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राष्ट्रवाद को लेकर जी हिंदुस्तान और टाइम्स नाऊ नवभारत में किच – किच !

Zee Hindustan and Times Now Navbharat over rashtravad
जी हिंदुस्तान का टाइम्स नाऊ नवभारत पर कार्यक्रम राष्ट्रवाद का नाम नकल करने का आरोप

सरफराज सैफी का राष्ट्रवाद बनाम सुशांत सिन्हा का राष्ट्रवाद – TV News Anchor News In Hindi

TV News in Hindi : समाचार चैनलों की दुनिया में यदि कोई स्टोरी आइडिया (Stroy Idea) सुपरहिट हो जाए तो उसे कॉपी (Copy) कर दर्शकों के सामने पेश करने में दूसरे चैनल (Channel) तनिक भी देर नहीं करते। इस मामले में छोटे -तो- छोटे तथाकथित बड़े चैनल (बड़े ब्रांड) भी पीछे नहीं रहते। समाचार चैनलों के स्क्रीन (Screen) पर ऐसे दर्जनों उदाहरण आपको दिखायी दे जाएंगे जहां आपको स्पष्ट रूप से नकलचेपी दिखायी दे जाएगी। हाल ही में एक ऐसा ही मामला प्रकाश में आया है जिसके बाद दो चैनलों के पत्रकारों के बीच किचकिच जारी है। पूरा मामला कुछ इस तरह से है –

जी हिंदुस्तान का राष्ट्रवाद – सरफराज सैफी के साथ : Rashtravad with Sarfaraz Saifi on Zee Hindustan

जी मीडिया ग्रुप (Zee Media Group) के चैनल जी हिंदुस्तान (Zee Hindustan) ने कुछ समय पूर्व ‘राष्ट्रवाद’ नाम से 9 बजे के प्राइम टाइम में एंकर सरफराज सैफी (Sarfaraz Saifi) के साथ एक प्रयोग शुरू हुआ। प्रयोग सफल रहा और कार्यक्रम को दर्शकों की अच्छी प्रतिक्रिया मिली। हाल ही में कार्यक्रम ने अपने 7 महीने सफलतापूर्वक पूरे भी कर लिए। चैनल ने 7 महीने पूरे होने पर कार्यक्रम का बैनर-पोस्टर भी धूम-धड़ाके के साथ जारी किया और दर्शकों का धन्यवाद भी अदा किया। अभी यह जश्न चल ही रहा था कि एक खबर ने रंग में भंग डालने का काम किया। यह खबर टाइम्स ग्रुप (Times Group) के हिन्दी समाचार चैनल (Hindi News Channel) के ‘राष्ट्रवाद’ से संबंधित था!

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टाइम्स नाऊ नवभारत का राष्ट्रवाद – सुशांत सिन्हा के साथ : Rashtravad with Sushant Sinha on Times Now Navbharat

1 अगस्त को एक नए हिन्दी चैनल के रूप में टाइम्स नाऊ नवभारत (Times Now Navbharat) का उदय हुआ। चैनल ने कुछ कार्यक्रमों की घोषणा के साथ नए चैनल का आगाज किया। इन कार्यक्रमों में एक कार्यक्रम ‘राष्ट्रवाद’ के नाम से भी शाम 5 बजे शुरू किया गया जिसे एंकर सुशांत सिन्हा (Anchor Sushant Sinha) होस्ट (Host)कर रहे हैं। बस यही से टाइम्स नाऊ नवभारत और जी हिंदुस्तान के पत्रकारों में अघोषित खींच-तान शुरू हो गयी।

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जी हिंदुस्तान और टाइम्स नाऊ नवभारत के बीच राष्ट्रवाद का टशन – Zee Hindustan Vs Times Now Navbharat in Hindi

टाइम्स नाऊ नवभारत ने जैसे ही ‘राष्ट्रवाद’ नाम से कार्यक्रम की घोषणा की, वैसे ही जी हिंदुस्तान के कई पत्रकारों की प्रतिक्रिया सोशल मीडिया पर आने लगी। हालांकि किसी ने टाइम्स नाऊ नवभारत का नाम नहीं लिया, लेकिन इन प्रतिक्रियाओं को पढ़कर आसानी से समझा जा सकता है कि किसके बारे में बात की जा रही है। अब यह दर्शकों पर निर्भर करता है कि एक ही नाम वाले दो चैनलों के राष्ट्रवाद को लेकर वे क्या नजरिया अपनाते हैं?

