पत्रकारिता करते तो सहारा के पत्रकार आज यूँ अकेले न होते

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सहारा की एक पूर्व पत्रकार ने रवीश के नाम खुली चिठ्ठी लिखी है और चाहती हैं कि सहारा के पत्रकारों के वेतन-भत्ते को लेकर दूसरे पत्रकार आंदोलन चलाये. लेकिन सवाल ये है कि जब सहारा प्रणाम करते हुए सहाराकर्मी मौज के दिन काट रहे थे तब डूब रहे चैनलों के पत्रकारों के लिए इन्होने कभी आंदोलन किया? VOI,P7,आज़ाद न्यूज़,एस1 समेत न जाने कितने चैनल बंद हुए और वहां के पत्रकार दर-बदर की ठोकरे खाते रहे.तब आपने कौन सा मरहम लगाया.अपनी पीड़ा सबको सबसे ज्यादा लगती है.काश अपने साथी पत्रकारों का आपने साथ दिया होता तो आज यूँ अकेले न होते।आपसे सहानुभूति के बावजूद ये कटु सत्य है।

@FB पुष्कर पुष्प

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