बेंगलुरु।। भारतीय जनता पार्टी का कहना है कि बीजेपी का मतलब टीआरपी है। बीजेपी के खिलाफ खबरें दिखाकर टीवी चैनल टीआरपी बटोर रहे हैं।
पार्टी की राष्ट्रीय प्रवक्ता निर्मला सीतारमण ने बताया कि 24 घंटे चलने वाले टीवी चैनलों के आने से मीडिया हमेशा राजनेताओं और कार्यकर्ताओं पर नजर रखता है। खासकर आप अगर बीजेपी नेता हों तो आप पर अधिक नजर रहती है।
कर्नाटक बीजेपी की ओर से आयोजित एक मीडिया कार्यशाला में निर्मला ने कहा, ‘मैं मीडिया की मौजूदगी में कहूंगी कि बीजेपी का मतलब टीआरपी है।
उनके मुताबिक बीजेपी के पक्ष में दिखाई जाने वाली खबरों को 30 फीसदी दर्शक देखते हैं जबकि पार्टी के खिलाफ दिखाई जाने वाली खबरों को शत प्रतिशत दर्शक देखते हैं।
निर्मला ने कहा कि बीजेपी से लोगों की उम्मीदें अधिक हैं इसलिए आम आदमी सोचता है कि बीजेपी कैसे खराब प्रदर्शन कर सकती है और गलत काम कर सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि मीडिया को दोष देने के बजाय बीजेपी को सतर्क रहना चाहिए। (भाषा)
ये च्यवनप्राश पत्रकारिता का काल है.
1. ये च्यवनप्राश पत्रकारिता का काल है. कोशिश है कि किसी तरह कड़ाके की ठंड के बीच गर्माहट पैदा हो. मेनस्ट्रीम मीडिया के लिए मोहन भागवत और आसाराम बापू जैसों के अंट-शंट बयान मुलेठी,दालचीनी का काम कर रहे हैं. इन सभी बुद्धि-दूहन में होड़ इस बात की है कि मुलेठी,अदरक से निकलकर अश्वगंधा कौन बने.
आप सबों से अपील है कि आजतक, जी न्यूज और एबीपी च्यवनप्राश के बजाए घर के बने च्यवनप्राश का सेवन करें. अर्थात् खबर अगर धंधा है तो प्लीज खबरों की कुटीर उद्योग की तरफ लौटिए और ऐसी वाहियात बयानबाजी से एफबी की दीवारें रंगने के बजाय इन्हें इग्नोर कीजिए. बिना वजह इन्हें जातिवाचक से व्यकितवाचक संज्ञा न बनाएं.
2.क्या मीडिया में व्यक्तिगत स्तर की ईमानदारी की कोई जगह नहीं होती ? मीडिया संस्थान अगर खुद ही इतने घोटालों,बेईमानी,धोखाधड़ी,चालबाजी और शोषण के अड्डे के रुप में आरोपों से घिर चुका है तो वहां साफ-सुथरी छवि के मीडियाकर्मी के होने-न होने के कोई खास मायने नहीं होते. आप सवाल करेंगे कि जब वो सिस्टम को सुधार ही नहीं सकता तो हम उनकी ईमानदारी का अचार डालेंगे ?