अज्ञात कुमार
सहारा मीडिया में पिछले साल अप्रैल से वेतन देने में देर की जा रही है। पिछले अप्रैल से माह की अंतिम तारीख की बजाय अगले माह बीस पच्चीस तक सैलरी आती थी। लेकिन अक्टूबर के बाद तो सारे डेट ही खारिज होने लगे। दीपावली के बाद प्रबंधन ने सहाराकर्मियों के साथ छल करना शुरु कर दिया। कहा गया कि अक्टूबर की सैलरी जल्द ही मिलेगी। लेकिन अक्टूबर की सैलरी नवंबर में नहीं दी गई। नवंबर में ही आयकर विभाग का नोएडा कैंपस में छापा पड़ा जिसमें करीब एक सौ चालीस करोड़ रुपये पकड़े गए। जब इन रुपयों के बारे में सुप्रीम कोर्ट ने पूछा तो सहारा प्रंबधन ने कहा कि ये पैसे कर्मचारियों को सैलरी देने के लिए आए थे। भला इस पर कोई कैसे विश्वास करे कि आपने सैलरी के लिए पैसे रखे हों और कर्मचारियों को सैलरी नसीब नहीं हो।
हालांकि प्रबंधन ने अक्टूबर की सैलरी सीनियर अफसर तक 6 दिसंबर को दी। हद तो तब हो गई जब सीनियर अफसर से ऊपर के कैडर को अक्टूबर माह की आधी सैलरी दी गई। उसके बाद प्रबंधन ने गोली देने का सिलसिला शुरु किया। कहा गया कि नवंबर की सैलरी 20 दिसंबर को दी जाएगी। फिर जब बीस आया तो 22 बताया गया। उसके बाद हर हफ्ते अगले हफ्ते की डेट देते चले गए। फिर जनवरी माह में सीनियर अफसर से ऊपर के कैडर के कर्मचारियों को अक्टूबर की आधी सैलरी मिली। लेकिन नवंबर की सैलरी पर गोलीबाजी होती रही। ऐसे करते-करते पूरा जनवरी माह निकल गया। यानि कुल तीन माह का सैलरी बकाया हो गया। सहारा कर्मी परेशान होने लगे। तब कहा गया कि 6 फरवरी को सैलरी हर हाल में मिलेगी। लेकिन जब 6 फरवरी को भी सैलरी नहीं आई तो कर्मचारियों ने काम बंद कर दिया। सारे चैनल हेड कर्मचारियों से मिले और जाकर उच्च अधिकारी गौतम सरकार को मामले की जानकारी दी। गौतम सरकार न्यूज फ्लोर पर आए और कहा कि 15 फरवरी तक सीनियर अफसर तक की एक माह की सैलरी आएगी। बाद लेकिन वो डेट भी फेल। कर्मचारियों ने सोचा कि 15 फरवरी रविवार है इसलिए हो सकता है कि 16 फरवरी को सैलरी आए। लेकिन 16 को भी सैलरी नहीं आई। कर्मचारी इस बार सीधे गौतम सरकार के केबिन पहुंच गए। तब उनसे कहा गया कि 17 को बैंक की छुट्टी है 18 को सैलरी जरुर आएगी। लेकिन जब 18 को 2 बजे तक सैलरी नहीं आई तो कर्मचारियों का धैर्य का बांध टूट गया और वे फिर गौतम सरकार के यहां गए। तब उन्होंने फिर वादा किया कि सीनियर अफसर तक की सैलरी 18 को ही शाम तक आएगी। हालांकि इस बार अफसर कैटेगरी तक की नवंबर आई। फिर 19 को केवल सीनियर अफसर की नवंबर की आधी सैलरी आई। सीनियर अफसर से ऊपर तक की सैलरी अभ नवंबर से ही बाकी है। यानि नवंबर, दिसंबर, जनवरी और अब फरवरी भी खत्म होने वाला है। अब पता नहीं सैलरी कब आएगी। अब आएगी भी या नहीं आएगी। सहाराकर्मी भूखे मरने के कगार पर हैं।
सहाराकर्मियों की इन परेशानियों के बावजूद प्रबंधन और अधिकारी मौज में हैं। उनकी न गाड़ी रुकती है न पार्टी और न कोई और सुख सुविधा। सहाराकर्मियों को रात में आने जाने के लिए पिकअप ड्रापिंग सुविधा भी बंद कर दी गई है। रात में अपनी जान हथेली पर रखकर आइए और नौकरी कीजिए और तब भी सैलरी नहीं। पूरे सहाराकर्मियों के संयम का मजाक उड़ाया जा रहा है। हालात ये है कि हर हफ्ते चार पांच लोग सहारा से रिजायन कर रहे हैं लेकिन प्रबंधन है कि अपने में मस्त है।