ओम थानवी,संपादक,जनसत्ता
एक टीवी चैनल पर अभी लिखा पढ़ा: “मोदी बनाएंगे भारत को जापान”। अब तक तो बस वह खबर थी कि काशी को क्योतो की सीख से आधुनिक ‘स्मार्ट सिटी’ बनाया जाएगा। मोदी ने चुनाव में सौ ऐसे ‘स्मार्ट’ नगर बनाने का वादा किया था। क्योतो से सिलसिला शुरू हुआ और साथ ही हो गया पूरे भारत के जापान बनने का आगाज? इससे हास्यास्पद कल्पना क्या हो सकती है!
ऐसी कल्पनाएँ क्यों होती हैं? एक बड़ी वजह यह है कि मोदी ने चुनाव में भले टीवी स्टूडियो के फेरे खुद लगाए, अब वे जान-बूझकर पत्रकारों को अपने से दूर रखते हैं।
संजय बारु की किताब के बाद कोई मीडिया सलाहकार रखना भी उन्हें शायद खतरे से खाली नहीं लगता। ऐसे में पत्रकारों को प्रधानमंत्री की गतिविधियों की खबरें मिलेंगी कहाँ से?
कुछ उत्साही पत्रकार विदेश मंत्रालय के तालमेल के बगैर, अपने चैनल के खर्च पर, जापान पहुँच गए हैं। पर उनकी पहुँच बैठकों या मुख्य गतिविधियों तक नहीं हो सकती। चैनल मोदी के कार्यक्रमों का उधार का फुटेज दिखाते हैं और संवाददाता सिर्फ इधर-उधर की जानकारियां परोसते हैं। एक चैनल का संवाददाता तो तोक्यो में पार्किंग के लिए सिक्का डालने वाली ‘स्मार्ट’ मशीन देखकर गदगद था, उस पर लिखी इबारत का भावार्थ भी बताया और सिक्का डालने वाले छेद तक को टटोला!