प्रभात डबराल-
कपिल मिश्रा अरविन्द केजरीवाल पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हैं और पत्रकार बंधु फ़ौरन बीजेपी के नेताओं के पास उनकी प्रतिक्रिया लेने पहुँच जाते हैं. ठीक बात है, यही होना भी चाहिए. बी जे पी प्रवक्ता भी एक स्वर में कह देते हैं कि इन आरोपों के बाद केजरीवाल को नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दे देना चाहिए ताकि निष्पक्ष जांच हो सके. बी जे पी नेताओं की ये बात भी तर्कसंगत है. पत्रकार बंधु ये बाईट लेकर आते हैं और चैनल पर चला देते हैं. बी जे पी भी खुश पत्रकार भी खुश.तीन दिन से यही चल रहा है.
लेकिन मैंने नहीं देखा कि किसी पत्रकार बंधु ने केजरीवाल को गरिया रहे किसी बी जे पी प्रवक्ता से पलटकर ये पूछा हो कि आदित्य बिरला और सहारा से करोड़ों रुपये लेने के आरोप तो मोदी जी पर भी लगे हैं, उसका क्या होना चाहिए. आज के माहौल में इससे ज़्यादा उपयुक्त, स्वाभाविक और ज़रूरी सवाल और कोई हो ही नहीं सकता. लेकिन ये पूछा नहीं जा रहा. चैनलों पर बहस के दौरान आप पार्टी के नेता ये सवाल ज़रूर उठा रहे हैं लेकिन सवाल पूछना तो पत्रकारों का काम हुआ करता था. वो पूछते भी थे.
अब तो अजीब सिलसिला चल निकला है – पत्रकार बंधु अपनी साऱी क़ाबलियत विपक्षी नेताओं की ऐसी तैसी करने में लगा दे रहे हैं…लगता है उन्हे बी जे पी नेताओं से पलटकर सवाल करने से मना किया गया है. बी जे पी के प्रवक्ता चैनलों पर जिस तेवर में बात करते हैं उससे भी ऐसा ही आभास मिल रहा है कि सारे ही न्यूज़ चैनल भारी दबाब में हैं. बी जे पी वाले जो चाहे करवा दे रहे हैं ………पहले एक दूरदर्शन था अब सारे ही चैनल सरकारी हो गए लगते हैं. (लेखक के सोशल मीडिया प्रोफाइल से साभार)