ज़ी न्यूज़ के दफ्तर से एक बेहद महत्वपूर्ण खबर आ रही है,बताया जा रहा है कि दो-तीन दिन पहले सूचना प्रसारण मंत्रालय की तरफ से एक चिट्ठी ज़ी न्यूज़ को भेजी गई है,इस चिट्ठी के मिलते ही ज़ी न्यूज़ का मैनेजमेंट बेहद परेशान है।इस चिट्ठी में क्या है इस बारे में तो ज्यादा पता नहीं चल पाया है लेकिन बताया जा रहा है कि इसमें कुछ सवालों के जवाब मांगे गए हैं।
सवाल मंत्रालय पर भी उठ रहे हैं कि सरेआम रिश्वत मांगने वाले संपादक के चैनल के खिलाफ केवल जांच का दिखावा ही क्यों किया जा रहा है कोई कार्यवाही क्यों नहीं की जा रही है।
वहीं दूसरी तरफ ज़ी न्यूज़ के जांबांज संपादक सुधीर चौधरी नें अपने रिपोर्टरों से कोयला घोटाले की ज्यादा से ज्यादा स्टोरी लाने के लिए कहा है। रिपोर्टर परेशान हैं कि क्या किया जाए। स्टोरी नहीं आएगी तो नौकरी जाए और स्टोरी आए तो जेल जाने की नौबत आए।
ज़ी न्यूज़ में सुधीर चौधरी इफेक्ट के चलते पिछले एक हफ्ते में 5 लोगों नें इस्तीफा दे दिया है,दीप उपाध्याय जो एडीटर आउटपुट थे उन्होंने अपना इस्तीफा मैनेजमेंट को भेज दिया है,मोहित शंकर तिवारी जो एडीटर इनपुट की ज़िम्मेदारी देख रहे थे वो एक महीने से दफ्तर नहीं आ रहे हैं,संजय पांडे जो कि बिजनेस डेवलेपमेंट के हेड के तौर पर पिछले 12 साल से ज़ी न्यूज़ से जुड़े थे उन्होंने भी अपना इस्तीफा दे दिया है।
मार्केटिंग हेड अमित त्रिपाठी नें भी एक हफ्ते पहले अपना इस्तीफा मैनेजमेंट को सौंप दिया है और वो आज रिलीव भी हो गए। प्रिंसिपल करेस्पांडेन्ट कुलदीप सिंह को सुधीर चौधरी नें ज़ी न्यूज़ से सस्पेंड कर दिया है। कई और पत्रकार भी इस हफ्ते नौकरी छोड़ने जा रहे हैं।
ज़ी न्यूज़ की एडीटोरियल मीटिंग में सुधीर रोज़ यही डायलाग बोलते नज़र आते हैं कि जो मेरे साथ कदम मिला कर नहीं चल पाएगा वो यहां नहीं रहेगा,अगर मेरी टीम में रहना है तो मेरे हिसाब से चलना होगा।
बेचारे पत्रकार परेशान हैं कि वो जिस रास्ते पर दस सालों से चल रहे थे उस पर चलें या फिर सुधीर चौधरी के रास्ते पर ? सवाल बड़ा है लेकिन परिवार चलाने की खातिर हर कोई चुप है और नई नौकरी की तलाश में लगा हुआ है।
(मनोज सिंह स्वतंत्र पत्रकार)