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लाइव न्यूज चैनल ‘एटीवी न्यूज़’ को उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड में मेहनती पत्रकारों की जरूरत है

प्रेस विज्ञप्ति

सोशल मीडिया आज देश की एक ऐसी ताकत बनता जा रहा है, जिसे केन्द्र सरकार के साथ ही राज्य सरकारों द्वारा भी प्रोत्साहित किया जा रहा है। आज के आधुनिक तकनीकी दौर में नौजवानों, बिजनेसमैन, अफसरों तथा राजनीतिज्ञों से लेकर आम आदमी तक सोशल मीडिया का इस्तेमाल करके अपने आपको अपडेट रख रहा है। सोशल मीडिया के ताकत के साथ खुद को जोड़कर अस्कर टेलीविज़न प्रा. लि. ने एक वर्ष पूर्व वेब चैनल ‘एटीवी न्यूज़’ की शुरुआत की। ब्रेकिंग न्यूज एवं खबरों की विश्वसनीयता के कारण एक वर्ष में चैनल की हर वर्ग द्वारा सराहना की जा रही है व प्रोत्साहित किया जा रहा है।

चैनल का विस्तार करने के लिए एटीवी मीडिया समूह चैनल के चेयरमैन वरिष्ठ टीवी पत्रकार केशव पंडित ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड हिमाचल प्रदेश दिल्ली महारष्ट्र पंजाब बिहार झारखण्ड राजस्थान गुजरात के साथ ही चैनल को देश के दूसरे राज्यों तक पहुंचाने का निर्णय लिया है। चैनल को घर-घर तक हर वर्ग के लोगों तक पहुंचाने के लिए देश के सबसे बड़े लाइव वेब न्यूज चैनल ‘एटीवी न्यूज़’ को आवश्यकता है उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड में जिला मुख्यालय पर योग्य व मेहनती पत्रकारों की। चैनल द्वारा हर जिले में विधानसभावार भी युवा व मेहनती पत्रकारों की नियुक्ति की जाएगी, जिसकी मानिटरिंग जिला मुख्यालय पर नियुक्त ब्यूरो हैड द्वारा की जाएगी। उम्मीदवार फोटो सहित अपना बायोडाटा atvnews@rediffmail.comपर भेज सकते हैं।

‘एटीवी न्यूज़’ देश के अन्य राज्यों में भी अपना कदम मजबूती के साथ बढ़ाएगा। तो चुनिए अपना उज्जवल भविष्य, उज्जवल कामनाओं के साथ। अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें-09882041753, 09857211481 EMail : atvnews@rediffmail.com पर अपना बायोडाटा भेजे

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समाचार टुडे को चाहिए ट्रेनी एंकर, काॅपी एटिडर और वीडियो एडिटर

यूपी के मुजफ्फरनगर शहर से संचालित उत्तर भारत के उभरते वेब इंफोटेनमेंट चैनल ‘समाचार TODAY’ को ट्रेनी मेल और फीमेल एंकर की आवश्यकता है। इसके अलावा चैनल को काॅपी एडिटर और वीडियो एडिटर की भी आवश्यकता है। वीडियो एडिटर को फाइनल कट प्रो यानि FCP पर 2 से 5 साल तक का अनुभव होना चाहिए, जबकि इंस्टा प्ले आउट (INSTA PLAYOUT) और CG के लिए अनुभवी व्यक्ति की जररूत है, जिसे कम से कम एक साल का अनुभव हो।

‘समाचार TODAY’ को दिल्ली-NCR समेत पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 22 जिलों और उत्तराखंड में जनपद स्तर पर विज्ञापन प्रतिनिधि की भी जरूरत है, जबकि 3 से 5 साल का अनुभव रखने वाले एक सेल्स-मार्केटिंग हैड चाहिए, जो पूरी टीम को लीड कर सके।

