक्ता वस्तुओं में तेजी से हो रहे प्रसार, शिक्षा, आईटी जैसे उद्योगों से प्रेरित होकर भारत में पिछले महीनों की तुलना में सितंबर महीने में नियुक्ति प्रक्रिया में 24 फीसदी तक की वृद्धि देखी गई। सोमवार को जॉब पोर्टल नौकरी ने अपनी एक नई रिपोर्ट में इसका खुलासा किया है।

सितबंर के लिए नौकरी के जॉबस्पीक इंडेक्स में हुए खुलासे के मुताबिक, अनलॉक की प्रक्रिया के बढ़ने के साथ और कामकाज की गति में तेजी आने के बाद अगस्त के मुकाबले इस महीने रियल इस्टेट, ऑटो और हॉस्पिटिलिटी/ट्रैवल जैसे उद्योगों में नियुक्ति की प्रक्रिया में सुधार आया है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि कुछ प्रमुख उद्योगों जैसे कि बीपीओ, आईटी, बैंकिंग और वित्तीय सेवाओं में भी क्रमिक विकास जारी है।

नौकरी डॉट कॉम के चीफ बिजनेस ऑफिसर पवन गोयल ने अपने एक बयान में कहा है, “नियुक्ति की प्रक्रिया पिछले साल के मुकाबले कम है। सितंबर 2019 से सितंबर 2020 तक इसमें 23 फीसदी तक की गिरावट आई है, लेकिन पिछले कुछ महीनों में इसमें आई 35-60 फीसदी तक की गिरावट से यह सुधार की स्थिति को भी दर्शाता है।”

वीडियो शेयरिंग प्लेटफॉर्म रोपोसो को मिले 10 करोड़ यूजर्स

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भारतीय वीडियो शेयरिंग प्लेटफॉर्म रोपोसो ने शुक्रवार को कहा कि उसने गूगल प्ले स्टोर पर 10 करोड़ यूजर्स का आंकड़ा प्राप्त कर लिया है। कम्पनी के मुताबिक रोपोसो जून 2020 में प्ले स्टोर पर नम्बर-1 सोशल एप्प था।

रोपोसो का मालिकाना हक रखने वाली ग्लांस ने एक बयान में कहा कि हम पहले भारतीय शार्ट वीडियो एप्प हैं, जिसने 10 करोड़ यूजर्स का आंकड़ा पार किया है।

यह प्लेटफार्म 12 भारतयी भाषाओं में उपलब्ध है और रोजाना इसके वीडियोज को 2 अरब व्यूज मिलते हैं।

लाइफस्टाइल टीवी पर सैमसंग देगा 50,000 तक की छूट

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सैमसंग ने अमेजन के ग्रेट इंडियन फेस्टिवल और फ्लिपकार्ट के बिग बिलियन डेज के दौरान अपने प्रीमियम टीवी रेंज पर 40 से 50 हजार रुपये तक की छूट देने का ऐलान किया है। इस आफर के दायरे में सैमसंग के द शेरिफ जैसे टीवी हैं। अमेजन और फ्लिपकार्ट पर महासेल अगले सप्ताह शुरू होगा।

सैमसंग ने कहा है कि वह अपने लाइफस्टाइल टीवी- द फ्रेम और द शेरिफ पर ग्राहकों को कैशबैक और एक्सचेंज ऑफर भी दे रहा है।

सैमसंग का द फ्रेम देश में सबसे अच्छे लाइफस्टाइल टीवी सेट्स में से एक है।

द फ्रेम की कीम 75 हजार से 1.40 लाख रुपये तक है। इसी तरह द शेरिफ की कीमत 84 हजार से लेकर 1.50 लाख रुपये तक है।

विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर ट्विटर का नया इमोजी

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विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस की पूर्व संध्या पर ट्विटर ने शुक्रवार को मानसिक स्वास्थ्य को लेकर बातचीत को बढ़ावा देने के लिए एक नया ग्रीन रिबन इमोजी लॉन्च किया। ट्विटर मानसिक स्वास्थ्य पर लगातार चर्चा को बढ़ावा देता रहा है। 10 अक्टूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस था और ऐसे में ट्विटर की ये कोशिश थी कि दुनिया भर में लोग इस विकार को लेकर खुलकर बात करें।

