प्रेस विज्ञप्ति
भोपाल, 06 अगस्त। विद्यार्थी जब भी किसी नये संस्थान में प्रवेश लेते हैं तो वे तनाव में रहते हैं। सत्रारंभ जैसे प्रबोधन कार्यक्रम से सत्र का शुभारम्भ किया जाना एक अनुकरणीय प्रयास है। शिक्षा संस्थानों का वातावरण हर्षोल्लास और आनंद का होना चाहिए लेकिन मर्यादित। यह विचार मध्यप्रदेश शासन के उच्च शिक्षा मंत्री उमाशंकर गुप्ता ने व्यक्त किए। वे माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के सत्रारंभ समारोह में बतौर मुख्य अतिथि विद्यार्थियों को प्रबोधन दे रहे थे।
मंत्री श्री गुप्ता ने कहा कि पत्रकारिता बड़ी चुनौती और जिम्मेदारी का काम है। इसलिए पत्रकारिता के विद्यार्थियों को अध्ययन के समय ही इस चुनौती और जिम्मेदारी को अच्छी तरह समझ लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि आगे बढ़ने की होड़ में हमारी एक गलती पूरी पत्रकारिता पर सवाल खड़े कर देती है। इसलिए हमें शुरूआत में ही यह संकल्प लेना चाहिए कि अपने काम से मैं कभी भी अपने संस्थान और अपने पेशे की छवि धूमिल नहीं होने दूंगा। इस मौके पर उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान ने एक नारा दिया है-आओ बनाएं अपना मध्यप्रदेश। इसके पीछे उनकी धारणा है कि जो व्यक्ति जहां है, जो काम कर रहा है, उसे ईमानदारी के साथ करे तो प्रदेश अच्छा बनना ही है। इस अवसर पर विश्वविद्यालय द्वारा हाल ही में प्रकाशित की गई पुस्तकों का विमोचन श्री गुप्ता ने किया।
समापन समारोह की अध्यक्षता कर रहे कुलपति प्रो. बृज किशोर कुठियाला ने कहा कि हमें अपना सरोकार बड़ा रखना चाहिए। जब हम समाज की चिन्ता करते हैं तो समाज हमारी चिन्ता करता है लेकिन जब हम खुद की चिन्ता करते हैं तो फिर हमारी चिन्ता कोई नहीं करता। उन्होंने कहा कि सत्रारंभ के आयोजन का उद्देश्य पत्रकारिता के क्षेत्र का ज्ञान देना मात्र नहीं था बल्कि जीवन कैसे जीना, यह सिखाना था। उन्होंने कहा कि समय प्रबंधन, अनुशासन और नियमितता का पालन करते हुए अपनी बुद्धि का पूर्ण उपयोग करें तो आप अपना लक्ष्य आसानी के साथ प्राप्त कर सकते हैं। प्रो. कुठियाला ने कहा कि आने वाले समय में सबसे अधिक प्रशिक्षित मैनपावर की जरूरत मीडिया के क्षेत्र में है। मध्यप्रदेश को इस मैनपावर को प्रशिक्षित करने की तैयारी करनी चाहिए। प्रदेश के एनीमेशन, मल्टीमीडिया और पत्रकारिता के विशेषज्ञ मध्यप्रदेश में ही प्रशिक्षित किए जाने चाहिए। समापन समारोह का संचालन जनसंचार विभाग के अध्यक्ष संजय द्विवेदी ने किया।
पत्रकारिता प्रोफेशन नहीं, पैशन है: एनके सिंह
‘सामाजिक सरोकारों का मीडिया’ विषय पर आयोजित सत्र में वरिष्ठ पत्रकार एनके सिंह ने कहा कि आज भी पत्रकारिता प्रोफेशन नहीं है बल्कि पैशन है। पत्रकारिता में सैलरी मायने नहीं रखती, जरूरी यह होता है कि आपके दिल में दर्द हो। पत्रकारिता के लिए तड़प होनी चाहिए। यह तड़प गरीबी से आएगी। गरीबी को समझने के लिए साधारण जीवन जी कर देखिए। उन्होंने कहा कि भारत में दो तरह की पत्रकारिता हो रही है, एक है एलीट क्लास की जर्नलिज्म। मुम्बई में बारिश होती है तो मीडिया हांफ-हांफकर दिखाता है लेकिन जब अन्य इलाकों में भयानक बाढ़ और सूखा पड़ जाए तो मीडिया मौन रहता है। श्री सिंह ने समाज की धारणा में आ रहे बदलाव को भी बताया। उन्होंने कहा कि छह साल पहले प्राइम टाइम में न्यूज चैनल्स पर मनोरंजन दिखाते थे अब स्टूडियो डिस्कशन या फिर न्यूज कंटेन्ट दिखा रहे हैं।