आपको बता दें कि ‘समाचार TODAY’ पहला ऐसा वेब चैनल है, जो नई टेक्नोलोजी के साथ मैदान में उतरा है और चंद ही दिनों में अपनी एक अलग पहचान बना ली है। विभिन्न माध्यमों द्वारा महज दो महीनों में ही ‘समाचार TODAY’ लाखों लोगों के बीच पहुंच चुका है। कंटेंट से लेकर लुक एंड फील तक ये चैनल अन्य चैनलों को मात देने की बिसात रखता है। खास बात ये है कि ये चैनल सीमित संसाधनों के साथ तेजी से आगे बढ़ रहा है। छोटा सा आॅफिस और Limited स्टाफ होने के बावजूद रोजाना तीन बुलेटिन तो प्रसारित किए ही जा रहे हैं, साथ ही शनिवार को बाॅलीवुड ग्लैमर के नाम से इंटरटेनमेंट प्रोग्राम और रविवार को खास खंबर के नाम से स्पेशल शो भी इस चैनल की खासियत में शुमार है। इनके अलावा भी दिनभर में कम से कम 4-5 बार फटाफट, 6-7 बार बिग न्यूज भी प्रसारित किए जाते हैं। चैनल के मैनेजिंग डायरेक्टर अमित सैनी ने बताया कि बहुत जल्द चैनल को प्रोग्रामिंग बेस्ड कर दिया जाएगा, जिसमें समाज को जागरूक करने वाले कार्यक्रम रोचक तथ्यों के साथ दर्शकों के सामने प्रस्तुत किए जाएंगे।
इंटर्नशिप करने वालों के बारे में संस्थान का दावा है कि पत्रकारिता के प्रथम चरण में लेखन, कैमरा, प्रस्तुतिकरण, शब्दों का चयन, उच्चारण, हिंदी पर मजबूत पकड़ आदि की शिक्षा ‘समाचार TODAY’ से बेहतर शायद ही दूसरी जगह मिल सके, क्योंकि सीमित संशाधन और सीमित मैन पावर के कारण शिक्षार्थियों को यहां पर जल्द ही कुछ कर गुजरने का मौका मिलता है।

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परसाई के जबलपुर में शक्तिपुंज!

हरिशंकर परिसाई

तारकेश कुमार ओझा

तारकेश कुमार ओझा
तारकेश कुमार ओझा
प्रख्यात व्यंग्यकार स्व. हरिशंकर परसाई , चिंतक रजनीश और फिल्मों के चरित्र अभिनेता रहे प्रेमनाथ के गृह शहर जबलपुर जाने का अवसर मिला तो मन खासा रोमांचित हो उठा। अपने गृह प्रदेश उत्तर प्रदेश में रोजी – रोजगार के सिलसिले में महाकौशल के जबलपुर और आस – पास के जिलों में बस चुके अनेक लोगों से इस शहर का नाम सुना था। लेकिन कभी वहां जाने का संयोग बनेगा, ऐसा सोचा न था। कार्यक्रम तय होने के बाद पड़ताल की तो मालूम हुआ कि रेलनगरी कहे जाने वाले अपने खड़गपुर से कोई सीधी ट्रेन जबलपुर नहीं जाती, हालांकि प्रदेश की राजधानी कोलकाता से केवल दो ट्रेनें हावड़ा – मुंबई मेल और हावड़ा – जबलपुर शक्तिपुंज एक्सप्रेस ही जबलपुर जाती है।लिहाजा हमने इसी विकल्प को चुना। समय की सुविधा के लिहाज से आवागमन के लिए हमने हावड़ा – मुंबई मेल के बजाय शक्तिपुंज एक्सप्रेस को चुना और आने – जाने का आरक्षण भी करा लिया। यह जान कर अच्छा लगा कि इस ट्रेन का अावागमन हमारे दो गंतव्यों के बीच ही होना है। स्वतंत्रता दिवस की गहमागहमी के बीच हमने हावड़ा से यात्रा की शुरूआत की। अनुमान के विपरीत हमारे डिब्बे में वैसी भीड़ – भाड़ और मारा – मारी नहीं थी, जैसा साधारणतः हिंदी प्रदेशों की ओर जाने वाली ट्रेनों में होता है। किसी हिंदी प्रदेश के बड़े शहर की ओर जाने वाली ट्रेनों में तो साधारणतः यही देखने को मिलता है कि आरक्षित डिब्बों में आरक्षण वालों से ज्यादा यात्री वेटिंग लिस्ट और आरएसी वाले मिलते हैं। या फिर जवाब मिलता है… अरे भाई साहब, बस दो घंटे की बात है…। बस फलां स्टेशन पर उतर जाएंगे। लेकिन इस ट्रेन में कुछेक यात्री थे भी तो ज्यादातर दो – चार घंटे बाद आने वाले स्टेशनों में उतरने वाले थे।

