स्मृति ईरानी के मामले में ‘मीडिया की चूक’

कुलवंत हैप्पी (Kulwant Happy Um)

दरअसल। स्मृति ईरानी को मानव संसाधन मंत्री बनाने को लेकर अधिक लोग इसलिए चकित नहीं थे कि उनकी शिक्षा कम है, बल्कि इसलिए हुए थे कि यह मंत्रालय इंटर्नशिप नहीं है। देश के भाग्योदय से जुड़ा मामला है। अनुभवहीनता का मामला था। नवोदितता का मामला था। मीडिया ने शिक्षा से जोड़कर खत्म कर दिया। वाह मीडिया तुझे सलाम।

स्मृति ईरानी को प्रसारण मंत्रालय मिलना चाहिए था। फिर देखते यह मीडिया वाले कैसे चमगादड़ासन में विराजमान होते। अगर एक अनुभवहीन अख़बार का संपादक बन जाए, एक एमबीए किया हुआ न्यूज चैनल के न्यूज कंटेंट में छेड़छाड़ करने लगे तो धड़ाधड़ मीडिया कर्मचारियों इस्तीफे आते हैं, चापलूस आगे जगह संभालते हैं।

स्मृति ईरानी को जो पद मिला। वो सरकार की मर्जी से मिला, जैसे पंजाब में तोता सिंह को मिला था, भले कम पढ़े लिखे थे। इसके कारण पंजाब में जो शिक्षा स्तर की दुर्गति हुई वो विचारनीय व उल्लेखनीय है। स्मृति ईरानी को अभिनय, मीडिया से बातचीत का अनुभव हो सकता है, लेकिन शिक्षा मंत्री के तौर पर देश की अगुवाई करना हैरानीजनक है।

अंत में एक सवाल के साथ छोड़कर जा रहा हूं। मेरे अहमदाबाद में रहने वाले मित्र केवल मुझे इतना बताएं कि गुजरात के अहमदाबाद शहर में पूर्ण रूप से सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल कितने हैं ? उम्मीद है इस बात को जवाब मिलेगा।

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