भाषाई पत्रकारिता के पितामह प्रभाष जोशी हैं,कुलदीप नैय्यर नहीं !

प्रभाष जोशी (बाएं) और कुलदीप नैयर (दायें)

संजय तिवारी,वरिष्ठ पत्रकार-

आज ओम थानवी ने सूचना दी कि गांधी शांति प्रतिष्ठान द्वारा भाषाई पत्रकारिता का कुलदीप नैय्यर के नाम से एक पुरस्कार शुरू किया जा रहा है जो इस साल रवीश कुमार को दिया जाएगा। भाषाई पत्रकारिता का पुरस्कार, वह भी कुलदीप नैय्यर के नाम से? कुलदीप नैय्यर का भाषाई पत्रकारिता के विकास में क्या योगदान है जो गांधी शांति प्रतिष्ठान वालों ने उनके नाम से पुरस्कार देने की शुरुआत कर दी?

भाषाई पत्रकारिता का एकमात्र पितामह अगर इस देश में कोई है तो वो हैं प्रभाष जोशी। उन्होंने सिर्फ हिन्दी भाषा की पत्रकारिता को धार और आधार नहीं दिया बल्कि भाषा और बोली को जिस तरह से उन्होंने पत्रकारिता से जोड़ा है उसकी बदौलत आज हम वहां हैं जहां हैं।

अखबार में प्रभाष जोशी और टेलीवीजन में एसपी सिंह। ये भाषाई पत्रकारिता के दो सबसे बड़े स्तंभ हैं। अगर पत्रकारिता में भाषाई पत्रकारिता के नाम पर कोई पुरस्कार ही देना था तो इनके नाम पर देते। कुलदीप नैय्यर साहब के नाम पर सामाजिक समरसता का पुरस्कार तो दिया जा सकता है, भाषाई पत्रकारिता का नहीं। लेकिन लगता है नयी व्यवस्था बनने के बाद गांधी शांति प्रतिष्ठान प्रभाष जी के प्रति निरपेक्ष नहीं रहा इसलिए सिरे से अपनेे घर के सबसे कीमती जवाहरात की अनदेखी कर दी।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.