ट्रेन बिल्कुल समय से रवाना हुई। इस बीच बूंदाबादी भी जारी रही।थोड़ी देर में बारिश की बुंदे डिब्बे में इधर – उधर बिखरने लगी। हालांकि मैं अपने क्षेत्र के बर्द्धवान , दुर्गापुर , आसनसोल और धनबाद जैसे परिचित शहरों को रेलवे की खिड़की से झांक लेने को आतुर था। अंधेरा घिरने के साथ बारिश तेज होने लगी और इसी के साथ डिब्बे में पानी भी बढ़ने लगा। भूख लगने पर हमने भोजन की तलाश की तो पता चला कि इस ट्रेन में पेंट्री कार की व्यवस्था नहीं है। लिहाजा चाय – पान आदि बेचने वाले हॉकर चीजों की दोगुनी – तिगुनी कीमत यात्रियों से वसूल रहे थे। थोड़ी – थोड़ी देर में किन्नरों की फौज भी डिब्बे में आती और यात्रियों से वसूली करती रही। यात्रियों के यह कहने पर कि अरे भैया.. थोड़ी देर पहले ही तो तुम्हारे साथी आकर रुपए ले गए हैं, आगंतुकों का जवाब होता वे जरूर नकली होंगे। आपने नकली किन्नरों को दान दिया है, इस दान का कोई फायदा आपको मिलने वाला नहीं।कुछ देर में यह भान भी हो गया कि डिब्बे के हमारे तरफ के टॉयलट में एक का दरवाजा और नल टूटा हुआ है। इससे मन में उठे कोफ्त के बीच हम सो गए । सुबह नींद खुली तो डिब्बे का पूरा फर्श पानी से लबालब हो चुका था। समझ में नहीं आ रहा था कि पानी बारिश की बूंदों से जमा हो रहा था या टूटे नलों की वजह से।

