रमेश अग्रवाल ने ये बात कभी सोची नहीं होगी कि कोई भी कभी उनसे इस तरह का सवाल पूछेगा कि तमाम कोशिशों और हथकंडों के बाद भी मुंबई में डीएनए अखबार दो नंबर तक भी क्यों नहीं पहुँच पाया? जब केजरीवाल ने राबर्ट वाड्रा पर आरोप लगाए तब उन्हें भास्कर ने गायब क्यों कर दिया ? आप अपने ग्रुप के अच्छे संपादकों और मैनेजरों को विदा क्यों कर देते हैं?
डिजी केबल न्यूज़ नेटवर्क के मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के केंद्रों पर भास्कर समूह के चेयरमैन रमेश चंद्र अग्रवाल से वरिष्ठ पत्रकार प्रकाश हिन्दुस्तानी का एक इंटरव्यू प्रसारित किया गया जिसमें मीडिया टाइकून रमेश चंद्र अग्रवाल से लंबी बातचीत दिखाई गई. इस इंटरव्यू को देख सुनकर टाइम्स ऑफ इंडिया के समीर और विनीत जैन को मिर्ची लगना तय है और राहुल देव जैसे हिन्दी प्रेमी इससे खुश हो सकते हैं.
इस पूरे इंटरव्यू में रमेश अग्रवाल ने टाइम्स ग्रुप को जमकर लताड़ा है और दावा किया है कि हमने कभी भी टाइम्स की नकल करने की कोशिश नहीं की. उन्होने तो दावा यह भी किया कि टाइम्स ग्रुप ही भास्कर समूह की खबरें प्रस्तुत करने की पद्धति की नकल करता रहा है. टाइम्स को किसी भी रीजन में कामयाबी नहीं मिली और जकी जगह उसके तम्बू भी उखड गए.
लेकिन भास्कर महाराष्ट्र में अपनी धाक लगातार जमा रहा है और महाराष्ट्र टाइम्स को पसीने ला चुका है. जब प्रकाश हिन्दुस्तानी ने रमेश जी से पूछा कि मुंबई से प्रकाशित होने वाला भास्कर समूह का डीएनए अखबार टाइम्स का सफाया क्यों नहीं कर पाया तो रमेश अग्रवाल ने सफाई दी कि हम मुंबई का नंबर वन अखबार बनाने नहीं, बल्कि नंबर टू अखबार बनने गए थे और हमें लगता था कि हम बहुत ही अच्छा मुकाम पायेंगे, लेकिन टाइम्स ने डीएनए शुरू होने के पहले ही अपना स्टाइल बदल लिया, खबरों की प्रस्तुति का अंदाज़ बदल डाला और अपने मणि पॉवर और मसल पॉवर का पूरा इस्तेमाल किया . अगर टाइम्स ने हमारा एक रुपये का नुकसान किया तो चार रुपये का नुकसान उसे भी हुआ . हमने सोचा की इस तरह बर्बाद होकर अखबार स्थापित करने से क्या फायदा? क्यों न हम सारा ध्यान अपने कोर बिजनेस यानी भास्कर पर ही लगाएं . हमने वही किया और ठीक ही किया.
रमेश अग्रवाल ने जोर देकर यह बात भी कही अब टाइम्स ऑफ़ इण्डिया की दशा बहुत अच्छी नहीं कही जा सकती क्योंकि चार साल से टाइम्स में कोई रेवेन्यु ग्रोथ नहीं है . टाइम्स ग्रुप न तो औरंगाबाद में सफल हुआ और न ही नासिक में , जबकि हम लगातार वहां नंबर वन .
नईदुनिया से प्रतिस्पर्धा के बारे में उन्होंने कहा कि भोपाल और ग्वालियर से निकलकर हम मध्य प्रदेश में नंबर तीन की पोजीशन पर थे . इंदौर आकर हम अपनी पोजीशन दूसरे नंबर तक लाना चाहते थे लेकिन जब हम यहाँ आये और जमकर काम किया , पाठकों की रूचि का अखबार पेश किया तो लोगों ने उसे पसंद किया और हम यहाँ नंबर वन बन गए.
समाचार चैनलों के बारे में रमेश अग्रवाल ने कहा कि वहां कोई रेवेन्यू को ध्यान में रखकर काम नहीं कर रहा है. एक तरह की भेडचाल है , लेकिन मनोरंजन चैनल अच्छा धंधा कर रहे है. संस्कार वैली स्कूल और मीडिया स्कूल के वेंचर को रमेश अग्रवाल ने ‘चैरिटी’ बताया और साफ़ कहा कि दैनिक भास्कर हमारा धंधा है . वे मानते हैं कि भारत में न्यूज़ पेपर इंडस्ट्री अभी मेच्योर नहीं हो सकी है, इसीलिये अखबार कौड़ियों के भाव बिक रहे है . रमेश अग्रवाल ने दावा किया कि हम अपने स्टाफ का पूरा ध्यान रखते हैं और हमारा मैन् पावर ही हमारी शक्ति है .
(full interview )
इस साक्षात्कार को सुनाने और देखने से स्पष्ट है कि भास्कर ग्रुप की सफलता का राज श्री रमेश अग्रवाल जी की सरलता और सहजता है.कई बार लोग अंदाज़ लगते रहते हैं कि इस सफलता में किसी बड़े मेनेजमेंट गुरु की भूमिका रही होगी पर इस साक्षात्कार के बाद यह दावे से कहा जा सकता है कि इस सफलता के करक और कारण श्री रमेश अग्रवाल ही हैं. धन्यवाद ,श्री प्रकाश हिन्दुस्तानी ,जिन्होंने मेरे जैसे अनेक लोगों की गलतफहमी दूर की.पर भास्कर को यह ध्यान देना होगा कि कभी कभी सम्पादकीय नीतियाँ दम्भपूर्ण होतीं हैं और लगता है कि वह पूरे समाज और देश को’हांकना’चाहता है ,यह उचित नहीं है.