![अजय प्रकाश](https://mediakhabar.com/wp-content/uploads/2016/10/ajay-prakash-150x150.jpg)
मेरे पास एक आइडिया है.टॉप के सौ मीडिया दलालों की एक सूची बननी चाहिए, उनकी विस्तृत प्रोफाईल होनी चाहिए और देश के सभी मुख्य शहरों में उनके फोन, ईमेल, ट्वीटर एआउंट के साथ बड़ी—बड़ी फोटो लगनी चाहिए जिससे दलाली के जरूरतमंद लोग उनसे तपाक से संपर्क कर सकें। रोज—रोज टीवी—अखबार में खबर के नाम पर दलाली करना ऐसे सम्मानित पत्रकारों को शोभा नहीं देता, उनकी पदवी की तौहिनी भी है। और दर्शक को पता नहीं चलता कि खबर और दलाली के बीच कौमा कहां लगाएं और फुल स्टॉप कहां।
और फिर समस्या क्या है? दलाली और पत्रकारिता कोई छुपी चीज तो रही नहीं। लौंडे पत्रकारिता स्कूल में पहुंचने से पहले ही इस विधा से वाकिफ हो जा रहे हैं। सभी जानते हैं कि पत्रकारिता के बिना अखबार, चैनल का खर्चा नहीं चलता, घरानों को बेहिसाब मुनाफा नहीं हो सकता।
ऐसे में यह परिचय देने में क्या समस्या है कि फलां पत्रकार दलाली मामलों के जानकार हैं, फलां दलाली में दंगा कराने के विशेषज्ञ हैं, फलां को दलाली में उपहार स्वरूप बलात्कार के आरोपी को बचाने में महारत हैं, फलां दलाली में दंगाई नेताओं को गांधी का सधा चेला साबित करने में सक्षम हैं और फलां दलाली में फरेब की पत्रकारिता को सच की लाठी में लपेटकर दशकों से पेश कर रहे हैं।
(अजय प्रकाश के एफबी वॉल से साभार)