स्वतंत्रता दिवस से चंद दिन पहले जब दिल में देशभक्ति का ज्वार उठ रहा था, अपने देश की बदहाल रेल – व्यवस्था मन में कोफ्त पैदा कर रही थी। क्योंकि हर यात्री इस पर अपना रोष जाहिर करते हुए कह रहा था… हुंह जो है वो तो संभलता नहीं… बूलेट ट्रेन चलाएंगे। बहरहाल अपने निर्धारित समय से करीब तीन घंटे विलंब से जबलपुर पहुंची शक्तिपुंज एक्सप्रेस प्लेटफार्म पर पहुंच गई तो हम ने राहत की सांस ली। मन में यही उथल – पुथल था कि 15 अगस्त की रात जब हमारी इसी ट्रेन से वापसी है तो इस तरह का बुरा अनुभव हमें न हो। लेकिन होनी कुछ और ही थी। जबलपुर से हावड़ा के लिए यह ट्रेन देर रात 11.50 पर छूटती है। स्टेशन पर हमें मालूम हुआ कि यह ट्रेन प्लेटफार्म नंबर दो या तीन से छूटती है। उद्घोषणा प्लेटफार्म संख्या दो से छूटने की हुई। भारी बारिश के बीच हम प्लेटफार्म पर पहुंच गए और ट्रेन आने का इंतजार करने लगे। इस बीच डिस्प्ले बोर्ड और उद्घोषणा में ट्रेन के प्लेटफार्म संख्या दो से छूटने की होती रही। तय समय पर एक ट्रेन प्लेटफार्म पर पहुंची। लेकिन यह क्या ये तो हबीबपुर – जबलपुर जनशताब्दी एक्सप्रेस थी। फिर शक्तिपुंज का क्या। तेज बारिश के बीच सैकड़ों यात्री परेशान होते रहे। लेकिन किसी के कुछ समझ में नहीं आ रहा था। क्योंकि ट्रेन छूटने का समय हो चुका था। कुछ देर बाद शक्तिपुंज के प्लेटफार्म संख्या तीन पर आने की घोषणा हुई। लेकिन देर तक इंतजार के बाद भी ट्रेन का अता – पता न था। बेसब्री के बीच एक बार फिर ट्रेन के प्लेटफार्म संख्या चार पर आने की नई घोषणा हुई। तेज बारिश के बीच भागमभाग की स्थिति में यात्री जब सारा माल – आसबाब समेट कर उक्त प्लेटफार्म की ओर जाने लगे तो फिर शक्तिपुंज एक्सप्रेस के प्लेटफार्म संख्या तीन पर आने की घोषणा हुई। आपाधापी और संशय के बीच ट्रेन करीब चालीस मिनट बाद इसी प्लेटफार्म पर आई। लेकिन तब तक शक्तिपुंज एक्सप्रेस हमें शक्तिहीन कर चुकी थी।

स्वतंत्रता दिवस की वर्षगांठ के मौके पर हमारा दिल देश की रेल व्यवस्था के प्रति क्षोभ से भर चुका था। अमूमन हर यात्री इसे कोस रहा था। एक बार फिर यात्री मुंह बिचकाते हुए कहने को मजबूर थे… हूंह … जो है वो तो संभलता नहीं … बूलेट ट्रेन चलाएंगे..।

(लेखक पश्चिम बंगाल के खड़गपुर में रहते हैं और वरिष्ठ पत्रकार हैं)

काव्य-रचना में राज महाजन का अनूठा प्रयोग

Kavi Dr Sunil Jogi & Raj Mahajan

“बेटियां भगवान का सबसे बड़ा वरदान हैं”, मोक्ष म्युज़िक की सबसे अदभुत प्रस्तुति जो समर्पित है बेटियों के लिए. जिसमें बेटियों के विभिन्न रूप को दर्शाया है. मार्मिकता भरी इस कविता को लिखा और प्रस्तुत किया है प्रसिद्ध साहित्यकार और उत्तर प्रदेश सरकार में राज्यमंत्री पद्मश्री डॉ सुनील जोगी ने और इसे मीठे संगीत से सजाकर कविता विडियो का निर्माण किया है मोक्ष म्युज़िक कंपनी के संगीतकार राज महाजन ने.

हम सभी यह बात जानते हैं कि आज के युग में बेटियां किसी भी मायनों में बेटों से कमतर नहीं हैं. लेकिन यह बात जानते हुए भी हम हर जगह फर्क करते हैं. सिर्फ बोलने भर से ही बदलाव नहीं होते. बदलाव लाने के लिए बहुत से क़दम उठाने होते हैं. “बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ” आज एक अहम मुद्दा है जिसके लिए भारत सरकार भी प्रयासरत हैं और अपने-अपने तरीके से इस क्षेत्र में काम भी कर रही हैं. लेकिन बदलाव तभी संभव हो पायेगा जब हम व्यक्तिगत रूप से भी इस बदलाव को होंगे देंगे और इसके लिए कदम उठाएंगे.

