रवि प्रकाश
रवीश कुमार के कार्यक्रम देखते हुए कई बार लगता है मानो वह प्रवचन दे रहे हों। बावजूद इसके रवीश कुछ बातें इतनी आसानी से बतला जाते हैं, जिन्हें बता पाने की या तो आपमें-हममें हिम्मत ही नहीं होती या फिर हम अपने मीडिया समूह के कर्ता-धर्ता को इसको बताने-दिखाने-पढ़ने-पढ़ाने के लिए कन्विंश नहीं कर पाते।
मसलन, यूपी के एक ब्राह्णण बहुल गांव में बात करते वक्त जमीन पर बैठ चुके दलित को खाट पर बराबरी में बैठाने का साहस या फिर यह कह पाने का साहस कि दलित खौफ में हैं। अकेले में बोलेंगे। इत्यादि-इत्यादि। रवीश, आप साहसी हैं। आपके साहस को देखने-सुनने के लिए थोड़ी देर हम आपके प्रवचन भी झेल लेंगे। शुभकामनाएं।
(स्रोत-एफबी)
 
 











