कांशीराम चांटा प्रकरण में ‘आशुतोष’ का नाम उभरकर सामने आया. राष्ट्रीय स्तर पर उन्हें पहचान मिली. उसका फायदा भी उन्हें मिला और सफलता की सीढियाँ चढ़ते चले गए. लेकिन वे अकेले नहीं थे जिसने कांशीराम का तमाचा खाया था. उनके साथ इस तमाचे को ‘इसरार अहमद शेख’ ने भी साझा किया था. लेकिन उनका नाम कहीं नहीं आता. शायद वे आशुतोष की तरह इसे भुना नहीं पाए.बहरहाल वरिष्ठ पत्रकार हर्ष रंजन की एक टिप्पणी और साथ में वह वीडियो (मॉडरेटर)
हर्ष रंजन
आशुतोष के -आप- में शामिल होने पर ढेरों प्रतिक्रियाएं मिल रही हैं। आजतक भी ये कहने से नहीं चूक रहा कि आशुतोष उसी की पैदावार हैं और जब कांशीराम ने उन्हें तमाचा जड़ा था, तब वो वहीं के गमले में फल-फूल रहे थे। ये बात अलग है कि उस तमाचे की गूंज 18 साल बाद सुनाई पड़ी है। याद दिलाना चाहूंगा कि 1996 के उस काले दिन को जब किसी बड़े नेता से पत्रकार पिटे थे। सिर्फ आशुतोष ही नहीं, उनके साथ मेरे तत्कालीन कुलीग बीआई टीवी के ‘इसरार अहमद शेख’ ने भी तमाचा साझा किया था। उनका ज़िक्र भी किया जाना चाहिये। (स्रोत-एफबी)
इससे तो लग रहा है कि कांशीराम का झापड़ खाना किसी बड़े फख्र की बात थी, पत्रकार भी तो वहां वही कर रहे थे किसी के घर में घुसकर किसी का जबरन बयान लेना भी तो सही नहीं था, मैं भी वहीं था कुछ लोगों ने कांशीराम पर क्या टिप्पड़ी की थी वो लिखना ठीक नहीं है, लेकिन वहां मौजूद सारे लोग ये जानते हैं । ये अलग बात है कि वो भाग्यशाली आशु था जिसे तमाचा पड़ा और फिर उसी तमाचे ने उसकी किस्मत खोल दी ।
All the best Ashutosh Ji