दिल्ली में सामुहिक दुष्कर्म मामले में शामिल एक को सजा हुई. लेकिन नाबालिग होने की वजह से उसे अधिकतम तीन साल की सजा ही मिली. कोर्ट से निकलकर ‘दामिनी’ की माँ रो पड़ी.
चैनल के पत्रकार बाईट लेने के लिए सवाल-जवाब कर रहे थे. बार-बार ‘गैंगरेप’ शब्द का इस्तेमाल हो रहा था.
कोई पत्रकार पूछ रहा था कि गैंगरेप के नाबालिग आरोपी को जो सजा मिली, उससे क्या आप संतुष्ट हैं?
चैनल के एक रिपोर्टर की तरह देखें तो शायद इसमें कुछ भी गलत नहीं दिखेगा. लेकिन मानवीय और भावना के धरातल पर जाकर देखें तो बाईट के समय दामिनी की माँ के सामने बार – बार ‘गैंगरेप’ शब्द का इस्तेमाल कोड़े बरसाने जैसा लग रहा था.
सीधे -सीधे सवाल पूछते तो ज्यादा अच्छा होता. जैसा कि कई दूसरे पत्रकार कर भी रहे थे. मेरी ये व्यक्तिगत राय है. बतौर दर्शक देखकर अच्छा नहीं लगा.
(पुष्कर पुष्प के एफबी वॉल से)