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इंडिया टीवी ने खोली पाकिस्तानी चैनल की पोलपट्टी

पाकिस्तानी चैनलों का प्रोपगेंडा
पाकिस्तानी चैनलों का प्रोपगेंडा

भारत-पाकिस्तान के बीच मीडिया वॉर:

दो देशों के बीच जब जंग के हालात बनते हैं तो सिर्फ दोनों देश की सेनाएं ही आमने-सामने नहीं होती, दोनों देशों के मीडिया के बीच भी अघोषित युद्ध शुरू हो जाता है. आजकल भारत-पाकिस्तान के मीडिया के बीच भी कुछ ऐसे ही हालात हैं. हाल ही में पाकिस्तान के न्यूज़ चैनलों पर एक फर्जी वीडियो दिखाया गया जिसमें एक भारतीय सैनिक को घायल दिखाया गया और इसे हाल के भारत द्वारा किये गए सर्जिकल स्ट्राइक से जोड़ दिया गया. लेकिन ये पुरानी फूटेज निकली, जिसका इंडिया टीवी समेत तमाम भारतीय चैनलों ने पर्दाफाश किया.

इंडिया टीवी के एंकर सौरभ शर्मा ने पाक मीडिया की पोलपट्टी खोलते हुए सोशल मीडिया पर लिखा – “कल से आज तक पाकिस्तान के टीवी चैनलों ने जो भी वीडियो दिखाये , भारतीय सैनिकों के मारे जाने या घायल होने के , वो फ़र्ज़ी और पुराने थे। 2012 की छत्तीसगढ़ की नक्सली कार्रवाई के वीडियो को दिखाया गया जिसमें CRPF ke जवान घायल हुए थे, ऐसे ही LOC का एक वीडियो जिसमें भारतीय पोस्ट पर हमला दिखाया वो भी 2012 का है। दोनों विडियो YOUTUBE पर मौजूद हैं। INDIATV ने दोनों की असलियत दिखाई आज। जो ढोल पीट पीट कर ,गा गा कर पाकिस्तानी टीवी चैनल और एंकर कल से बेहूदा ड्रामा कर रहे हैं डूब मरें।”

वहीं इंडिया टीवी के मैनेजिंग एडिटर ने सोशल मीडिया पर लिखा – “चार साल पहले CRPF पर हुए नक्सली हमले के वीडियो को घायल फौजियों का वीडियो बताकर दिखा रहा पाक मीडिया”

ओम थानवी को टाइम्स नाऊ पर पत्रकारिता नहीं फासिज्म दिखता है

ओम थानवी,वरिष्ठ पत्रकार
ओम थानवी,वरिष्ठ पत्रकार

जनसत्ता के पूर्व संपादक और वरिष्ठ पत्रकार ओम थानवी इन दिनों टाइम्स नाऊ पर भिड़े हुए हैं. हर दूसरे दिन वे टाइम्स नाऊ और अर्नब गोस्वामी को लेकर कुछ न कुछ लिखते रहते है जिसका सार आलोचना होता है. वैसे वे खुलेआम अर्नब को मोदी / भाजपा भक्त करार चुके है. इसी सिलसिले में आज सर्जिकल स्ट्राइक पर रवीश कुमार और बरखा दत्त की तारीफ़ करते हुए उन्होंने सोशल मीडिया पर अपना स्टेटस अपडेट किया –




ओम थानवी

अर्नब गोस्वामी न्यूज़आवर में बहस करते
अर्नब गोस्वामी न्यूज़आवर में बहस करते

आजकल टीवी देखना पड़ रहा है। पता नहीं कब क्या सरप्राइज़/सर्जिकल ख़बर निकल आय!

सदा की तरह पहले रवीश की बात सुनी। फिर भारत-पाक तनाव पर बरखा दत्त की चर्चा। यह होती है बहस:

संजीदा लोग, सबको बात कहने का मौक़ा, ऐंकर पार्श्व में। पार्थसारथी ज़रूर उत्तेजना में सुधींद्र कुलकर्णी के प्रति ग़ैर-राजनयिक हो गए। परिवेश ऐसा है कि राष्ट्रवाद सबमें ज़ोर मारने लगता है। सुधींद्र का राष्ट्रप्रेम भी असंदिग्ध है, पर वे निस्संकोच कश्मीर समस्या के निपटारे की ओर भी ध्यान दिलाते हैं, अपना संयम खोए बिना।

हिंदी चैनलों की ओर लौटते वक़्त फिर बीच में कहीं ‘लड़ाई’ देख ठहर गया – टाइम्स नाउ ही था। उस रोज़ सबा नक़वी निशाने पर थीं, आज सईद मिर्ज़ा। शिव सेना-मनसे के लिए मानो हर मुसलमान पाकिस्तान-समर्थक होता होगा, पर टीवी पत्रकारों में तो विवेक होना चाहिए। इस कथित बहस में पाकिस्तानी कलाकारों – साथ में उनका पक्ष लेने वाले सलमान ख़ान – के प्रति चैनल (और उसके अधिकांश ‘मेहमान’) का पुनर्निर्धारित दुराग्रह था।

उस रोज़ सुधींद्र कुलकर्णी ने अर्णब को कहा था – “मैंने आपसे बदतरीन (‘worst’) ऐंकर पहले कभी नहीं देखा।”
आज सईद मिर्ज़ा ने कहा – ” यह पत्रकारिता नहीं है, यह फ़ासिज़्म (Fascism) है।”
इत्यलम।




अंधराष्ट्रवाद में ज़ी न्यूज़ के प्रोड्यूसर पगला गए हैं

ज़ी न्यूज़ के एंकरों के नाम हाफिज सईद का पैगाम
ज़ी न्यूज़ के एंकरों के नाम हाफिज सईद का पैगाम

नदीम एस.अख्तर

अंधराष्ट्रवाद में ज़ी न्यूज़ के प्रोड्यूसर पगला गए हैं । हेडलाइंस चला रहे हैं कि –सार्क सम्मलेन स्थगित, भारत की कूटनीतिक जीत—.

