#NDTV ने अगर पठानकोट घटना की कवरेज के मामले में मानदंडों का कोई उल्लंघन किया था तो इसके परीक्षण की ज़िम्मेदारी NBSA (News Broadcasting Standards Authority) पर छोड़ी जानी चाहिए थी.
यदि जाँच में NDTV दोषी सिद्ध होता तो NBSA द्वारा उसे उचित दंड भी दिया जाता. जिन लोगों को नहीं मालूम, उन्हें बता दूँ कि NBSA के दंड प्रावधानों में यह भी शामिल है कि वह अति गम्भीर मामलों में दोषी चैनल के प्रसारण पर कुछ दिनों की रोक लगाने की सिफ़ारिश भी सरकार से कर सकता है.
NDTV चैनल NBA (News Broadcasters Association) का सदस्य है, और उसे NBSA का फ़ैसला मानना पड़ता. वर्षों से NBSA अपनी ज़िम्मेदारी गम्भीरता से निभाता आ रहा है. फिर सरकार को इस मामले की जाँच अपने हाथ में लेने की क्या ज़रूरत थी?
NBSA की जाँच में यदि NDTV दोषी सिद्ध होता तो इससे सरकार की ही विश्वसनीयता बढ़ती कि वह सचमुच प्रेस की स्वतंत्रता की हिमायती है.
लेकिन सरकार कैसा मीडिया चाहती है, यह तो मीडिया की मौजूदा हालत से समझ में आता ही है.