बिहार में वहां के कथित टापर और बच्चा सिंह को लेकर हैरान मत होइए।
वेद उनियाल
उत्तराखंड के कई मान्यता प्राप्त पत्रकारों का टेस्ट ले लेंगे तो आप और चौंक जाएंगे। छोटे से देहरादून में करीब दो हजार पत्रकार है। सात सौ से ज्यादा पत्र पत्रिकाए। राष्ट्रीय टीवी चैनलों ने बिहार के टापरों का इंटरव्यू तो ले लिया। लेकिन किसी दिन समय निकाल कर उत्तराखंड के कई मान्यता प्राप्त पत्रकारों के इंटरव्यू ले लीजिए। आप चौंक जाएंगे कि उत्तराखंड का सूचना विभाग जिन माननीय पत्रकारों को तमाम भारी भारी सुविधाएं दिए हुए हैं उनमें कइयों को ये पता नहीं उत्तरकाशी कहां हैं, गौरा देवी कौन थी। लैंसडाउन क्यों प्रसिद्ध है। मसूरी पर्यटन के अलावा किस खनिज के लिए प्रसिद्ध है। शिवालिक पर्वतमाला कहां है। भावर किसे कहते हैं। डा पीताम्बर दत्त बर्तवाल कौन थे। चंद्र कुवर बर्तवाल कौन थे। चंद्र सिंह राही, केशव अनुरागी, बाबू गोस्वामी का संस्कृति में क्या योगदान रहा है। कबोतरी देवी कौन है। बिनसर महादेव कहां हैं। जागेश्वर क्यों प्रसिद्ध है। माधो सिंह मलेथा क्यों प्रसिद्ध है। तीलू और कफ्फू चौहान तथा गबर सिंह जसवंत सिंह का योगदान क्या है। सुमित्रानदन पंत कौन थे। तिलाडी कांड क्या था। श्रीदेव सुमन का बलिदान किसलिए था।
उत्तराखंड का सबसे सयाना कोई महकमा है तो सूचना विभाग है। इसे ठीक कीजिए आधा उत्तराखंड अपने आप ठीक हो जाएगा।
क्या आप यकीन करेंगे कि छोटे से देहरादून में 2000 पत्रकार हैं सात सौ से ज्यादा पत्र पत्रिकाएं। इनमें नब्बे प्रतिशत पत्र पत्रिकाएं आपको कहीं नजर नहीं आएंगी। लेकिन उन्हें मोटे सरकारी विज्ञापन दिए जा रहे हैं। और ऐशो आराम की तमाम सुविधाएं। उत्तराखंड का सूचना विभाग बेशर्मी और हेवानियत के साथ इन कथित मान्यता प्राप्तों के साथ उत्तराखंड को रौंद रहा है। इसे जर्जर बना रहा है। खत्म कर दिया पूरे राज्य को। नष्ट कर दिया पूरे राज्य को।
कई मान्यता प्राप्त पत्रकार ऐसे है जो अपने गांव पर आधा पेज की स्टोरी नहीं लिख सकते। पूछ लीजिए वो उत्तराखंड के तेरह जिलों का नाम नहीं बता सकेंगे। बिल्कुल बिहार के टापर और बच्चा सिंह वाली हालत है। लेकिन सूचना विभाग उनके लिए बिछा है। सूचना विभाग और मुख्यमंत्री को सूचना की सलाह देने वाले चंद सलाहकार सबने रौंलंपपौं मचा रखी है। कोई देखने वाला नहीं कोई सुनने वाला है। ऐसे ऐसे किस्से हैं पत्रकरिता और सूचना विभाग के कि आप हैरत में पड जाएंगे।
हम वर्तमान मुख्यमंत्री श्री हरीश रावतजी से निवेदन करते हैं कि कफली झंगोरा फाणु खाने की फिलहाल हमारी इच्छा नहीं। सूचना विभाग को ठीक कीजिए। अगर ऐसा कर पाए यह आपकी बहुत बड़ी सेवा होगी। इसके लिए ही आप याद किए जाएंगे। अब तक जो हुआ सो हुआ। आगे ठीक कीजिए। बहुत लुटा उत्तराखड।
सूचना सलाहकारों की टीम को दुरस्त कीजिए कि वह राज्य के खर्चे पर कराई जाने वाली अनाप शनाप मेहमानवाजी से बचे। बहुत चीजें अपने आप ढर्रे पर आ जाएंगी। क्या आप तैयार हैं। सूचना विभाग सयाना है तो स्वास्थ्य विभाग शातिर।
– पता नहीं ये सब मिलकर मुझे जीने भी देंगे या नहीं । पर जय उत्तराखंड जय भारत।
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