जवानों की शहादत के बाद ‘उड़ी’ चर्चा में है. लेकिन समाचार पत्रों से लेकर समाचार चैनलों में उड़ी को दो तरह से लिखा जा रहा है. कोई ‘उड़ी’ लिख रहा है तो कोई ‘उरी’. इसी मुद्दे पर वरिष्ठ पत्रकार ओम थानवी ने स्थिति साफ़ करते हुए लिखा –
उड़ी को हिंदी पत्रकार – छापे के भी, टीवी वाले भी – उरी क्यों लिख रहे हैं? मैंने हमेशा उड़ी सुना है। उरी पढ़कर मैंने जम्मू के मित्रवर Ramesh Mehta से तसल्ली करनी चाही। उन्होंने लिखकर भेजा कि उड़ी ही सही है, उरी नहीं! अपने देश के ठिकानों के नाम तो हम सही लिखें, वरना पत्रकारों के पीछे लोग भी ग़लत लिखेंगे-बोलेंगे!
- Akhilesh Sharma सही बात है सर। मैंने भी हमेशा ही उड़ी ही लिखा, पढ़ा और बोला है। हिंदी अखबार भी वही लिख रहे हैं। पर चैनल वाले जो करे वो कम है। अब समय आ गया है कि गलत बोलने वाले हिंदी टीवी पत्रकारों के नाम भी बिगाड़ कर बोले जाएँ। तब शायद सुधरें।
- Shakeel Akhtar उरी सही है। कश्मीरी में यही उच्चारण है। करगिल के समय हमने वहां से लिखा था कारगिल नहीं करगिल। जम्मू – कश्मीर में बहुत भाषाई विभिन्नता है।जम्मू में डोगरी, कश्मीर में कश्मीरी और लद्दाख में लद्दाखी बोली जाती है यह बहुत मोटा ( सरलीकृत) विभाजन है। हमने इस पर कई बार लिखा है। जैसे यहां श्रीनगर बोलते हैं वहां श्र का इस्तेमाल नहीं होता इसलिए स्रीनगर बोलते हैं। स से। जैसे राजस्थान में तिवाड़ी होता है म प्र, उ प्र, दिल्ली में तिवारी