उगाही मामले के कारण ज़ी न्यूज़ की साख घटी – सर्वे

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a-zee-survey-credit 6 महीने पहले तक ज़ी न्यूज़ को बेहद संतुलित चैनल माना जाता था. ज़ी न्यूज़ की अपनी विशिष्ट पहचान थी. उसकी ख़बरों का कलेवर दूसरे चैनलों से जुदा था. संतुलित ख़बरें हुआ करती थी और भूत – प्रेत और पाखंड दूसरे चैनलों की अपेक्षा काफी कम था.

निर्मल बाबा का पाखंड जब विज्ञापन की शक्ल में 39 चैनलों पर प्रसारित हो रहा था, तब भी उसकी परछाई से ज़ी न्यूज़ (राष्ट्रीय चैनल) अलग था. स्थापित चैनलों में ज़ी न्यूज़ और एनडीटीवी इंडिया ही दो ऐसे चैनल थे जिसपर निर्मल बाबा का विज्ञापन नहीं चलता था. यही वजह थी कि ज़ी न्यूज़ की दर्शकों के बीच जबरदस्त साख थी.

पुण्य प्रसून बाजपेयी और अलका सक्सेना जैसे साखदार पत्रकार भी चैनल के साथ जुड़े हुए थे जो इसकी साख को और चमकीला बनाते थे. लेकिन साख की शानदार इमारत अचानक ताश के पत्ते की तरह तब ढह गयी जब सतीश के सिंह की जगह पर उमा खुराना फर्जी स्टिंग वाले संपादक सुधीर चौधरी का आगमन हुआ.

सुधीर चौधरी का आगमन लाइव इंडिया चैनल से हुआ. लेकिन संपादकीय जिम्मेवारी सँभालते हुए उन्हें कुछ ही दिन हुए थे कि उद्योगपति नवीन जिंदल ने सुधीर चौधरी और ज़ी न्यूज़ पर उगाही का आरोप लगाया. इस आरोप को पुख्ता करने के लिए जिंदल की तरफ से स्टिंग की सीडी को भी पेश किया गया जिसमें साफ़ – साफ़ तौर पर सुधीर चौधरी और समीर आहुलवालिया खबरों को लेकर बातचीत करते हुए नज़र आये. इससे ज़ी न्यूज़ की साख पर बट्टा लग गया और रही – सही कसर दोनों संपादकों के जेल जाने के बाद पूरी हो गयी.

हालत बदतर होते चले गए और मालिकान की भी गिरफ्तारी की नौबत आ गयी. हालाँकि वे गिरफ्तार नहीं हुए. लेकिन साख पर धब्बा जरूर लगा गया. इसी सिलसिले में मीडिया खबर डॉट कॉम ने एक ऑनलाइन सर्वे किया तो 58.3% लोगों ने माना कि ज़ी न्यूज की ख़बरों पर अब उन्हें विश्वास नहीं रहा. लेकिन 41.7% लोगों का विश्वास अब भी ज़ी न्यूज़ पर बरकरार है.

सर्वे के सवाल के रूप में पूछा गया था कि, ‘उगाही मामले में जी न्यूज के दोनों संपादकों के जेल जाने के बाद चैनल की साख मिट्टी में मिल गयी. क्या अब भी आपको जी न्यूज की खबरें विश्वसनीय लगती है?’

यह सर्वे 15 दिसंबर से 8 जनवरी के बीच किया गया. सर्वे में कुल 554 लोगों ने हिस्सा लिया. सर्वे में किसी पक्षपात से बचने के लिए ऐसी व्यवस्था की गयी थी कि एक बार वोट डालने के बाद 24 घंटे तक उसी आईपी एड्रेस से दुबारा वोट नहीं डाला जा सके.

1 COMMENT

  1. Kabhi kabhi j(z)yaada kehna haanikaarak
    Tu to bas thoda sunn AUR j(z)yaada samajh
    AUR demag ki batti mein PRAKASH kam ho to “Kaali Puttr Pandey” ki bas jai bol diyo
    Khair aaj ki khabar sunn—>

    LeLo LeLo mera INTERVIEW
    LUCKNOW ka ticket deke khulwa lo mera muh
    Affidavit sign karaake
    Kya doge bas 3-4
    Aur khud khaate ho poora 100 karod mere yaar
    Aaj to maine de diya sirf INTERVIEW
    Kal ko “KITAAB of EXPERIENCE” bhi likhne ko kahoge… Kyun…
    Jaane waali chali gayi…
    Par ab “Katha-Vaachan” se banaaun main paise
    Aur TUM “TRP” se durustt karo apna SAMOOH
    “Oprah Winfrey” banne ki koshish naa karna
    Naa “raashtrra sandesh” se kholna apna muh
    Abhi to “SatyaMev Jayate” mein bhi maine nahi khola apna muh
    ZINDAGI “LIVE bhi “DEAD” hai mere bina
    PakiPakaai story SABKI… TIHARI Chowdhary ne khhossi… Aur bandar ko lagi muh roti
    Naa kaala hua mera… AUR naa tera… Muh

    P.S. Kya aapke andar ka GOD … ShaReeF hai!

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