ऐसा ही एक व्यक्तिगत प्रयास किया है प्रसिद्ध संगीतकार राज महाजन ने और इस काम में उनका साथ निभाया पद्मश्री साहित्यकार डॉ सुनील जोगी ने. उन्होंने बेटियों पर हो रहे अत्याचार को मद्देनज़र रखते हुए, लोगों को बेटी के प्रति जागरूक करने के लिए एक कविता-वीडियो बनाई जिसका शीर्षक रखा गया “बेटियां – सबसे बड़ा वरदान”. इस कविता विडियो को बनाने के पीछे मकसद है समाज में फैली विकृत मानसिकता को खत्म करने का प्रयास करना. ताकि हमारी बहू, बेटियां सुरक्षित रहें. उनके बढ़ते कदम कभी रुकने न पायें.

राज महाजन अपने नए प्रयोगों के लिए जाने जाते हैं. बेटियां कविता के ज़रिये उन्होंने प्रोडक्शन के क्षेत्र में एक नया काम किया है. आपने म्युज़िक-विडियो तो बहुत देखे होंगे, लेकिन इस बार यह काव्य-विडियो अपने आप में ही काफी करिश्माई है. कविता की प्रस्तुति का यह नया अंदाज़ विडियो के रूप में राज महाजन कि परिकल्पना है. विडियो में शब्दों और उनके भावों का बखूबी प्रयोग किया गया है. डॉ जोगी की कलम से काफी चुनिन्दा शब्द निकले हैं, साथ ही शब्दों से संबंधित स्लाइड का प्रयोग किया गया है जिससे उन शब्दों का वजन कई गुना अधिक बढ़ गया है. जो वस्तुएं को हमारी आँखें देखती हैं वो हमारे मस्तिष्क पर गहरा असर डालती हैं और हमें याद भी रहती हैं. इसलिए यह कविता विडियो के रूप बनाई गई है ताकि ज़्यादा से ज़्यादा लोग इसे देखकर अपनी सोच को बदल सके. सबसे ज़्यादा कमाल किया है शब्दों के पीछे चलने वाले संगीत ने. जिसे संगीतकार राज महाजन ने ख़ास इस कविता विडियो के लिए बनाया.

हाल ही में राज महाजन और डॉ सुनील जोगी एक साथ अपने फैन्स से फेसबुक लाइव के माध्यम से रूबरू हुए और इस काव्य-विडियो के बारे में बात की. इतने संवेदनशील मुद्दे को इतने बेहतरीन ढंग से दिखाना वाकई में काबिले तारीफ है. सूत्रों की माने, तो आगे बहुत जल्द राज महाजन और साहित्यकार सुनील जोगी मिलकर एक साथ फिर कुछ अलग ही करने जा रहे हैं. जी हाँ! अब जोगी जी सिंगर बनने जा रहें हैं और यह कारनामा भी राज महाजन ही करवा रहे हैं. बहुत जल्द सुनील और राज की जोड़ी एक ऐसा हास्य-गाना दर्शकों के लिए ला रही है जिसे लोग खूब मजे के साथ सुनेंगे और खुद की ज़िन्दगी से जोड़ कर भी देखेंगे. हो सकता है भविष्य में आप कवि सुनील जोगी और संगीतकार राज महाजन को मंच साझा करते हुए देख पाएं.

राज महाजन ने कहा, “एक संगीतकार होने के नाते मैं तरह-तरह के प्रयोग करता रहता हूँ. मैं हिंदी भाषा के उत्थान को लेकर काम करना चाहता था. जिसके लिए मैं कुछ नया करना चाहता था. इसी दौरान मेरी मुलाक़ात जोगी जी से हुई और जब हम दोनों साथ बैठे तो निकल आया कविता विडियो ‘बेटियां’. पारंपरिक काव्य-कला को काव्य-विडियो के नए रूप में बनाकर मैंने यह प्रयोग किया है. और मुझे कई कवियों कि तरफ से इस नए प्रयोग के लिए शुभकामनायें मिल रही हैं. मेरा मानना है कि हमें काम में हमेशा नयापन लाना चहिये ताकि काम में ताजगी बनी रहे.”

