देवेन्द्र सुरजन
आज बरखा दत्त से बात करते वित्त और रक्षामंत्री अरुण जेटली बडी इमानदारी और साफगोई से यूपीए की तारीफ़ करते नजर आये. पेट्रोल डीजल गैस को बाजार रेट से जोड़ने की बात हो या उसकी सब्सिडी को आधार लिंक कर सीधे बेंक में जमा करने की रीति फिर चालू करने बात हो या कोयला पालिसी हो या कालाधन वापिसी की पालिसी या नाम उजागर करने की बात हो या फिर पाक चीन के लगातार हो रहे सीमालन्घन हर बात पर यह स्वीकार करने में उन्होंने यूपीए व्यवस्थाओं को श्रेय देने में कोई कंजूसी नही की और खुल कर माना की उन नीतियों से बेहतर कोई विकल्प नहीं था .
मोटे तौर पर देश यह पांच माह से देख ही रहा है की नमो सरकार ने अब तक कोई निर्णायक कदम नही उठाया है और वह उन्ही कार्यक्रमों को आगे बढ़ा रही है जो यूपीए ने अपने काल में शुरू किये थे लेकिन भाजपा की घनघोर आलोचना के चलते ध्वस्त हो गए थे. जितने नमो ने फीते काटे हैं उनकी योजनायें भी यूपीए काल में बुनियाद रूप में रखी गई थी.
जिन्हें मौका मिले वे यह कायर्क्रम दोबारा प्रसारित होने पर जरूर देखे और अरुण जेटली की इमानदार छवि का जायजा लें भले ही उनके प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी फेंकने में चाहे रिकार्ड बना चुके हों. भाजपा के पास जब एक साफ़ दिल वाला अरुण जेटली था तो क्या मजबूरी थी कि गुजरात के मुख्यमंत्री को सीधे प्रधानमन्त्री बना दिया गया ? जो प्रधानमन्त्री कम हिटलर अधिक जान पड़ते हैं !
(स्रोत-एफबी)