समाचार प्लस का कार्यक्रम ‘वांटेड’ सुर्ख़ियों में है. सुर्ख़ियों में इसलिए नहीं है कि टीआरपी में ये अव्वल नंबर पर पहुँच गया है या इसे कोई अवार्ड मिल गया . सुर्ख़ियों में इसलिए है कि वांटेड अपराधियों के आँखों की किरकिरी बन गया है. कई लापता अपराधी ‘वांटेड’ की बदौलत आज जेल की सलाखों के पीछे हैं. हाल ही में 12 लाख का इनामी अपराधी अमित उर्फ भूरा भी वांटेड की बदौलत ही गिरफ्तार हुआ. इसके पहले मोनू पहाड़ी, सुरेंद्र सिंह उर्फ धारा और जोगेंदर उर्फ जुगला भी गिरफ्तार हुए जो वांटेड की सफलता की कहानी अपने आप बयान करता है. पेश है वांटेड के सूत्रधार प्रवीण साहनी की लोकसत्य के विशेष संवाददाता अर्जुन चौधरी से खास बातचीत –
हर हफ्ते सामने आता हैं एक ‘वांटेड’
ये आइडिया कैसे आया कि फरार कुख्यात अपराधियों पर कोई शो बनना चाहिए?
बीते कई वर्षों से क्राइम रिपोर्टिंग कर रहा हूं, जिसमें मैंने कई आपराधिक घटनाओं को करीब से देखा है, अपराधियों से लेकर पुलिस की कार्यशैली तक को देखा है। आम तौर पर पुलिस को कोसना हमारे समाज की एक प्रवृति बन गई है। चाहे वह अपराधी को दबोच कर जेल भेज दे या फिर एनकाउंटर ही कर रही हो। ऐसे में अपराधियों के बनिस्पत पुलिस के प्रति जनता की अवधारणा कोई सकारात्मक नहीं होती। इसलिए मैंने यह निश्चय किया कि क्यों न अपराधियों की हकीकत से लोगों को रू-ब-रू कराया जाए, जो वास्तव में समाज के लिए एक अभिशाप के रूप में है।
हिस्ट्रीशिटरों के बारे में इतनी विस्तृत जानकारी कैसे एकत्रित की, बड़ा शोध किया होगा आपने…..
क्राइम रिपोर्टिंग करने के दौरान अपराधियों के बारे में बहुत जानकारियों छन कर मेरे पास आती रही हैं। जैसे कि कब किसने जरायम के मैदान में कदम रखा, कैसे हालत में वो अपराधी बना, शौकिया बना या किसी मज़बूरी के तहत अपराध की दुनिया में आया, फिर कब और कितनी बार गिरफ्तार हुआ कब जेल गया इत्यादि, ये सब जानकारी मेरी उंगलियों पर है बाकी कुछ जानकारी थानों से, अखबारों में प्रकाशित खबरों की कतरनों व न्यूज़ चैनलों के माध्यम से ली।
‘वांटेड’ के कितने एपिसोड दिखाये गये हैं? उसमें कितने अपराधियों के बारे में दिखाया गया है?
अब तक ‘वांटेड’ के 20 एपिसोड दिखाए जा चुके हैं, जिसमें अमित भूरा , राहुल खट्टा, मोनू पहाड़ी, जोगेन्द्र सिंह जुगला, विश्वास नेपाली, बलराज भाटी, आकाश ,सुरेन्द्र उफऱ् धारा, सरदार सिंह गुज्जर, अता उर रहमान, हरीश चन्द्र पासी, सुनील यादव जैसे कई खूंखार अपराधियों की पूरी कहानी दिखा चुके हैं। इन सभी पर 50,000 से लेकर लाखों रुपये तक के इनाम हैं। ये लोग अपराध को अंजाम देना शान का काम समझते हंै। जिनमें से तीन अपराधी सलाखों के पीछे भी पहुंच चुके हैं। मोनू पहाड़ी, सुरेंद्र सिंह उर्फ धारा और जुगला इतना हैवान था कि फिरौती की रकम में देरी होने पर बच्चे की ऊंगली काट कर बच्चे के पिता को भेज दी थी। कई बार एसटीएफ ने माना भी कि ‘वांटेड’ के जरिये कई ऐसे अपराधियों के बारे में भी जानकारी मिली जो अपराध को अंजाम देकर शांत हो जाते थे व पुलिस की नजरों से बचे हुए थे।
क्या आपको डर नहीं लगता? इन अपराधियों की तरफ से क्या कभी कोई धमकी मिली है?
डर लगता तो पत्रकारिता में ही ना आता,वैसे किसी न किसी रूप में तो धमकिया कई बार मिली। कभी फ़ोन पर तो कभी चिट्ठी के जरिये तो कभी बदमाश के गुर्गे या रिश्तेदार मित्र मेरे घर या ऑफिस तक धमकाने- समझाने पहुंचे। हालांकि मैं उनसे सिर्फ एक बात ही कहता कि वह अपराधी अपराध करना छोड़ दे तो फिर मैं उनके खिलाफ अपना अभियान भी बंद कर दूंगा।
आपको क्या लगता है कि आपके इस शो से समाज में अपराध और अपराधियों के प्रति नजरिया बदलेगा?
जी, बिल्कुल। मुझे पूरा विश्वास है। किसी भी सभ्य समाज में अपराध को नैतिक समर्थन नहीं मिलता लेकिन अपराध और अपराधियों के बारे में लोगों को जानकारी होनी चाहिए। साथ ही पुलिस की कार्रवाई के बारे में भी लोगों को पता होना चाहिए। इससे पुलिस के प्रति लोगों में सकारात्मक सोच विकसित होगी और पुलिस कर्मियों का मनोबल भी बढ़ेगा।