वहीं सुनील जोगी ने कहा, “बेटी के प्रति मेरी पहले से ही विशेष सहानुभूति रही है. जब मैंने बेटी पर एक कविता राज भाई को सुनाई तो इन्होंने कहा क्यों न इस पर एक वीडियो बनाई जाए. मैंने एक कविता लिखी और इन्होंने उसपर विडियो बना दिया जो आप सबके सामने है जिसे आप दर्शक खूब प्यार दे रहे हैं. मुझे लगता है इस प्रयोग से काव्य-रचना कला को एक नया आयाम मिलेगा”

राज महाजन ने बताया, “कई जगह बेटी वाले खुद को छोटा समझते हैं, जबकि बेटे वालों को बड़ा समझा जाता है. लेकिन ऐसा समझा जाना बेहद गलत है. आज बेटी किसी भी तरह से बेटों से कम नहीं है. वह हर क्षेत्र में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रही है. मेरी खुद की भी एक बेटी है और मुझे गर्व होता है कि मेरे घर में एक बेटी ने जन्म लिया है. हमने कोशिश की है कि वीडियो के जरिए हम समाज की ऐसी ही कुरीतियों और बुराइयों को कम कर सकें.”

सुनील जोगी ने कहा, “बेटियों पर आज कई तरह के अत्याचार हो रहे हैं. रेप और घेरेलु हिंसा जैसी घटनाएं आम होती जा रहीं हैं. हम चाहते हैं कि इस वीडियो से समाज के लोगों की विकृत मानसिकता बदले. हम दोनों का उद्देश्य लोगो को यह समझाना है कि बेटियां बोझ नहीं बल्कि बोझ उतारती हैं.”
राज महाजन में कहा, “मेरी खुद एक बेटी है तो इस वीडियो में मेरा पर्सनल अटैचमेंट आ गया. आपने इस वीडियो को देखा होगा तो जोगी जी के पीछे बैकग्राउंड में कुछ तस्वीरें चल रही हैं. उन्हीं तस्वीरों में मेरी बेटी सौम्या और जोगी जी की बेटी शिवोना की तस्वीरें भी नज़र आएँगी. यहाँ मैं यह भी कहना चाहूँगा कि अगर इस वीडियो के किसी भी हिस्से का सन्देश लोगों के दिल में उतर जाए तो हम इसे अपनी कामयाबी समझेंगे. हम समझेंगे हमारा प्रयास सफल हुआ.”

सुनील जोगी बताते हैं, “कविता को इस तरह से प्रस्तुत करना मेरे लिए बेहद रोमांचकारी था. मैंने यह कविता बेटियों को समर्पित की है. मेरी कविता से किसी भी व्यक्ति के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है तो मैं इसे कविता की कामयाबी समझूंगा.”

सुनील जोगी के साथ अपनी पहली मुलाक़ात के बारे में राज ने कहा, “हम दोनों की मुलाकात एक टीवी शो के दौरान हुई. आपको बता दूं मेरा एक टीवी शो आया करता था ‘म्युज़िक मस्ती विद राज महाजन’. इसमें चर्चित चेहरों से उनकी ज़िन्दगी से जुड़े सभी पहलुओं पर बातचीत होती थी वो भी म्युज़िक के अंदाज़ में. बस वहीं से हम दोनों की मुलाक़ात हुई और दोस्ती का सिलसिला चल पड़ा जो आज इस कविता विडियो के ज़रिये आपके सामने है.”

वहीँ साहित्यकार सुनील जोगी ने बताया, “मैं एक गेस्ट के रूप में राज भाई के टीवी शो पर आया था. शो में सवाल-जवाब के बीच में ही ऐसा लगने लगा था मानो हमारी जान-पहचान बहुत पुरानी है. आज हम दोनों साथ में है और कोशिश कर रहे हैं अपने-अपने काम के ज़रिये लोगों तक अच्छे सन्देश फैला सकें.”

