उदय प्रकाश,साहित्यकार
आज ‘टाइम्स नाउ’ चैनल ‘वी.वी.आई.पी. कल्चर’ के विरुद्ध ऐसा रेडिकल कैंपेन (अति-उग्र अभियान) चला रहा है कि हम सबका दिल बग़ीचा-बग़ीचा हो रहा है।
एक पल में लगता है कि उसने ‘आप’ के समर्थन का आकस्मिक फ़ैसला कर लिया है या फिर उनसे उनका सर्वाधिक लोकप्रिय नारा छीन रहा है।
लेकिन दूसरे ही पल ही लगने लगता है कि आख़िर वह सिर्फ़ ग़ैर भाजपा शासित राज्यों को ही निशाना मोटे तौर पर क्यों बना रहा है ?
संदेह होने लगता है कि कहीं गड़करी साहेब की पिछली तफ़रीह की बदनामी से उपजे विवाद को कंपेंसेट करने के लिए तो ये सब नहीं हो रहा है ?
मुझे तो लगता है कि जिसके पास अपार काली-सफ़ेद पूँजी है, वही सबसे बड़ा वीवीवीवीआईपी है। मंत्री नेता अफ़सर दलाल वग़ैरह तो उसके सेवादार संतरी हैं।
‘टाइम्स नाउ’ के अरबपति मालिक को किसी अस्पताल में, अलबत्ता वो सरकारी अस्पताल में तो जाएँगे ही नहीं, जो ट्रीटमेंट मिलेगा, वो क्या हम जैसों को नसीब होगा ?
दोस्तो, आपको याद होगा, मैंने वर्षों पहले अपनी एक कहानी में ज़िक्र किया था कि कैसे हिंदी के महान कथाकार जैनेंद्र जी को, जिन्हें मुंशी प्रेमचंद ने ‘ भारत का गोर्की’ कहा था, उन्हें राजधानी दिल्ली के आल इंडिया इंस्टीट्यूट से ‘ वीआईपी’ न होने की वजह से भगा दिया गया था।
मतलब दो ही तरीके अब शेष हैं।
चाहे चुनाव जीत कर या चाहे बिना जीते, किसी पूँजीपति की वफ़ादारी ही, घोषित या अ-घोषित, वीआईपी ट्रीटमेंट हमें दिला सकती है।
बाक़ी, सच वही है, जिसे हम भोग रहे हैं।
@Fb