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राष्ट्रवाद को लेकर सोशल मीडिया पर आयी कुछ टिप्पणियाँ –

जी हिंदुस्तान के मैनेजिंग एडिटर शमशेर सिंह लिखते हैं –

टेलिविज़न में ideas की बेहद कमी है।सोचने वालों का अकाल पड़ गया है।शो का नाम तक खुद नहीं सोच सकते,सीधा चुरा लेते हैं। “राष्ट्रवाद“ शो @Zee_Hindustan पर पिछले सात महीने से @sarfaraazsaifi कर रहे हैं।अब एक नया चैनल इस नाम से शो करेगा। “शंखनाद “ नाम भी एक बड़े चैनल ने चुरा लिया था।

जी हिंदुस्तान के आउटपुट हेड नीरज सिंह लिखते हैं –

Niraj Singh @nirajnews
#Rashtravaad #राष्ट्रवाद राष्ट्रवाद चोरी नहीं किया जा सकता, निभाया जा सकता है. इसलिए असली राष्ट्रवाद सिर्फ ज़ी हिंदुस्तान के साथ

जी हिंदुस्तान के ट्विटर हैंडल से भी ट्वीट किया गया –

ZEE HINDUSTAN @Zee_Hindustan
देश के सबसे दमदार प्राइम टाइम शो ‘राष्ट्रवाद’ की कामयाबी पर आपका शुक्रिया नक्कालों से सावधान, राष्ट्रवाद के 7 महीने पूरे असली राष्ट्रवाद सिर्फ ZEE Hindustan पर Sarfaraaz Saifi के साथ

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अनुराग सिसोदिया (Anurag Sisodia) –

‘राष्ट्रवाद’ मतलब सिर्फ और सिर्फ @Zee_Hindustan …एक और नया चैनल करेगा ‘राष्ट्रवाद’ की कॉपी लेकर @Zee_Hindustan
का नाम।।

raghunath saran @raghunath9

ये तो Zee Hindustan के राष्ट्रवाद की धमक है कि इसका विकल्प तक नहीं सोच पा रहे हैं लोग…ये नकल, ये चोरी, ये मजबूरी उसी की गवाही है. हैरानी तो ये है कि ऐसी चोरियां शंखनाद करके की जा रही है. दुनिया सब देख रही है.

शिव सिंह @journo_Shiv

मैं @sarfaraazsaifi भी एक हैं
देश का दमदार बुलेटिन राष्ट्रवाद भी एक हैं
हम खुद खड़े होते हैं
खुद ही लड़ते हैं
देश की बात आप तक पहुंचाते हैं
गांव शहर की आवाज़ आज बन चुके हैं हम
हम यूहीं लड़ेंगे और जीतते रहेंगे
क्योंकि हम @Zee_Hindustan हैं
हमारा संवाद राष्ट्रवाद

जी हिंदुस्तान में ‘सरफराज सैफी’ के ‘राष्ट्रवाद’ का जश्न !

sarfaraz saifi ka rashtravad
जी हिंदुस्तान पर राष्ट्रवाद

7 महीने पुराना हुआ सरफराज सैफी का राष्ट्रवाद, जी हिंदुस्तान ने केक काटकर किया सेलिब्रेट

जी हिंदुस्तान के बहुचर्चित कार्यक्रम ‘राष्ट्रवाद’ ने अपने 7 महीने सफलतापूर्वक पूरे कर लिए। इस मौके पर केक काटकर चैनल ने कार्यक्रम की कामयाबी का जश्न मनाया।