आपको बता दें कि राज महाजन संगीत की दुनिया का एक जाना-पहचाना नाम है. जिन्होंने कई कठिनाइयों के बाद इस मुकाम को हासिल किया है. एक अच्छे इंसान होने के साथ-साथ राज एक कमाल के कलाकार भी हैं. बचपन से ही संगीत को पूजने वाले राज आज इस मुकाम पर हैं जहाँ से वह आने वाले कल को एक मंच दे रहे हैं. अपनी कम्पनी “मोक्ष म्युज़िक” के ज़रिये राज कलाकारों को ऐसा मंच देते हैं जिसपर चलकर आज का कलाकर आने वाले कल का सिकंदर बने, खुद को पहचान सके और निखार सके. न्यू कमर्स के लिए गॉडफादर बन चुके राज में सभी गुण मौजूद हैं जो उन्हें एक कामयाब इंसान बनाते हैं.

वहीँ राज के दोस्त कवि सुनील जोगी भी किसी से कम नहीं. साहित्य की दुनिया का एक जाना-माना चेहरा हैं. सुनील जोगी कमाल के साहित्यकार हैं जिनकी छाप अक्सर कवि सम्मेलनों में देखने को मिलती है. साथ ही वह मौजूदा उत्तर प्रदेश सरकार में राज्य मंत्री भी हैं और हिंदुस्तान अकादमी में चेयरमैन हैं. साहित्य में अनुपम योगदान के लिए उन्हें पिछले ही वर्ष पद्मश्री से नवाजा जा चुका है. अभी हाल ही में सुनील जोगी को उत्तर प्रदेश सरकार से यश भारती का खिताब भी मिला है.

इस तरह के कार्यों से ही बेहतर कल का निर्माण हो सकता है. सभी को अपनी-अपनी जिम्मेदारियों का एहसास अगर होगा तो समाज में फैली कुरीतियाँ एक दिन खत्म ज़रूर होंगी.

इस कविता का ऑडियो और विडियो on itunes, saavn, gaana, soundcloud, spotify, deezer, mobile tunes, hungama और 250 से ज्यादा म्युज़िक और विडियो websites पर पुरे विश्व में उपलब्ध है.

इस कविता-विडियो को आप YouTube पर निम्न लिंक के माध्यम से देख सकते हैं :

यूपी में अखिलेश की उजली छवि पर दाग लगा रहे यूपी के भ्रष्ट सूचना आयुक्त

सरकारी खर्चे पर यूपी के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के निजी फेसबुक-ट्विटर का प्रचार
अखिलेश यादव,मुख्यमंत्री, यूपी

उर्वशी शर्मा

लखनऊ. यूपी की राजधानी लखनऊ की चर्चित समाजसेविका और आरटीआई एक्टिविस्ट उर्वशी शर्मा ने यूपी के मुख्य सूचना आयुक्त और सूबे के पूर्व मुख्य सचिव जावेद उस्मानी द्वारा सूचना आयोग की फाइलों को विनष्ट करने के लिए बीते साल मार्च में जारी किये गए एक आदेश को अवैध बताते हुए इस आदेश को आधार बनाकर जावेद उस्मानी, सभी 8 सूचना आयुक्तों, आयोग के सचिव राघवेन्द्र विक्रम सिंह समेत आयोग के अनेकों अधिकारियों को भ्रष्टाचार करने, भ्रष्टाचार को पोषित करने,आयोग में भ्रष्टाचार को बढाने वाला और आरटीआई आवेदकों के साथ धोखाधड़ी बताते हुए कटघरे में खड़ा किया है और इन सभी पर अपने निजी स्वार्थ साधने के लिए यूपी के सीएम अखिलेश यादव की उजली छवि पर
दाग लगाने का कार्य करने का आरोप लगाते हुए इन सबकी शिकायत सूबे के सीएम और राज्यपाल को प्रेषित की है.

