वेद उनियाल
सचिन तेदुंलकर ने अगर क्रिकेट से इस देश को बहुत गौरव के क्षण दिए हैं तो देश ने भी उन्हें सब कुछ दिया है। क्रिकेट का भगवान मान कर उन्हें सब कुछ अर्पण किया है। अब उन्हें उन कामों पर ध्यान नहीं देना चाहिए जो उनकी कमाई का नया जरिया बने। बल्कि अपने स्तर और गरिमा का ख्याल करते हुए देश के लिए तमाम कामों में सक्रिय हो जाना चाहिए। उनके पास उम्र है और अच्छा स्वास्थ्य है। इस बात पर अब कोई रुचि नहीं कि 1997 के फंला टेस्ट में क्या हुआ था। जब वह कैच छूटा था तो उसे कहा गया था, ग्रैग चैपल बुरा था या भला। जब शतक बना था तो गावस्कर ने क्या कहा था।
सचिन जहां पहुंच गए हैं , उस ऊंचाई के बाद अब ये बातें मायने नहीं रखती। बेशक चेतन भगत की तरह एक किताब बिक जाती हैं, लेकिन सचिन के मायने यह नहीं। व्यापारिक कंपनियों की बाजार में स्पर्धा हो तो भारत रत्न को यह भी नहीं कहना चाहिए कि फंला चीज मुझे पसंद है आप उसे खरीदें।
(स्रोत-एफबी)