नीरज वर्मा
शोषणवादी आशुतोष और समाजवादी AAP
लीक से हटकर : IBN7 के प्रबंध सम्पादक, आशुतोष ने इस्तीफ़ा देकर “आप” पार्टी ज्वाइन करने का मन बनाया है ! सतही तौर पर ये ख़बर “आप” के नेताओं के लिए उत्साहजनक है, मगर बुनियादी तौर पर बेहद खतरनाक ! आइये देखते हैं, आशुतोष जैसे पत्रकार, “आप” जैसे समाजवाद के लिए क्यों खतरनाक हो सकते हैं ! आशुतोष वो बला हैं, जो बसपा पार्टी के संस्थापक अध्यक्ष, कांशीराम से थप्पड़ खाने के बाद, पत्रकारिता जगत में चमके थे ! तक़रीबन 10-11 साल “आज-तक” की सेवा करने के बाद 2005 में IBN7 के साथ जुड़े ! बतौर पत्रकार बहुत ख़ास नहीं हैं, पर काम की जगह नाम के बल पर तवज्जो पाने वाले हिंदुस्तान में, आशुतोष को नाम का फ़ायदा मिला ! लाखों के पैकेज़ पर उन्हें नौकरी मिलने लगी ! नामचीन बन गए ! लेकिन इसी के साथ, आशुतोष उन पत्रकारों की श्रेणी में शामिल होते चले गए जो सिद्धांत से समझौता सिर्फ इसलिए करते गए कि उनकी कुर्सी बची रहे और मेहनताना लाखों रुपये महीने का आता रहे ! “मालिक़ की जूती और नौकर का सर”, ये आज-कल मीडिया हाउस के ज़्यादातर “नामचीन” टी.वी. पत्रकारों का हाल है ! हाल में IBN7 से एक दो नहीं, बल्कि पूरे साढ़े तीन सौ कर्मचारी एक झटके में निकाल दिए गए और आशुतोष चुप्पी साधे रहे ! मालिक़ की जूती को अपने सर पर रखा आदेश मान कर, आशुतोष ने IBN7 के मालिक़, अम्बानी के ख़िलाफ़ एक शब्द तक नहीं बोल पाये ! “पूंजीवाद के दौर में शोषण होता है और होता रहेगा” ये आशुतोष जैसे पत्रकारों का निजी सिद्धांत है ! पत्रकारिता का मतलब गुलामी और चापलूसी कर अपना क़द बनाये रखना, आशुतोष जैसे पत्रकारों के प्रोफेशनल सिद्धांत का बुनियादी हिस्सा है ! निजी नफ़ा-नुक्सान को तवज्जो , ये आशुतोष के व्यक्तित्व का हिस्सा है, जो गाहे-बगाहे उभर कर आया है !
अब बात उस समीकरण की जो आत्म-घाती है ! केजरीवाल ने “सर पर क़फ़न” बाँधने का जूनून पैदा कर दिया है ! आशुतोष के विपरीत, ऐसा जज़्बा, जो निजी नफ़ा-नुक्सान को तवज्जो देने से ,फिलहाल, परहेज़ कर रहा है ! केजरीवाल ने, अम्बानी नाम के दुस्साहस की उस सीमा को भी पार कर दिया, जहां पर साहस पैदा करना ही अपने-आप में एक साहस होता है ! आशुतोष के उलट, केजरीवाल ने अम्बानी को खुलेआम ललकारा ! आशुतोष, अम्बानी की जूती को सर पर रख, 350 लोगों के पट पर लात मारने का “गुनाह” कर चुके हैं, जिसकी सज़ा मिलना बाकी है ! केजरीवाल ने आई.आर.एस. जैसी दुधाऊ नौकरी छोड़ कर, वामपंथ की तर्ज़ पर समाजवाद को विकसित किया ! आशुतोष ने पढ़ाई-लिखाई वाम-पंथ की की , मगर पूंजीवाद की जूती को सर पर रखने से कभी गुर्ज नहीं किया ! केजरीवाल ने शोषण के बुनियादी सिद्धांत को, नंगा करने का बीड़ा उठाया और आशुतोष अभी कुछ दिनों पहले तक यही राग अलाप रहे थे कि, बाज़ार और बाजारू होकर ही अपना क़द उंचा रखा जा सकता है ! शोषण जारी रखने की स्वीकृति, आशुतोष के प्रोफेशनल व्यक्तित्व का अहम् हिस्सा रहा है , जिसकी पुरज़ोर खिलाफ़त कर केजरीवाल आज हीरो बने हैं ! केजरीवाल सिर्फ कहते भर नहीं, कर दिखलाने के लिए प्रेरित करते नज़र आते हैं ! आशुतोष , अपनी अब-तक की ज़िन्दगी में सिवाय टी.