कम्पनी ने एक बयान में कहा है कि दुनिया भर में मानसिक स्वास्थ्य को लेकर बात होती रहे इसके लिए उसने एक नया हैशटैग-हैशटैगमेंटलहेल्थ शुरू किया है और साथ ही इस हैशटैग को सपोर्ट करने के लिए नया इमोजी भी लॉन्च किया है।

दर्शकों ने माना न्यूज चैनलों के कार्यक्रमों में अनावश्यक झगड़ा होता है !

arnab goswami

देश के 76 प्रतिशत लोगों को लगता है कि समाचार चैनलों पर उचित बहस (डिबेट) न होकर अनावश्यक झगड़ा होता है। आईएएनएस सी-वोटर मीडिया कंजम्पशन ट्रैकर के हालिया निष्कर्षों में यह बात सामने आई है।

सर्वेक्षण में 76 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने माना कि विचारों के सार्थक आदान-प्रदान के बजाय टेलीविजन डिबेट पर झगड़ा अधिक होता है।

उत्तरदाताओं का विचार है कि ये बहस अक्सर पहले विश्व युद्ध की शैली पर आधारित होती हैं, जिसमें स्पष्ट रूप से पहचाने जाने वाले लड़ाके (वाद-विवादकर्ता) दूसरी तरफ के व्यक्ति पर और भी अधिक जोर से चीखने-चिल्लाने में विश्वास रखते हैं।

आईएएनएस सी-वोटर के सर्वेक्षण में उत्तरदाताओं से पूछा गया कि क्या वे वास्तव में मानते हैं कि टीवी न्यूज चैनल पर वास्तविक बहस की तुलना में लड़ाई-झगड़ा और चीख-पुकार अधिक होती है। इस पर सर्वे में शामिल 76 प्रतिशत ने सहमति व्यक्त की।

इनमें से 77.1 पुरुष उत्तरदाताओं ने सहमति दिखाई, वहीं 74.9 महिला उत्तरदाता इस बात से सहमत दिखाई दीं।

जब इन सवालों को सामाजिक समूहों के समक्ष रखा गया था तो दिलचप्स आंकड़े सामने आए। इनमें उच्च जाति से संबंध रखने वाले 79.7 प्रतिशत हिंदू, जबकि 94 प्रतिशत ईसाई इस बात से सहमत हैं।

इसके अलावा 78 प्रतिशत से अधिक मुसलमानों ने माना कि चैनलों पर कोई सार्थक बहस नहीं होती है, जबकि 71.6 प्रतिशत ओबीसी और 73.9 प्रतिशत एससी और एसटी वर्ग के लोगों ने कहा कि बहस से ज्यादा झगड़ा देखने को मिलता है।

शहरी क्षेत्र में लगभग 75 प्रतिशत और ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 77 प्रतिशत लोग सोचते हैं कि टीवी डिबेट में बहस से कहीं अधिक झगड़ा देखने को मिलता है।

अगर आयु वर्ग की बात की जाए तो 18 से 44 आयु वर्ग में औसतन 75 प्रतिशत लोगों को लगता है कि कोई सार्थक बहस नहीं होती है।

कोविड-19 महामारी ने भारत के नए मीडिया परिदृश्य को दर्शाया है। देश में 54 प्रतिशत लोगों ने स्वीकार किया है कि वह टीवी समाचार चैनलों को देखकर थक चुके हैं। वहीं 43 प्रतिशत भारतीय इस बात से असहमत हैं।

इस सर्वेक्षण में सभी राज्यों में स्थित सभी जिलों से आने वाले 5000 से अधिक उत्तरदाताओं से बातचीत की गई है। यह सर्वेक्षण वर्ष 2020 में सितंबर के आखिरी सप्ताह और अक्टूबर के पहले सप्ताह के दौरान किया गया है। (एजेंसी)

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