अरे मूर्खों, सार्क जैसा आपसी विकास का मंच स्थगित हो गया, ये पकिस्तान की जीत है, ना कि भारत की। पाकिस्तान तो पहले ही failed state है और विकास से उसका कोई सरोकार नहीं। लेकिन भारत का तो है और विकासपुरुष मोदीजी -विकास- के कंधे पे ही चढ़ के केंद्र की सत्ता में आए थे।

भारत की कूटनीतिक जीत ये होती कि सार्क सम्मलेन के मंच से ही वो सदस्य देशों से पाकिस्तान के खिलाफ बयान दिलवा लेता और सार्क के मंच पे पाक को अलग-थलग कर लेता।

खैर। इन मूर्ख टीवी प्रोड्यूसरों के मुंह कौन लगे। यहाँ घोड़े-गधे सब चर रहे हैं।

#surgicalstrike @fb

अखबार के विज्ञापनों से परेशान ओम थानवी

झारखंड के सभी अखबारों में मोदी जी आ गए
झारखंड के सभी अखबारों में मोदी जी आ गए (चित्र सुशांत झा के सौजन्य से)




ओम थानवी,वरिष्ठ पत्रकार

सुबह अख़बार ख़रीदता हूँ, मिलता है विज्ञापनों का ढेर। उन्हीं के बीच धंसी ख़बरें ढूँढ़ कर पढ़ लीजिए। देश में विज्ञापनों के अनुपात का सर्वमान्य क़ायदा क्यों नहीं है? पूरे पन्ने पर चार-छः ख़बरें? कहीं-कहीं पूरा पन्ना (आवरण सहित) विज्ञापन को समर्पित! लगातार दो-चार पन्ने भी। अख़बार मालिकों और सरकार की यह मिलीभगत पाठक पर एक विचित्र बोझ है।

घर में बाज़ार से कोई परचा फेंक जाय, लोग उसे शायद आगे फेंक देंगे। इसलिए उसे अख़बार में गूँथकर, सजाकर, छापकर दे दिया जाता है। इसमें अरबों-खरबों की कमाई अख़बार करते हैं। लगभग मुफ़्त में गट्ठर-सा अख़बार दे जाते हैं; मक़सद (धन बरसाने वाले) विज्ञापनों को ज़्यादा से ज़्यादा घरों में पहुँचाना है, न कि ख़बरें। कहना न होगा, यह बड़ी पूँजी वाले बहुरंगी अख़बारों की कहानी है।



सही है कि बिना विज्ञापन अख़बार नहीं चल सकते। लेकिन मुख्यतः वे अख़बार ही हैं, इसे कैसे भुलाया जा सकता है। मुझे ख़याल है पहले मालिक ख़ुद इस बात का लिहाज़ करते हुए ख़बर/विज्ञापन का अनुपात (70/30 से 60/40 तक) तय कर रखते थे। अब विज्ञापन के लिए एक मैनेजर अच्छी-ख़ासी ख़बर हटवा देता है; आजकल का सम्पादक इस हरकत पर कुछ नहीं कर सकता।

(ओम थानवी के एफबी वॉल से साभार)

सर्जिकल स्ट्राइक पर दिलीप मंडल के दो स्टेटस




स्टेटस 1- संपादकों और एंकरों. आपकी उत्तेजना को हम सब समझ रहे हैं. लेकिन सेना ने कभी नहीं कहा है कि पाकिस्तान में कैंपों पर सर्जिकल हमला किया गया है.

सेना ने साफ साफ कहा है कि LoC यानी लाइन ऑफ कंट्रोल पर बने आतंकवादी लांच पैड पर हमला किया गया है.

वह भारतीय जमीन है. सेना ने बहुत सावधानी से शब्दों को चुना है.

सेना ने न सिर्फ प्रेस कॉन्फ्रेंस किया है, बल्कि लिखित बयान भी जारी किया है. एक बार पढ़ भी लो.
अपनी बेवकूफी में LoC को पाकिस्तानी जमीन न बताओ.




स्टेटस 2-हामिद मीर याद है आपको? भारतीय न्यूज चैनलों का पाकिस्तान में सबसे भरोसेमंद सूत्र। वही जिसके कहने पर चैनलों ने खबर चलाई थी कि इस्लामाबाद में F16 फ़ाइटर उड़ रहे हैं। वह जो कुछ बोलता है, चैनल दिखाते और सुनाते हैं।

उसका दिमाग़ ख़राब हो गया है।

वह आज बक रहा है कि 14 भारतीय सैनिक मारे गए हैं। शव मिलने की बात कर रहा है।

अच्छा है कि भारतीय चैनल उसका फ़ोन पर इंटरव्यू नहीं ले रहे हैं। एक इंटरव्यू देने के 50,000 रु वसूलता है।
हामिद मीर को बैन करो।

(दिलीप मंडल के एफबी वॉल से)

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