वी. पर (स्पौन्सर्ड) बहस कराने या टी.पी. पर लिखा-लिखाया न्यूज़ पढ़ते नज़र आये हैं ! अपनी निजी ज़िन्दगी में केजरीवाल, लोगों के लिए कर्म के ज़रिये समर्पित नज़र आये हैं, आशुतोष अपने निजी जीवन में सिवाय बैंक- बैलेंस बनाने के और कुछ ख़ास नहीं कर पाए ! केजरीवाल का मानना है कि, विचारक या बुद्धिजीवी बन कर टी.वी. पर बोल भर लेने को, कोई योगदान नहीं माना जाना चाहिए ! अब कर्म करने का वक़्त आ गया है ! सिर्फ बोलने भर से और लाखों रुपयों की सैलरी लेने से राष्ट्र या समाज की तक़दीर या तस्वीर बदलने वाली नहीं ! इसके उलट , आशुतोष का ऐसा कोई सिद्धांत आज तक नुमायाँ नहीं हो पाया, जो जनमानस के हित में ज़ाहिर हो ! आशुतोष जैसे कई पत्रकार (जो लाखों-करोड़ो में खेल रहे हैं ), अपने निजी जीवन में ऐसा कोई योगदान नहीं देते, जो केजरीवाल के वाम मिश्रित समाजवाद से मेल खाते हों ! ग़र फेमस आदमी को लेकर ही केजरीवाल को अपनी पार्टी या “आप” का कुनबा बढ़ाना हो तो अलग बात है ! आशुतोष जैसे पत्रकारों का “आप” से जुड़ाव कुछ वैसा ही होगा, जैसे पैसा और नाम कमाने के लिए रियलिटी शो में गया कोई कलाकार, समाज में कुछ रूतबा पाने के लिए सुधारक बनने के जुगाड़ में हो !
आम आदमी, अरविन्द केजरीवाल की “आप” की जान हैं और शान हैं ! क्वालिटी और क्वान्टिटी में फ़र्क भी केजरीवाल को बखूबी मालूम है ! मशहूर चेहरे, अपना निजी-नुक्सान देखने के बाद ही, औरों के लिए आवाज़ बुलंद करते हैं ! केजरीवाल, निजी नफ़ा-नुक्सान के सिद्धांत से , संभवतः, दूरी बना कर रखते हैं ! भ्रष्ट सत्ता से टकराना, “आप” का बुनियादी सिद्धांत है, जबकि भ्रष्ट सता की जूती को सर पर रख कर घूमना, आशुतोष जैसे कई पत्रकारों का मौलिक सिद्धांत रहा है ! बेहद नामचीन बौलीवूड के तमाम सितारों को जोड़ने वाली कांग्रेस और भाजपा, आम आदमी वाली “आप” से खौफज़दा हैं ! आज नेतृत्व करने का हक़ उसी को है, जो औरों के लिए भी लड़ सके ! ज़ाहिर है, औरों के हक़ को कुचलने वाले पूंजीवादी सिद्धांत के कट्टर समर्थक, बे-मेल आशुतोष का केजरीवाल की पार्टी से तालमेल , “आप” के समाजवाद की खुशकिस्मती नहीं कही जा सकती ! ख़ुदा खैर करे !
(नीरज वर्मा.…… लीक से हटकर)
mahoday aap jo bhi hain likhne se phle thoda soch le….. ..aashutosh industry ke jaane maane namo mein se ek hain …… Dag Hammarskjöld scholarship ke akele holder hain indian hindi media apni student life ke samay unhone apna sir name sirf isliye htaya qki vo castism ke khilaf protest kar rahe the…. aapne likha hai “jyada kuch kar nahi paye” bhaisaab managing editor the or aap keh rahe hain kuch kar nahi paaye …