सोशल मीडिया पर भी चैनल और कार्यक्रम से जुड़े चैनल के पत्रकारों ने कार्यक्रम की सफलता के लिए दर्शकों का धन्यवाद अदा किया।

गौरतलब है कि जी हिंदुस्तान पर रात 9 बजे प्रसारित होने वाले इस कार्यक्रम को एंकर सरफराज सैफी होस्ट करते हैं। इस मौके पर उन्होंने ट्विटर पर पोस्ट करते हुए लिखा –

गूगल ने भारत में 11.6 लाख से अधिक कंटेन्ट को अपने प्लेटफॉर्म से हटाया

google

आईटी नियमों को ध्यान में रखकर गूगल ने भारत में उसके प्लेटफॉर्म पर मौजूद लाखों आपत्तिजनक कंटेंट को हटा दिया है. गूगल के अनुसार , इस अभियान के तहत भारत में मई और जून के महीनों में 11.6 लाख से अधिक आप्पतिजनक ऑनलाइन कंटेन्ट को हटा दिया गया है. इन कंटेंट को लेकर यूजर्स ने शिकायत दर्ज करवायी थी. यह कार्रवाई आईटी नियमों के तहत किया गया है.

गूगल ने अपनी स्वचालित पहचान प्रक्रियाओं के माध्यम से मई में हार्मफुल कंटेन्ट के 634,357 और जून 2021 के लिए 526,866 को हटा दिया.

अमेजॉन प्राइम पर सबसे ज्यादा देखी जाने वाली हिंदी फिल्म बनी तूफान !

toofan on amazon prime
अमेज़न प्राइम पर तूफान की सफलता

ओटीटी अमेजॉन प्राइम (OTT News in Hindi) पर कुछ समय पहले ही रिलीज हुई फिल्म ‘तूफान’ ने रिकॉर्डतोड़ सफलता हासिल की है और 2021 में अमेजॉन प्राइम पर सबसे ज्यादा देखी जाने वाली हिंदी फिल्म बन गई है। अमेजॉन प्राइम वीडियो की तरफ से यह आंकड़ा जारी किया गया है। गौरतलब है कि इस फिल्म में फरहान अख्तर ने मुक्केबाज की मुख्य भूमिका अदा की है जिसे दर्शकों ने पसंद किया और रिलीज होने के पहले सप्ताह के भीतर ही सबसे ज्यादा देखे जाने वाले वीडियो के रूप में शीर्ष पर पहुँच गया।

फिल्म को भारत के 3,900 प्लस से अधिक कस्बों और शहरों में और दुनिया भर के 160 से ज्यादा देशों और क्षेत्रों में देखा गया है। इसके अलावा, स्थानीय भाषाओं की श्रेणी में और क्षेत्र में विश्व स्तर पर, फिल्म ‘नरप्पा’ (तेलुगु), ‘सरपट्टा परंबरई’ (तमिल) और ‘मलिक’ (मलयालम), भारत के 3,200 से अधिक कस्बों और शहरों में और 150 से अधिक देशों में देखी गईं।

भारतीय पत्रकार दानिश सिद्दीकी की तालिबान ने बेरहमी से हत्या की थी !

danish siddqui journalist
भारतीय पत्रकार दानिश सिद्दकी की तालिबान द्वारा निर्मम हत्या

माइकल रुबिन ने वाशिंगटन एक्जामिनर में भारतीय पत्रकार दानिश सिद्दकी की हत्या से संबंधित एक एक सनसनीखेज खुलासा किया है। उनकी रिपोर्ट के मुताबिक पुलित्जर पुरस्कार विजेता भारतीय फोटो जर्नलिस्ट दानिश सिद्दीकी केवल एक साधारण गोलीबारी में नहीं मारे गए थे, बल्कि तालिबान द्वारा उनकी बेरहमी से हत्या की गई थी। माइकल रुबिन ने वाशिंगटन एक्जामिनर में यह दावा किया है। स्थानीय अफगान अधिकारियों का कहना है कि सिद्दीकी ने अफगानिस्तान की राष्ट्रीय सेना की टीम के साथ स्पिन बोल्डक क्षेत्र की यात्रा की थी, ताकि पाकिस्तान के साथ लगती सीमा को नियंत्रित करने के लिए अफगान बलों और तालिबान के बीच संघर्ष को कवर किया जा सके।

