आज पूरे 40 दिन बाद मैंने प्राइम टाइम में टीवी खोला। अख़बार पहले ही सात से पांच और अब दो करवा चुका हूं, तो सोचा कि कहीं जमाने से पीछे न रह जाऊं इसलिए अपडेट होना ज़रूरी है। नौ बजे एक उम्मीद की तरह रिमोट हाथ में लिया था, सवा दस बजे टीवी बंद कर के अब अधकपारी से जूझ रहा हूं। एक झलक देखें:
इंडिया न्यूज़ पर ”मोदी को मिल गए राम” चल रहा था। एंकरा कह रही थी कि ”करोड़ों हिंदुओं की आस्था के प्रतीक” रामसेतु को ”मोदी के दूत” गडकरी बचाने गए हैं। इंडिया टीवी पर रजत शर्मा मोदीजी की अगली ”मन की बात” का माहौल तैयार करने के लिए दिखा रहे थे कि कैसे पूरा पंजाब ड्रग्स से तबाह हो चुका है। ज़ी न्यूज़ पर अपेक्षा के मुताबिक नवीन जिंदल विरोधी खानदानी रंजिश चल रही थी। ज़ी बिज़नेस पर अरनब गोस्वामी का एक ठिगना क्लोन अमीश कश्मीर में भाजपा की सरकार बनवा रहा था और वहां के मुस्लिमों को राष्ट्रवादी बता रहा था। प्रधानजी के दिवाली मिलन समारोह में बंडी पहनकर पूरे 45 मिनट तक ध्यानाकर्षण की चाह में बेबस भटकने वाले शंकर अर्निमेष फोकस न्यूज़ पर आलोक मेहता-विनोद अग्निहोत्री की बदनाम जोड़ी के साथ सभ्य बनने की कोशिश कर रहे थे और आलोक मेहता की अश्लीलता की हद तक गुलाबी कमीज़ उनकी दलाली का नया अध्याय खोल रही थी। डीडी और राज्यसभा समेत सारे अंग्रेज़ी चैनल पेंटागन की पाकिस्तान के प्रॉक्सी वॉर पर टिप्पणी के बहाने अभिजात्यों का राष्ट्रवाद फैलाने में जुटे थे और ऐसा लग रहा था कि रात में सोने से पहले अरनब गोस्वामी पाकिस्तान पर प्रतिबंध लगवाकर ही दम लेंगे। बचे एनडीटीवी, आजतक, एबीपी और न्यूज नेशन, तो सबको अरविंद केजरीवाल ने ”एक्सक्लूसिव” साक्षात्कार दे दिया था।
थक-हार कर मैं 10 बजे बाबा पी.पी. वाजपेयी के दर पर पहुंचा और उनके इस वाक्य के बाद अधकपारी का शिकार हो गया कि ”दिल्ली के पिछले चुनाव में बीजेपी की ओर से डॉ. हर्षवर्धन मुख्यमंत्री के चेहरे थे और कांग्रेस की ओर से शीला दीक्षित मुख्यमंत्री की चेहरी थीं।”
(स्रोत-एफबी)