श्री सिंह ने भारत में बढ़ रहे भ्रष्टाचार और उसको उजागर करने में पत्रकारिता की भूमिका पर भी विस्तार से चर्चा की। उन्होंने बताया भारत में भ्रष्टाचार दो तरह का हो रहा है, पे ऑफ सिस्टम और शेक डाउन सिस्टम। भ्रष्टाचार की स्थिति यह है कि प्रत्येक आम आदमी के हिस्से के पन्द्रह रुपये विदेशी बैंकों में जमा हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता लोकतंत्र के लिए जरूरी है। पत्रकारिता नहीं होगी या फिर अपना दायित्व ठीक से नहीं निभाएगी तो लोकतंत्र बचेगा नहीं। इसलिए पत्रकारिता को अपनी प्राथमिकताएं तय करने की जरूरत है।
इसी सत्र में सहारा उर्दू चैनल सहारा आलमी के संपादक सैय्यद फैसल अंसारी ने कहा कि उन्होंने पचास से अधिक देशों की यात्राएं की हैं, कई देशों में पत्रकारिता भी की है। लेकिन भारत एकमात्र देश है जहां न्यूज चैनल्स पर रियलिटी शो दिखाए जाते हैं जबकि होना यह चाहिए कि न्यूज चैनल्स पर रियलिटी शो की जगह रियलिटी दिखाई जाए। भारत की पत्रकारिता अपने मूल मंत्र से थोड़ी भटकी है। भारत के पत्रकार और पत्रकारिता बहुत से मुद्दों पर मौन रहती है। फैशन शो में मॉडल जो कपड़े पहनकर कैटवॉक करती हैं उन कपड़ों को बनाने के लिए कपास उगाने वाले किसानों की आत्महत्या पर पत्रकारिता में चर्चा नहीं होती है। उन्होंने मीडिया के स्याह पक्ष को रेखांकित करते हुए बताया कि आज पेड न्यूज और न्यूज ब्रांडिंग का जमाना आ गया है। बिना सबूत, तथ्यों और पुख्ता जानकारी के अभाव में हम निर्णयात्मक खबर छाप देते हैं या दिखा देते हैं। हमें समझना होगा कि पत्रकारिता में तथ्यों से खिलवाड़ नहीं किया जा सकता है, यह जिम्मेदारी भरा काम है। इस सत्र का संचालन डॉ. मोनिका वर्मा ने किया।
वेब पत्रकारिता ने मीडिया में लोकतंत्रीकरण को बढ़ाया: जयदीप कर्णिक
कोई भी व्यक्ति किसी भी सोशल फोरम पर अपनी बात लिख देगा तो वह पत्रकार नहीं बन जाएगा। पत्रकारिता जवाबदेही के साथ सच कहने का सलीका है। कलम पकड़कर कोई झूठ नहीं बोल सकता क्योंकि आपने सच कहने का संकल्प लिया है। नया माध्यम बंदर के हाथ आए उस्तरे की तरह है। जहां चल रहा है, चल रहा है। जबकि जिम्मेदारी के साथ इस माध्यम का उपयोग किया जाए तो सार्थक बदलाव आएंगे। परम्परागत मीडिया में अब तक लोकतंत्रीकरण कहां था लेकिन वेब पत्रकारिता ने मीडिया में लोकतंत्रीकरण का काम किया है। स्मार्टफोन ने तो वेब पत्रकारिता में क्रांतिकारी परिवर्तन ला दिया है। वेब पत्रकारिता का भविष्य बेहद स्वर्णिम है। इस मौके पर वरिष्ठ पत्रकार धनंजय प्रताप सिंह ने कहा कि पत्रकारिता संभावनाओं से भरा करियर है। इस क्षेत्र में आप सामाजिक मूल्यों के लिए काम कर सकते हैं। उन्होंने मीडिया में लोकतंत्रीकरण को जरूरी बताया। सत्र का संचालन कम्प्यूटर विभाग के अध्यक्ष डॉ. सीपी अग्रवाल ने किया।
ई-गवर्नेंस भविष्य के लिए जरूरी: अनुराग श्रीवास्तव
‘कम्प्यूटर साक्षरता से ई-गवर्नेंस’ विषय पर आयोजित सत्र में हार्टिकल्चर कमिश्नर अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि आने वाला वक्त ई-गवर्नेंस का है। मध्यप्रदेश सरकार किस तरह ई-गवर्नेंस की दिशा में कार्य कर रही है, इस संबंध में भी उन्होंने जानकारी दी। इस दौरान पावर पाइंट प्रजेंटेशन के माध्यम से उन्होंने ई-गवर्नेंस को लेकर दुनियाभर में हो रहे कामों को भी बताया। आखिर में उन्होंने विद्यार्थियों की जिज्ञासाओं का समाधान किया। इस सत्र का संचालन सुनीता द्विवेदी ने किया।