रिपोर्ट में कहा गया है कि जब वे सीमा शुल्क चौकी के एक-तिहाई मील के भीतर पहुंच गए, तो तालिबान के हमले से टीम विभाजित हो गई और इस दौरान कमांडर और कुछ लोग सिद्दीकी से अलग हो गए।

इस हमले के दौरान सिद्दीकी को र्छे लगे, जिसके बाद वह और उनकी टीम एक स्थानीय मस्जिद में गए, जहां उन्हें प्राथमिक उपचार दिया गया। रिपोर्ट के अनुसार, जैसे ही यह खबर फैली कि एक पत्रकार मस्जिद में है, तालिबान ने हमला कर दिया।

स्थानीय जांच से पता चलता है कि तालिबान ने सिद्दीकी की मौजूदगी के कारण ही मस्जिद पर हमला किया था।

रिपोर्ट के अनुसार, सिद्दीकी जिंदा था और तालिबान ने उसे पकड़ लिया। तालिबान ने सिद्दीकी की पहचान की पुष्टि की और फिर उसे और उसके साथ के लोगों को भी मार डाला। रिपोर्ट में कहा गया है कि कमांडर और उनकी टीम के बाकी सदस्य उन्हें बचाने की कोशिश में मारे गए।

अमेरिकन एंटरप्राइज इंस्टीट्यूट के एक सीनियर फेलो रुबिन ने रिपोर्ट में लिखा है, हालांकि एक व्यापक रूप से प्रसारित सार्वजनिक तस्वीर में सिद्दीकी के चेहरे को पहचानने योग्य दिखाया गया है, मैंने अन्य तस्वीरों और सिद्दीकी के शरीर के एक वीडियो की समीक्षा की, जो मुझे भारत सरकार के एक सूत्र द्वारा प्रदान किया गया था, जिसमें दिखाया गया है कि तालिबान ने सिद्दीकी को सिर के चारों ओर पीटा और फिर उसके शरीर को गोलियों से छलनी कर दिया।

रुबिन ने कहा कि तालिबान की ओर से सिद्दीकी को शिकार बनाने, उन्हें मारने और फिर उनकी लाश को क्षत-विक्षत करने का निर्णय दिखाता है कि वे युद्ध के नियमों या वैश्विक समुदाय के व्यवहार को नियंत्रित करने वाले कन्वेंशन का सम्मान नहीं करते हैं।

रुबिन ने रिपोर्ट में कहा, खमेर रूज और तालिबान के बीच कई समानताएं हैं। दोनों ने नस्लवादी दुश्मनी के साथ कट्टरपंथी विचारधारा का संचार किया है। तालिबान हमेशा क्रूर रहा है, लेकिन संभवत: वे इस बार उनकी क्रूरता को एक नए स्तर पर ले गए, क्योंकि सिद्दीकी एक भारतीय थे। वे यह भी एक संकेत देना चाहते हैं कि पश्चिमी पत्रकारों का उनके नियंत्रण वाले किसी भी अफगानिस्तान में स्वागत नहीं है और वे उम्मीद करते हैं कि तालिबान के प्रचार को सच्चाई के रूप में स्वीकार किया जाएगा।

रुबिन ने रिपोर्ट में लिखा, वास्तव में, सिद्दीकी की हत्या से पता चलता है कि तालिबान ने निष्कर्ष निकाला है कि उनकी 9/11 से पहले की गलती यह नहीं थी कि वे क्रूर और निरंकुश थे, बल्कि यह कि वे हिंसक या अधिनायकवादी नहीं थे।पत्रकारों के लिए असली सवाल यह है कि विदेश विभाग सिद्दीकी की मौत को महज एक दुखद दुर्घटना बताने का ढोंग क्यों कर रहा है। (एजेंसी)
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