उर्वशी ने बताया कि सूचना आयोग के सभी भ्रष्ट अधिकारियों ने एक राय होकर एक ऐसा आदेश जारी कर दिया है जिसे करने के लिए सूचना आयोग अधिकृत ही नहीं था. बीते साल के मार्च माह में यह आदेश जारी कर सूचना आयोग की फाइलों को 6 महीने बाद ही नष्ट करने का प्राविधान किया गया है जबकि केंद्र सरकार और सूबे की सरकार ने आरटीआई के प्रकरणों से सम्बंधित पत्रावलियों को कम से कम 3 वर्ष तक रखे जाने की अनिवार्यता रखी गयी है. बकौल उर्वशी किसी श्रेणी की पत्रावलियों को विनष्ट किया जाना एक नीतिगत प्रश्न है और सूचना आयुक्त या सूचना आयोग केंद्र सरकार या किसी राज्य सरकार की नीति से प्रतिकूल जाकर अधिनियम की धारा 15(4) के तहत इस प्रकार का मनमाना अतिक्रमण करने के लिए अधिकृत नहीं हैं.

उर्वशी ने बताया कि अधिनियम की धारा 15(4) के तहत सूहना आयोग के कार्यों के साधारण अधीक्षण,निदेशन और प्रबंध के सम्बन्ध में ही नियम बनाए जा सकते हैं न कि नीतिगत विषयों के सम्बन्ध में. बकौल उर्वशी उनको कुछ सूत्रों से जानकारी मिली है कि आरटीआई जद में आये भ्रष्ट लोकसेवकों के समूह ने इस गैरकानूनी आदेश को जारी कराने के लिए जावेद उस्मानी समेत सभी सूचना आयुक्तों को घूस की मोटी रकम दी थी और इस अवैध आदेश को बनाए रखकर सभी सूचना आयुक्त भ्रष्ट लोकसेवकों के समूह से आज भी मोटी रकम ऐंठ रहे हैं और यही कारण है कि इलेक्शन कमिश्नर के समकक्ष पद धारित करने वाले पूर्व मुख्य सचिव जावेद उस्मानी , मुख्य सचिव के समकक्ष पद धारित करने वाले
सूचना आयुक्त और आई.ए.एस. कैडर के सचिव राघवेन्द्र विक्रम सिंह इस अनियमितता पर आँख बंद किये हैं और 8-8 महीने आगे की तारीखे देने वाला सूचना आयोग गुपचुप केस ख़त्म कर 6 महीने में सूचना आयुक्तों और लोकसेवकों के भ्रष्टाचार के सबूतों को नष्ट कर रहा है.

बकौल उर्वशी यदि सूबे के सभी कार्यालयों के विभागाध्यक्ष इन सूचना आयुक्तों की मानिंद फाइलों को विनष्ट करने के मनमाने आदेश करने लगें तो अपने समय की अनियमितताओं की फाइलें अपने हिसाब से नष्ट कर निश्चिन्त हो जाएँ और सूबे का प्रशासनिक ढांचा भरभरा के गिर पड़े.

सूचना आयुक्तों के द्वारा इस गैरकानूनी आदेश को जारी करने और इस गैरकानूनी आदेश के अनुसार कार्य कराने को भारतीय दंड विधान और पब्लिक रिकार्ड्स एक्ट के तहत 5 साल की सजा वाला अपराध बताते हुए उर्वशी ने एस.एस.पी. लखनऊ को एक तहरीर देकर जावेद उस्मानी, 8 सूचना आयुक्तों और सचिव राघवेन्द्र विक्रम सिंह के खिलाफ एफ.आई.आर. लिखकर वैधानिक कार्यवाही की मांग की है.

बकौल उर्वशी सूचना आयुक्तों के ऐसे गैरकानूनी कृत्यों से सूबे का नाम तो बदनाम हो ही रहा है और साथ ही साथ पारदर्शिता के प्रति प्रतिबद्ध सूबे के मुखिया अखिलेश यादव की उजली छवि पर दाग लग रहे हैं और इसीलिये उन्होंने राज्यपाल के साथ साथ अखिलेश को पत्र भेजकर सूचना आयुक्तों के खिलाफ कार्यवाही करने की मांग भी की है.

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