जयपुर। श्रीमद् भगवत गीता के टीकाकार एवं आयुर्वेद के ज्ञाता नाथालाल परिहार का मंगलवार को सिरोही जिले के शिवगंज में निधन हो गया। वे 79 वर्ष के थे। स्वर्गीय नाथालाल परिहार जाने माने राजनीतिक विश्लेषक एवं वरिष्ठ पत्रकार निरंजन परिहार के पिता थे। एवं अपने पीछे भरा पूरा परिवार छोड़कर हैं। सिरोही जिले में अरावली पर्वतमाला में स्थित आबू के रिषिकेष मंदिर एवं प्रसिद्ध राड़बर गणेश तीर्थ के उद्दारक के रूप में भी उनको जाना जाता है। जवाई नदी के तट पर सैकड़ों लोगों की उपस्थिति में पूर्ण वैदिक परंपरा के अनुसार मंत्रोच्चार तथा विधि – विधान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया। उनके ज्येष्ठ पुत्र निरंजन परिहार ने उनको मुखाग्नि दी।
स्वाधीनता आंदोलन के दौरान अंग्रेजी राज का विरोध करनेवाली स्वतंत्रता सेनानी श्रीमती रूपादेवी परिहार के पुत्र नाथालाल परिहार गो रक्षा आंदोलन में जेल भी गए। गोरक्षा आंदोलन के दौरान सरकार ने उनको गिरफ्तार करके नई दिल्ली की तिहाड़ जेल में रखा था। गीता सार एवं गीता के उपदेशों को उन्होंने संस्कृत से सीधे मारवाड़ी में भाषांतर किया। केंद्रीय मंत्री नितिन गड़करी, प्रकाश जावड़ेकर, स्मृति इरानी, राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, बीजेपी के वरिष्ठ नेता ओम प्रकाश माथुर, कांग्रेस प्रवक्ता राज बब्बर, पूर्व सांसद संजय निरुपम, राजस्थान के ग्रामीण विकास मंत्री गुलाब चंद कटारिया, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री अरुण चतुर्वेदी सहित पूर्व मंत्री राजेंद्र गहलोत, सांसद देवजी पटेल, विधायक मंगल प्रभात लोढ़ा, विधानसभा की पूर्व उपाध्यक्ष श्रीमती तारा भंडारी, प्रदेश कांग्रेस के नेता नीरज ड़ांगी, रतन देवासी एवं कई अन्य विशिष्ट लोगों ने निरंजन परिहार को संदेश भेजकर अपनी संवेदना प्रकट की है।