दिल्ली विश्वविद्यालय के वीसी को नवभारत का पेड न्यूज नहीं दिखता

खबर या विज्ञापन ?
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लीजिए पेड-न्‍यूज की बीमारी विश्‍वविद्यालय चुनाव तक जा पहुँची। नवभारत में प्रकाशित इस ‘समाचार’ को देखकर मूर्खतम व्‍यकित भी बता सकता है कि ये समाचार नहीं विज्ञापन है। चुनाव में लिंग्‍दोह समिति के लागू होने के बाद अखबार में विज्ञापन तो दूर छपा हुआ पोस्‍टर/कार्ड तक छापना बॉंटना चुनाव के खिलाफ है तथा इससे उम्‍मीदवारी तुरंत रद्द होनी चाहिए… पर हमारे वीसी तथा विश्‍वविद्यालय को यह दिखेगा इसकी किसी को कोई उम्‍मीद नहीं।
(Masijeevi Hindi के एफबी वॉल से )

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